चांद के आर-पार, अपने-अपने कारोबार
सहीराम
एक जमाने में पाकीजा फिल्म का यह गाना बड़ा हिट हुआ था जी कि चलो दिलदार चलो, चांद के पार चलो। अब चंाद के पार जाने का इसरो का प्रोग्राम तो बन गया, लेकिन राजनीति अभी भी चांद के पार न जा रही। अब साहब चांद पर प्लॉट बेचने वालों ने तो वहां चंद्रयान के सफलतापूर्वक लैंड करने का कतई इंतजार किया था। प्लॉट बेचने वालों की यही तो प्रतिभा है। वे हवा में या कागजों पर प्लॉट काटकर बेच सकते हैं, वे प्लॉट काटने के लिए सपनों का इस्तेमाल कर सकते हैं। जब वे धरती पर पहाड़ बेच सकते हैं, नदी-नाले बेच सकते हैं, जोहड़-तालाब बेच सकते हैं, गांव शामलात की जमीन से लेकर सरकारी जमीन तक सब बेच सकते हैं तो चंाद के विराटकाय गड्ढे उनके कहां आड़े आते।
प्लॉट बेचने वालों की प्रतिभा तो बस कश्मीर में ही काम नहीं आ रही। धारा तीन सौ सत्तर खत्म हुए पांच साल होने को आए, लेकिन प्लॉट अब भी नहीं बिक रहे। वरना जब धारा तीन सौ सत्तर खत्म हुई थी तो भाई लोगों में वहां प्लॉट खरीदने को लेकर जबर्दस्त जोश था। प्लॉट बेचने वालों को कश्मीर के लिए कोई नयी ही तरकीब निकालनी होगी, कोई नयी ही तिकड़म लड़ानी होगी।
खैर जी, चांद पर प्लॉट बेचने और खरीदने वाली बात तो हो गयी पुरानी। लेकिन अब चंद्रयान की सफल लैंडिंग के बाद जो नयी बातें हो रही हैं, वे भी कम मजेदार नहीं हैं। एक स्वामीजी ने तो वहां हिंदू राष्ट्र बनाने का ही आह्वान कर दिया। लगता है उन्हें यहां वालों पर विश्वास नहीं रह गया कि वे हिंदू राष्ट्र बना सकते हैं। लेकिन जरूरी नहीं है कि यह निराशा या हताशा ही हो, यह अतिउत्साह भी हो सकता है कि यहां भी बना लो और वहां भी बना लो। इतना ही नहीं उन्होंने तो वहां राजधानी बनाने की जगह भी बता दी कि शिव शक्ति प्वांइट को राजधानी बना लो।
फिर एक मुख्यमंत्री ने अपने यहां कोई फैक्टरी लगाने की मांग करने वाली एक महिला से कह दिया कि जब अगला चंद्रयान जाएगा तो हम आपको चांद पर भेजेंगे। कहते हैं कि वह महिला अपना सामान-वामान पैक करके तैयार बैठी है वहां जाने के लिए। अभी वह इंतजार की कर रही थी कि एक दूसरे मुख्यमंत्री ने कांग्रेस वालों को चांद पर भेजने की बात कह दी। हो सकता है इन मुख्यमंत्री का लोकतंत्र में कुछ ज्यादा ही विश्वास हो। बिना विपक्ष के वे अपने कल्पित राष्ट्र की कल्पना नहीं कर पा रहे होंगे। हालांकि इस कल्पित राष्ट्र की कल्पना में विपक्ष है या नहीं, पता नहीं। इससे पाकिस्तान टूरिज्म वाले चिंतित हो उठे हैं कि भारतीय नेता अगर ऐसे ही सबको चांद पर भेजते रहे तो हमारा क्या होगा।