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भारतीय अर्थव्यवस्था की जमीनी पड़ताल

08:22 AM Sep 08, 2024 IST
भारतीय अर्थव्यवस्था की जमीनी पड़ताल
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पुस्तक : आर्थिक सफरनामा लेखक : डॉ. पीएस वोहरा प्रकाशक : भारती पब्लिकेशन्स, नयी दिल्ली पृष्ठ : 252 मूल्य : रु. 200.

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आलोक पुराणिक

अर्थव्यवस्था एक जटिल और गंभीर विषय है, और इस पर आम तौर पर किताबें अंग्रेजी में आती हैं। हिंदी में हाल ही में एक महत्वपूर्ण किताब आई है, ‘आर्थिक सफरनामा’, जिसमें जमीनी स्तर पर अर्थव्यवस्था की पड़ताल की गई है। इस किताब में कई महत्वपूर्ण तथ्य रेखांकित किए गए हैं।
किताब के लेखक पी.एस. वोहरा लिखते हैं कि भारत का आम आदमी आर्थिक समस्याओं के कारण मुश्किल में फंसा हुआ है। बेरोजगारी इसका मुख्य कारण है। बेरोजगारी के आंकड़े निश्चित रूप से भयभीत करने वाले हैं और यह स्पष्ट करते हैं कि बेरोजगारी किस प्रकार से देश के आर्थिक विकास को रोकती है। बेरोजगारी की समस्या के मूल कारणों में एक प्रमुख कारण कृषि क्षेत्र का आधुनिकीकरण न होना है। इसके परिणामस्वरूप, कृषि क्षेत्र का भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान 50 प्रतिशत से घटकर 15 से 20 प्रतिशत के बीच आ गया है। दूसरी ओर, औद्योगिक नीतियों में उत्पादन क्षेत्र को अधिक प्राथमिकता नहीं दी गई है, जिससे आबादी का एक बहुत बड़ा भाग रोजगार की सुविधाओं से वंचित रह गया है।
यह महत्वपूर्ण है कि कृषि से पर्याप्त रोजगार नहीं आ रहे हैं और औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन क्षेत्र की वृद्धि बहुत धीमी है। यदि औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन क्षेत्र का विकास होता है, तो इससे बेहतर रोजगार अवसर उत्पन्न होंगे और जीवन स्तर में वृद्धि होगी। रोजगार और गुणवत्ता वाले रोजगार में फर्क होता है। काम भर का रोजगार सबके लिए संभव हो जाता है, लेकिन गुणवत्ता वाले रोजगार अवसरों की कमी बनी रहती है। यह बात इस किताब में स्पष्ट रूप से रेखांकित की गई है।
पी.एस. वोहरा फील्ड वर्क करते हुए गोलगप्पे वाले तक पहुंचते हैं और उसकी आर्थिक जद्दोजहद को दर्शाते हुए लिखते हैं कि यह व्यक्ति प्रतिदिन पांच से छह किलोमीटर तक आसपास के क्षेत्रों में चलता है और लोगों को अपने खाद्य पदार्थ बेचता है। इसके लिए वह दोपहर 3 बजे से रात 10 बजे तक काम करता है। हालांकि, खाद्य पदार्थ तैयार करने के लिए वह सुबह 4 बजे से ही प्रयास शुरू कर देता है। कुल मिलाकर, वह प्रतिदिन चौदह घंटे काम करता है, लेकिन फिर भी उसकी औसत आमदनी 500 रुपये प्रतिदिन होती है। यही वजह है कि उसका जीवन आर्थिक संघर्ष से भरा पड़ा है।
अर्थव्यवस्था की जमीनी सच्चाई को बार-बार रेखांकित करने के कारण यह किताब महत्वपूर्ण है।

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