ऐलनाबाद के मैदान में डटे अभय, रानियां में दादा-पोता ही आमने-सामने
दिनेश भारद्वाज/ ट्रिन्यू
सिरसा, 1 अक्तूबर
राजस्थान और पंजाब से सटे सिरसा जिले में इस बार सबसे रोचक चुनाव हो रहा है। इस जिले में विधानसभा की कुल पांच सीटें हैं। एक बार फिर चौटालाओं के इस गढ़ का चुनाव भूतपूर्व डिप्टी पीएम चौ. देवीलाल परिवार के इर्द-गिर्द घूमता दिख रहा है। देवीलाल परिवार से जुड़े छह सदस्य इस बार चुनावी मैदान में डटे हैं। इनमें से तीन तो एक ही सीट पर आमने-सामने हैं।
इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला इस बार रानियां से उम्मीदवार हैं। वहीं, अभय चौटाला के चाचा और देवीलाल के पुत्र चौ. रणजीत सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर यहां चुनाव लड़ रहे हैं। यानी दादा-पोता आमने-सामने हैं। इस सीट पर मल्टी कॉर्नर फाइट देखने को मिल रही है। कांग्रेस के सर्वमित्र काम्बोज भी पूरी मजबूती के साथ चुनावी मैदान में डटे हैं। पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कोटे से सर्वमित्र काम्बोज को टिकट मिला है। वहीं, भाजपा ने इस सीट पर शीशपाल काम्बोज को उतारा है। रणजीत सिंह ने 2019 में कांग्रेस से टिकट कटने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। वे राज्य की मौजूदा भाजपा सरकार में बिजली व जेल मंत्री रहे। भाजपा ने इस बार उन्हें हिसार से लोकसभा चुनाव लड़वाया था, लेकिन वे कांग्रेस के जयप्रकाश ‘जेपी’ के सामने हार गए थे। रानियां से वे भाजपा टिकट के दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें मौका नहीं दिया।
ऐलनाबाद में कड़ा मुकाबला
अभय सिंह चौटाला ऐलनाबाद से लगातार चौथी बार मैदान में हैं। इसमें से दो बार उन्होंने यहां से उपचुनाव जीता है। 2009 के चुनाव में इनेलो सुप्रीमो व पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने ऐलनाबाद और उचाना कलां (जींद) दो सीटों से चुनाव लड़ा था और दोनों पर जीत हासिल की थी। बाद में उन्होंने ऐलनाबाद की सीट खाली कर दी और 2010 में हुए उपचुनाव में अभय सिंह चौटाला ने यहां से जीत हासिल की। इसके बाद अभय ने 2014 और 2019 के चुनाव में भी जीत हासिल की। 2021 में केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुए किसान आंदोलन के समर्थन में उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद यहां हुए उपचुनाव में अभय ने फिर से जीत हासिल की। इस बार उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व विधायक भरत सिंह बैनीवाल से कड़ी टक्कर मिल रही है। यहां दोनों ही पार्टियों में कांटे का मुकाबला बना हुआ है। भाजपा ने अमीर चंद मेहता को अपना उम्मीदवार बनाया है, लेकिन वह चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में कामयाब होते नहीं दिख रहे। साल 2021 में कांग्रेस की तरफ से उपचुनाव लड़ चुके पवन बैनीवाल टिकट कटने के बाद अभय के साथ आ चुके हैं।
वहीं, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कालांवाली सीट पर आमने-सामने की टक्कर है। कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक शीशपाल केहरवाला को टिकट दिया है। भाजपा टिकट पर राजेंद्र देशुजोधा चुनाव लड़ रहे हैं।
सिरसा शहर में सबसे बड़ी जंग
इस बार सिरसा हलके पर पूरे प्रदेश की नजरें लगी हैं। भाजपा ने सिरसा सीट से अपने उम्मीदवार रोहतास जांगड़ा का नामांकन-पत्र हलोपा उम्मीदवार व मौजूदा विधायक गोपाल कांडा के समर्थन में वापस करवा दिया। वहीं, इनेलो-बसपा गठबंधन के तहत अभय चौटाला गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। कांग्रेस ने गोपाल कांडा के मुकाबले गोकुल सेतिया को टिकट दिया है। गोकुल सेतिया ने 2019 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर गोपाल कांडा को कड़ी टक्कर दी थी। कांडा ने 44 हजार 915 और सेतिया ने 44 हजार 313 वोट हासिल किए थे। गोकुल सेतिया 602 मतों के मामूली अंतर से चुनाव हारे थे। इस बार भी कांडा और सेतिया के बीच कांटे की टक्कर बनी हुई है।
डबवाली में एक परिवार के तीन दिग्गज
डबवाली ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां देवीलाल परिवार के ही तीन सदस्य चुनावी मैदान में डटे हैं। कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक अमित सिहाग को टिकट दिया है। अमित सिहाग के पिता डॉ. केवी सिंह, देवीलाल परिवार से ही आते हैं। वहीं देवीलाल के पौत्र आदित्य देवीलाल सिंह चौटाला इनेलो टिकट पर डबवाली से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा से टिकट कटने के बाद आदित्य इनेलो में शामिल हो गए। वहीं, देवीलाल के पड़पोते और पूर्व सांसद डॉ. अजय सिंह चौटाला के छोटे बेटे दिग्विजय सिंह चौटाला जननायक जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। देवीलाल परिवार के इन तीनों सदस्यों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला चल रहा है। भाजपा ने सिख कोटे से बलदेव सिंह मांगियाना को टिकट दिया है, जो मल्टी कॉर्नर फाइट बनाने की कोशिश करते आ रहे हैं।
डेरे का प्रभाव बदल सकता है समीकरण
प्रदेश में विधानसभा की 90 सीटों के लिए 5 अक्तूबर को होने वाले मतदान से चार दिन पहले डेरा सच्चा सौदा, सिरसा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को पैरोल मिल गई है। रोहतक की सुनारियां स्थित जिला जेल में अलग-अलग मामलों में सजा काट रहे डेरा प्रमुख का सिरसा बेल्ट में अच्छा प्रभाव है। 2014 और 2019 के लोकसभा व विधानसभा चुनावों में डेरे ने भाजपा काे समर्थन दिया था। हालांकि अभी डेरे ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन डेरे से आने वाले संदेश के बाद सिरसा जिले के सियासी समीकरण बदल सकते हैं।