मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

नये-पुराने अनुभवों की थाती

07:34 AM Jun 30, 2024 IST
Advertisement

जतिंदर जीत सिंह
पत्रकार, लेखक कमलजीत सिंह बनवैत की लेखनी का दायरा विस्तृत है। उनकी इस कृति में रिश्तों की कद्र-फिक्र है, बीते वक्त की यादें हैं, आपबीती है, नये जमाने का अच्छा-बुरा बदलाव भी। समाज की अच्छाइयों से प्रेरणा लेने का आह्वान है तो बुराइयों पर कटाक्ष भी। उनके लेख सत्ता के गलियारों में भी ले जाते हैं और पर्दे के पीछे के किस्से सामने लाते हैं।
समीक्ष्य कृति में 28 कहानीनुमा रचनाएं हैं। पुस्तक का शीर्षक लेख ‘तोकड़’, तेजी से बदलती-भागती जिंदगी में पीछे छूटते बुजुर्गों का दर्द बयां करता है। उनके बारे में सोचने को प्रेरित करता है। मोबाइल, टैब पर पढ़ाई के युग में ‘टैरालीन की शर्ट’, लकड़ी की फट्टी पर कलम से लिखने वाले बीते वक्त में ले जाती है। पंजाब की सियासत, अफसरशाही और डेरों की ताकत, पर्दे के पीछे की जोड़-तोड़ का किस्सा है ‘डेरा संत बाबा रब सिंह’। वहीं, ‘कीड़ी दा आटा’ समाज में घट रही सहनशीलता और बढ़ रहे तनाव के हालात के बारे में सवाल उठाता है।
पंजाबी भाषा में रचित इस पुस्तक में जिंदगी के कई अनुभवों को संजीदगी से संजोया गया है। ‘बेबी’ रचना इस कड़वे सच का अहसास कराती है कि विदेश में बस रही पंजाब की युवा पीढ़ी का पारिवारिक रिश्तों से मोह भंग हो रहा है। कॉकेटेल मॉकटेल, बार पराये बैसणा, बदलाव, टेडीबियर, एग्रीमेंट भी आधुनिक जीवन में बदलते रिश्तों का तानाबाना हैं। वहीं, ‘दसवंध’ में लेखक ने मानवता, भाईचारे का अनुभव साझा किया है। पुस्तक में पंजाबी के कई ऐसे शब्दों का इस्तेमाल रोचक है, जो ग्रामीण क्षेत्रों की बोल-चाल का हिस्सा रहे हैं।
पुस्तक : तोकड़ लेखक : कमलजीत सिंह बनवैत प्रकाशक : सप्तऋषि पब्लिकेशन चंडीगढ़ पृष्ठ : 100 मूल्य : रु. 220.

Advertisement
Advertisement
Advertisement