धरती को महकाने की एक अनोखी मुहिम
गुंजन कैहरबा/निस
इन्द्री, 27 अक्तूबर
देश व प्रदेश को विविध प्रकार के फूलों, रंगों और खुशबू से सजाने में जुटे डॉ. रामजी जयमल उपमंडल के गांव रायतखाना व इस्लामनगर के सरकारी स्कूलों में पहुंचे। स्कूल के मैदान में अध्यापकों द्वारा तैयार की गई क्यारियों में उन्होंने 100 के करीब किस्मों की बिजाई की है। जल्द ही उनके द्वारा की गई बिजाई पौध में तब्दील हो जाएगी। इस पौध को इन्द्री क्षेत्र व करनाल जिला ही नहीं आस-पास के जिलों में फूलों के चाहवान लोग अपने संस्थानों या परिसरों में क्यारियां बनाकर मुफ्त प्राप्त कर सकते हैं। डॉ. रामजी ने अपील की है कि पौध प्राप्त करने से पूर्व सभी नागरिक अपने यहां क्यारियां तैयार कर लें ताकि कोई भी पौधा खराब न हो और सभी पौधों में फूल खिल कर हमारे वातावरण को सुंदर बनाएं। जम्मू कश्मीर के उधमपुर व पंजाब के विभिन्न स्थानों पर फूलों की बिजाई करते हुए फ्लाॅवरमैन के नाम से विख्यात डॉ. रामजी जयमल रात को इन्द्री के गांव रायतखाना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक पाठशाला में पहुंचे तो यहां पर स्कूल प्रभारी देवेन्द्र सिंह देवा की अगुवाई में क्यारियां तैयार थी। फूलों की मुहिम से जुड़े अध्यापक देवेन्द्र देवा, महिन्द्र कुमार, अरुण कुमार, जगदीश चंद, जसवंत बांकुरा, मान सिंह, धर्मवीर लठवाल, नरेन्द्र बंटी ने उनका स्वागत किया। रात करीब 12 बजे तक यहां पर फूलों की 75 से अधिक किस्मों की बिजाई की गई। रात्रि विश्राम के बाद डॉ. रामजी जयमल गांव इस्लामनगर के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में पहुंचे और धर्मवीर लठवाल व अजैब सिंह आदि अध्यापकों द्वारा तैयार की गई क्यारियों में 90 के करीब फूलों की बिजाई की। बिजाई के कार्य में विवेक सिंह सहित अनेक अध्यापकों का सहयोग रहा। यहां पर वन खंड अधिकारी राम कुमार लठवाल ने मौके पर पहुंच कर अभियान की सराहना की।
यहां पर विशेष बातचीत करते हुए आपसी संस्था से जुड़े फ्लाॅवरमैन डॉ. रामजी जयमल ने कहा कि फूलों की मुहिम गत करीब 15 वर्ष से निरंतर चल रही है। अब यह मुहिम हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, आसाम, मेघालय सहित अनेक प्रदेशों में पहुंच चुकी है। किसान की खेती की तरह ही मुहिम में मिट्टी को तैयार करके बिजाई की जाती है। पौध उगने पर पौध को उखाड़ कर वितरित किया जाता है। पौध लगाने और उसकी समुचित सिंचाई व देखरेख करने से फूल खिलते हैं और पूरा वातावरण महक उठता है। फूलों के बाद बीज तैयार होते हैं। उन्हें एकत्रित किया जाता है। अगले वर्ष के लिए सहेजा जाता है। इस पूरे कार्य में अनेक प्रकार की तकनीकी और विशेषज्ञता के कार्य हैं। वे वर्षभर मुहिम से जुड़े देशभर के साथियों के पास पहुंच कर मार्गदर्शन करते हैं।
डॉ. रामजी के काम पर फिल्म भी हो चुकी तैयार
सिरसा जिला के गांव दड़बी से फूलों की मुहिम की शुरूआत करने वाले फ्लाॅवरमैन डॉ. रामजी जयमल के काम पर फिल्मकार व निर्देशक नकुल देव ने उनके साथ दिन रात बिताते हुए डोक्यूमेंट्री फिल्म - बिफोर आई डाई बनाई है। इस फिल्म को दुनिया के विभिन्न देशों में आयोजित फिल्म फेस्टिवलों में अवार्ड मिले हैं और डॉ. रामजी के काम को देखने के लिए दुनिया के विभिन्न देशों के प्रतिनिधि पहुंच चुके हैं।