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ईश्वर की शपथ के साथ लिया गया सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान

07:45 AM Oct 28, 2024 IST

चंडीगढ़, 27 अक्तूबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा विधानसभा में 25 अक्तूबर को विधायकों एवं मंत्रियों के शपथ ग्रहण को लेकर एक अति महत्वपूर्ण पॉइंट सामने आया है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और विधायी मामलों के जानकार हेमंत कुमार ने बताया कि इसे हरियाणा विधानसभा सचिवालय के संबंधित अधिकारियों अथवा कर्मियों की या तो लापरवाही कहा जा सकता है या उनसे जाने-अनजाने हुई एक गंभीर चूक कि उन्होंने मौजूदा नव-गठित विधानसभा सदन के नव-निर्वाचित सदस्यों द्वारा विधायक पद की शपथ लेने का ऐसा ड्राफ्ट फार्म तैयार किया, जिसे पढ़कर सदन में सर्वप्रथम शपथ लेने वाले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, उनके बाद उनके मंत्रिपरिषद के कई सदस्यगण और तत्पश्चात अनेक नव-निर्वाचित विधायकों ने प्रो-टेम स्पीकर डॉ. रघुबीर सिंह कादयान के समक्ष विधायक पद के लिए ईश्वर की शपथ के साथ-साथ सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान भी कर लिया जबकि इनमें यानी शपथ अथवा प्रतिज्ञान में से किसी एक का ही प्रयोग किया जा सकता है दोनों का नहीं। हेमंत ने बताया कि भारत के संविधान की तीसरी अनुसूची में राज्य विधानसभा के सदस्य (विधायक) द्वारा ली जाने वाली शपथ या किये जाने वाले प्रतिज्ञान का प्रारूप है जिसमें स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया गया है कि मैं, अमुक (विधायक का नाम), जो विधानसभा का सदस्य निर्वाचित हुआ हूँ, ईश्वर की शपथ लेता हूँ / ( अथवा) / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ की मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा। मैं भारत की प्रभुता और अखंडता को अक्षुण्ण रखूंगा और जिस पद को मैं ग्रहण करने वाला हूँ उसके कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करूंगा। इस प्रकार संविधान की तीसरी अनुसूची के अनुसार हर नव-निर्वाचित सदस्य को यह विकल्प दिया गया है कि अगर वह ईश्वर में आस्था रखने वाला अथवा आस्तिक है, तो वह ईश्वर के नाम से विधायक पद की शपथ ले सकता है अथवा अगर वह इस प्रकार ईश्वर की शपथ नहीं लेना चाहता है, तो वह सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान भी कर सकता है परन्तु एक ही समय पर दोनों का एक साथ प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

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