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नवें दशक की समकालीन कविता का आईना

06:56 AM Jul 07, 2024 IST

सुभाष रस्तोगी
कवि-उपन्यासकार-आलोचक अविनाश मिश्र कथा, कविता, आलोचना, संपादन और पत्रकारिता में अपने सार्थक हस्तक्षेप के लिए जाने जाते हैं। उनके रचनात्मक खाते में दो कविता-संग्रह और दो उपन्यास उपलब्ध हैं। ‘नवां दशक’ आलोचना विधा में मिश्र की पहली पुस्तक है जो उनके द्वारा नवें दशक के नौ कवियों (देवीप्रसाद मिश्र, अष्टभुजा शुक्ल, कुमार अम्बुज, संजय चतुर्वेदी, सविता सिंह, अनीता वर्मा, निर्मला गर्ग, हरीश चंद्र पांडे एवं कृष्ण कल्पित) पर किए गए व्यवस्थित चिंतन की सार्थक प्रस्तुति है। अविनाश मिश्र के ये आलेख कथाकार ज्ञानरंजन द्वारा संपादित ‘पहल’ के अंक 101 से लेकर अंक 110 (अक्तूबर, 2015-जनवरी, 2018) तक में प्रकाशित हुए थे। ये आलेख इन नौ कवियों की तब तक प्रकाशित कविता-सृष्टि पर एकाग्र हैं। एक तरह से इन कविता-संग्रहों की मार्फत यह कृति नवें दशक की समकालीन कविता का आईना बनकर सामने आई है।
कृति ‘नवां दशक’ में मूल्यांकन की एक नयी पद्धति और भाषा विकसित होती दिख़‌ती है, जो स्वीकृत परिपाटी और भाषा से एकदम अलग है। देखिए उनकी भाषा कैसे आलोचना भाषिकी के नए आयाम खोलती प्रतीत होती है— ‘इस महादृश्य में हिन्दी कविता ने अपने काम को बहुत फैला लिया। उसने अपने दायरे से बाहर देखना शुरू किया। उसने अपनी और अपने से गुजर रहे जन की आंखें पीछे की ओर भी उत्पन्न कीं और इस प्रकार वास्तविक शत्रुओं की शिनाख्त की।’
अविनाश मिश्र ने देवीप्रसाद मिश्र की कविता को ‘आसाधारणता का तापमान’ की संज्ञा दी है और निश्चय ही नवें दशक की कविता का ऐसा परिदृश्य उजागर होता है जो उनके अनुभवों में से छनकर सामने आया। अष्टभुजा शुक्ल की कविता में हमारे समय की खतरनाक खबरें दर्ज हैं तो कुमार अंबुज की कविता में करुण, क्रूर और कठिन यथार्थ हमसे मुखातिब है।
सविता सिंह की कविता की मार्फत स्त्रियों का यातनामय यथार्थ उद्वेलित करता है। अनीता वर्मा की कविता में एक सांगीतिक यति और गति है जो उनकी कविता को निजता प्रदान करती है। निर्मला गर्ग की कविताएं इस दृष्टि से मानीखेज हैं कि वह स्त्री-विमर्श से अधिक वर्ग-विमर्श को अधिमान देती हैं और रेखांकित करती हैं कि स्त्रियां भी अत्याचारी, भ्रष्ट हो सकती हैं। हरीश चन्द्र पांडे और कृष्ण कल्पित की कविताएं अपने समवेत पाठ में अपने समकाल के कविता-समय में सार्थक उपस्थिति दर्ज करती हैं। वस्तुतः कृति ‘नवां दशक’ में इन आलेखों में निर्णायक कविता-समय को उसकी समग्रता में पकड़ा है।

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पुस्तक : नवां दशक लेखक : अविनाश मिश्र प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 198 मूल्य : रु. 299.

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