For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

सफाई के नाम पर खानापूर्ति, मिट्टी से भरे साइफन

09:09 AM Jul 04, 2024 IST
सफाई के नाम पर खानापूर्ति  मिट्टी से भरे साइफन
गुहला चीका में मिट्टी की निकासी पूरी तरह से न होने के कारण बंद पड़े हांसी-बुटाना नहर के साइफन। -निस
Advertisement

जीत सिंह सैनी/निस
गुहला चीका, 3 जुलाई

Advertisement

क्षेत्र में पिछले साल बाढ़ से हुई तबाही से प्रशासन ने कोई सबक नहीं सीखा, यही कारण है कि बाढ़ से बचाव के लिए जो कार्य दिख रहे हैं, जमीनी हकीकत उनके विपरीत हैं। यदि इस बार भी अधिक बरसात हुई तो गुहला क्षेत्र को एक बार फिर से बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ सकती है।

यहां 48 साइफन हैं, जिसमें से एक से भी पूरी तरह से मिट्टी नहीं निकाली गई। सफाई के नाम पर खानापूर्ति की गई। जिससे बारिश में पानी का बहाव बाधित होता है, जिसके चलते गांवों में एकबार फिर बाढ़ की आंशका है।

Advertisement

गौरतलब है कि प्रदेश की दो प्रमुख बरसाती नदियां मारकंडा व घग्गर नदी गांव सिंह के पास आकर मिलती है और आगे यह घग्गर नदी के रूप में बहती है।

गांव सरोला के पास घग्गर नदी के ऊपर से हांसी बुटाना नहर को गुजारा गया है। नहर को घग्गर के ऊपर से गुजारने के लिए एक बड़े साइफन का निर्माण किया गया है और घग्गर का पानी हांसी बुटाना नहर के नीचे से आसानी से गुजर सके इसके लिए 22 फुट ऊंचा पुल बनाया गया है।

बरसात के समय घग्गर नदी में पानी के साथ बहकर आने वाली मिट्टी व रेत इन साइफनों में जमा हो जाती है जिससे पानी का बहाव बाधित होता है और ऊपरी क्षेत्र में पानी तेजी से घग्गर नदी से बाहर निकलने लगता है।

पिछले साल भी साइफन की पर्याप्त सफाई न होने की वजह से घग्गर नदी के पानी की निकासी नहीं हो पाई, जिसके चलते पानी गांव ढंढोता, खराल गांव की तरफ से तेजी से घग्गर नदी से बाहर निकल आया और टो वॉल व हांसी बुटाना नहर को ध्वस्त करते हुए गुहला क्षेत्र के कई गांवों में फैल गया।

इसी बाढ़ के चलते गुहला क्षेत्र में चार लोगों की जान चली गई थी व लगभग कई पशु बाढ़ में मारे गए थे। हजारों एकड़ में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई थी व मकान, ट्यूबवैल व सड़कों को भारी नुकसान हुआ था जिसका खमियाजा लोग एक साल बाद भी भुगत रहे हैं।

ऐसा लगता है कि नहरी विभाग ने पिछले साल बाढ़ से हुई तबाह से कोई सबक नहीं लिया और एक साल में घग्गर नदी के साइफनों की सफाई को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई। यदि इस बार भी सामान्य से अधिक बरसात होती है तो गुहला क्षेत्र के लोगों को एक बार फिर से बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ सकती है।

समय पर शुरू नहीं होता काम

हांसी बुटाना नहर के साइफनों में बरसात के दिनों में इतनी मिट्टी जमा होती है कि उसे पूरी तरह से खाली करने में तीन से चार माह का समय लग जाए लेकिन नहरी विभाग के अधिकारी हर बार इस काम को बरसात से मात्र कुछ दिन पहले शुरू करते है, जिसके चलते काम पूरा नहीं हो पाता और बंद साइफन हर बार बाढ़ का कारण बनते हैं। इस बार भी साइफनों की सफाई की मात्र औपचारिकता पूरी की गई है। 48 साइफनों में से एक से भी पूरी तरह से मिट्टी नहीं निकाली गई है।

अधिकारियों, ठेकेदार पर मिट्टी बेचने के आरोप

साइफनों की सफाई के लिए पिछले दिनों टेंडर छोड़ा गया था। साइफन के बीस ब्लॉकों की मिट्टी निकाली जानी थी लेकिन ठेकेदार ने मात्र कुछ दिन दो-तीन मशीनों से मिट्टी निकालने का काम किया गया जो की अपर्याप्त था। किसान यूनियन ने आरोप लगाया कि ठेकेदार अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर मिट्टी को बाजार में बेचकर मुनाफा कमा रहा है। डीसी ने जांच कमेटी का गठन किया तो ठेकेदार अगले ही दिन काम बंद कर गया जबकि इन दिनों में एक भी ब्लाक से पूरी तरह से मिट्टी नहीं निकाली जा सकी थी।

ठेकेदार को केवल 20 ब्लाक से मिट्टी निकालने का ठेका दिया था, जो वह पूरा कर गया है। मिट्टी बेचे जाने के आरोप निराधार है। सरोला साइफन से माइनिंग की तर्ज पर मिट्टी निकाले जाने की जरूरत है। अगली बार सरकार को सिफारिश की जाएगी कि रायल्टी बैस पर मिट्टी निकाले का टेंडर छोड़ा जाए। ऐसा करने से जहां साइफन की पूरी तरह से सफाई हो सकेगी वहीं सरकार को भी करोड़ों रुपए का राजस्व प्राप्त होगा। बाढ़ बचाव के कार्य पूरी शिद्दत से किए जा रहे है।
-अजमेर सिंह, एसडीओ नहरी विभाग चीका।

Advertisement
Tags :
Advertisement