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क्लर्कों के बाद अब दूसरे विभागों के कर्मचारियों ने भी उठाई डिमांड

09:36 AM Aug 14, 2023 IST

चंडीगढ़, 13 अगस्त (ट्रिन्यू)
हरियाणा में क्लर्कों द्वारा की जा रही बेसिक-पे में बढ़ोतरी की मांग को लेकर सरकार बड़ी दुविधा में फंसी हुई है। क्लर्कों को कम-ज्यादा पर सरकार मना भी लेती है तो इसके बाद उन कर्मचारियों की बेसिक-पे में भी बढ़ोतरी करनी होगी, जो इनके समान ही हैं। इतना ही नहीं, पुलिस जवानों, रोडवेज के कंडक्टरों व स्टेनो टाइपिस्ट सहित कई वर्गों के कर्मचारियों ने बेसिक-पे में बढ़ोतरी की मांग करनी भी शुरू कर दी है।
विभिन्न विभागों व बोर्ड-निगमों के क्लर्क 5 जुलाई से हड़ताल पर हैं। भाजपा से ही जड़े कर्मचारियों के संगठन – भारतीय मजदूर महासंघ द्वारा क्लर्कों की मांग का समर्थन किया जा रहा है। मजदूर महासंघ के बैनर तले ही क्लर्कों का आंदोलन चल रहा है। क्लर्कों को वर्तमान में 19 हजार 900 रुपये बेसिक-पे मिल रही है। वे इसे बढ़ाकर 35 हजार 400 करने की मांग कर रहे हैं। अभी तक सकार के साथ चार बार बैठकें हो चुकी हैं।
आखिरी बैठक मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ हुई थी। इस बैठक में कई बिंदुओं पर सहमति तो बनी है, लेकिन अभी तक कोई घोषणा नहीं हुई है। पंद्रह अगस्त के बाद एक बार फिर निर्णायक बैठक होगी और उसमें निर्णय लिया जाएगा। इस बीच, हरियाणा पुलिस के जवानों, स्टेनो टाइपिस्ट और कंडक्टरों की एसोसिएशन की ओर से भी सरकार को पत्र लिखकर बेसिक-पे में बढ़ोतरी की मांग की जा चुकी है। यह बात सरकार भी जानती है कि क्लर्कों की बेसिक-पे में बढ़ोतरी के बाद दूसरे कर्मचारियों को भी लाभ देना होगा।
एक अनुमान के अनुसार, सवा लाख से अधिक ऐसे कर्मचारी हैं, जिनकी बेसिक-पे सरकार को बढ़ानी पड़ सकती है। इनमें क्लर्क भी शामिल हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए वित्त विभाग के अधिकारियों को पूरा आकलन करने को कहा गया है ताकि इस तरह का फैसला लेने की सूरत में प्रदेश पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ का पहले से पता लग सके। यह चूंकि चुनावी वर्ष है, इसलिए यह तय है कि क्लर्क इस आंदोलन से खाली हाथ घर नहीं लौटेंगे। इसके भी अब काफी प्रबल आसार हैं कि क्लर्कों के बहाने दूसरे कर्मचारियों की बेसिक-पे में भी बढ़ोतरी हो सकती है। अब यह सरकार के स्तर पर तय होगा कि आंदोलन को खत्म करवाने और कर्मचारियों को खुश करने के लिए सरकार क्या फार्मूला निकालती है। भारतीय मजदूर महासंघ के लोग भी अब यह बात मानते हैं कि उन्हें इस बात का पहले आभास नहीं था कि यह मांग क्लर्कों तक सीमित नहीं रहेगी।

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