मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
रोहतककरनालगुरुग्रामआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

परदेस होता देश

07:31 AM Jun 17, 2024 IST
Advertisement

साधना वैद

भूमंडलीकरण एवं बाजारवाद ने आज के युग में हर परिवार की जीवनशैली पर बड़ी तेज़ी से असर डाला है। पहले हर प्रांत की, हर देश की एक विशिष्ट वेशभूषा, संस्कृति और एक ख़ास तरह का खान-पान होता था, लेकिन अब सबकी वेशभूषा, खान-पान, तीज-त्योहार सब एक जैसे होते जा रहे हैं। इसका श्रेय भूमंडलीकरण को ही जाता है। देश-विदेश की फ़िल्में, टीवी धारावाहिक और तेज़ी से पैर पसारते सोशल मीडिया ने भूमंडलीकरण को विस्तार देने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।
पश्चिमी देशों के खानपान इत्यादि भारत में भी हर शहर के हर क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय हैं। भारत के गांव भी इससे अछूते नहीं रह गए हैं। वैसे ही भारत के छोले-भटूरे, समोसे जलेबी, इडली-डोसा, ढोकला थेपले, आलू-टिक्की, दही-बड़ा भी विदेशों में बहुत लोकप्रिय हो चुके हैं। इसी तरह अब युवा लड़के-लड़कियों ने विदेशी वेशभूषा को अपना लिया है। आप किसी भी पर्यटन स्थल पर जाइए अधिकतर युवा लड़के-लड़कियां एक ही तरह की कटी-फटी जींस, एक ही तरह के ढीले-ढाले टॉप और आंखों पर बड़े साइज़ के विभिन्न रंगों के गॉगल्स चढ़ाए दिख जायेंगे। अब अगर आप उनकी कुण्डली खोलने के लिए बहुत आतुर हैं तो अनुमान लगाते रहिये कि ये किस देश से यहां आये होंगे।
साहित्य भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं है। भाषा पर भी इसका प्रभाव पड़ा है। अध्ययन या नौकरी के सिलसिले में युवा पीढ़ी का बाहरी देशों में जाने का सिलसिला बढ़ा है। आज की पीढ़ी अंग्रेज़ी की पुस्तकें पढ़ना अधिक पसंद करती है। हिन्दी का कोई उपन्यास अगर पढ़ना चाहें भी तो वे उसका अंग्रेज़ी में अनूदित वर्जन ही पढ़ना चाहेंगे। यहां तक कि बच्चों के लिए भी अगर कॉमिक्स खरीदना हों तो वे अमरचित्र कथा, पंचतंत्र या जातक कथाओं के कॉमिक्स भी अंग्रेज़ी भाषा में अनूदित ही खरीदते हैं क्योंकि बच्चे ढाई-तीन साल की उम्र से ही अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूलों में पढ़ते हैं। अंग्रेज़ी का वर्चस्व इतना अधिक बढ़ चुका है तो बेस्ट सेलर्स भी अंग्रेज़ी के उपन्यास ही अधिक होते हैं।
यह सब भूमंडलीकरण का ही प्रभाव है। अभी देखना होगा कि यह प्रभाव और किस हद तक ले जाता है। एक स्तर तक तो ऐसा प्रभाव बहुत अच्छा है, लेकिन कुछ मामलों में इससे चिंताएं भी बढ़ती हैं। हालांकि, समय के साथ सब परिवर्तन होता रहा है, लेकिन यह प्रभाव तो उल्लेखनीय है ही।
साभार : सुधीनामा डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

Advertisement

Advertisement
Advertisement