For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

एक अंदाज़ खुद में  खुशी को पाने का

07:46 AM Feb 27, 2024 IST
एक अंदाज़ खुद में  खुशी को पाने का
Advertisement

सोनम लववंशी
‘जब वी मेट’ फिल्म की नायिका करीना कपूर को अपने आपको बहुत पसंद करने की बात कहते दिखाया गया है। फिल्म का नायक शाहिद कपूर भी एक संवाद में यही बात कहता है ‘तुम अपने आपको बहुत पसंद करती हो!’ करीना का जवाब ‘हां’ होता है। दरअसल, ये जीने का एक अंदाज़ है। कोई और आपको पसंद करता है, वह एक अलग बात है। लेकिन, सबसे जरूरी है अपने आपको पसंद करना, अपने लिए जीना और जो मन करे वह करना। जरूरी नहीं कि ‘कोई क्या कहेगा’ जैसे विचार मन में लाए जाएं। क्योंकि, जीवन आपका है उसमें कोई और क्यों दखल दे।

जीने का अलग अंदाज़ या अपने लिए जीना

इस संदर्भ में एक और फिल्म ‘क्वीन’ को भी याद किया जा सकता है। इस फिल्म में कंगना रनौत की शादी एक वक्त पर टूट जाती है। यहां तक तो सब सामान्य रहता है। लेकिन, शादी से पहले नायिका और उसका होने वाला पति हनीमून टूअर बुक कर लेते हैं। फ़िल्म में नायिका की शादी टूटने के बाद वह अकेले ही हनीमून पर निकल जाती है। वास्तव में यह अपने आप में कुछ अलग सी बात है। इसलिए इसे जीने का अलग अंदाज़ या अपने लिए जीना कहा जा सकता है। लेकिन, अभी हमारी सामाजिक स्थितियां इस तरह के खुलेपन वाले जीवन के अंदाज़ के अनुकूल नहीं है। लेकिन सोशल मीडिया की वजह से यह प्रवृत्ति बढ़ रही है। अब तो कुछ युवा सोलो डेटिंग करने लगे हैं।

Advertisement

एक अलग ही अहसास

इन दिनों सोशल मीडिया इस तरह की पोस्टों से भरा पड़ा है। युवाओं को सोलो डेटिंग का चस्का सा लग गया है। देखा जाए तो खुद से प्यार करना गलत भी नहीं है। यह अपने आप में एक अलग तरह का अहसास होता है। इस तरह की डेटिंग में किसी के साथ की ज़रूरत नहीं होती और न कभी दिल टूटने का दर्द होता है। बस, खुद के लिए समय निकालना और वह सब कुछ करना जो सिर्फ हमें पसन्द है। वैसे भी इस दुनिया में, दूसरों के साथ अपनी तुलना करना बड़ा आसान है। शायद यही वजह है, कि अधिकतर लोगों को यह शिकायत रहती है कि वह ख़ुश नहीं है। लेकिन, कभी खुद से यह सवाल किया है कि हमने अपने लिए कब समय निकाला है। कब अपनी पसंद का खाना बनाया है। कब अपनी मनपसंद जगह घूमने के लिए गए हैं। हमने अपने जीवन को इतना नीरस बना लिया है कि ख़ुश रहना ही भूल गए हैं। छोटी-छोटी बातों पर मरने-मारने को उतारू हो जा रहे हैं। मानसिक अवसाद,आत्महत्या, हार्ट अटैक जैसी घटनाएं हमारे सामाजिक जीवन का हिस्सा बन गई हैं।

Advertisement

खुद से प्यार करने के मायने स्वार्थी होना नहीं

आज हम खुद से ही बेख़बर हो गए। हमें ख़ुद पता नहीं होता कि हम आख़िर चाहते क्या हैं। इस दुनिया में सेल्फ लव यानी खुद से प्यार करना स्वार्थी होना नहीं है। यह सच है कि किसी भी रिश्ते में प्यार बरकरार रखने के लिए दो लोगों की जरूरत होती है। दो लोग जो आपस में एक-दूसरे के सुख-दुख को शेयर कर सकें। हालांकि, बदलते दौर में रिश्तों के मायने भी बदलने लगे हैं। अब ऐसे कई लोग हैं, जो अपनी खुशियां दूसरों में नहीं ढूंढते हैं। यही वजह है कि सोलो डेटिंग का चलन बढ़ रहा है। यह एक ऐसा रिश्ता है, जिसमें आपका पार्टनर कोई और नहीं, बल्कि आप खुद ही होते हैं।

स्वयं को समझने का ज़रिया भी

यूं तो वर्तमान समय में सबसे ज्यादा पैसा भारतीय डेटिंग ऐप्स पर लुटा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक रेवेन्यू के मामले में डेटिंग ऐप्स सबसे आगे हैं। इससे डेटिंग ऐप की बढ़ती लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। जबकि आज अगर कोई हमसे अपनी फेवरेट डिश का नाम भी पूछ ले तो हमें सोचना पड़ जाता है। क्योंकि हमने खुद को समय देना ही छोड़ दिया है। सोलो डेट खुद को समझने का ज़रिया है। इस भाग-दौड़ भरे जीवन में कुछ पल ही सही लेकिन अपने लिए निकालना जरूरी हो गया है। क्योंकि जब तक हम ख़ुश नहीं रहेंगे, दूसरों को कोई ख़ुशी नहीं दे पाएंगे।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×