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शक्ति और समर्पण का महोत्सव

10:20 AM Sep 30, 2024 IST

आर.सी. शर्मा

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मां दुर्गा देवताओं की सामूहिक शक्ति का एकाकार रूप हैं। इसी महाशक्ति की बदौलत उन्होंने तीन लोकों को त्रस्त करने वाले राक्षसों के राजा महिषासुर का वध किया था। संस्कृत में ‘दुर्गा’ शब्द का मतलब होता है—जिससे पार न पाया जा सके, जो अभेद्य हो। मां दुर्गा मातृशक्ति का अभेद्य और अपराजित रूप हैं। शारदीय नवरात्रि की आराधना और आध्यात्म में डूबी पांच महारातें मातृशक्ति का महोत्सव होती हैं। इनमें पहली रात है—
महापंचमी
शारदीय नवरात्रि में महापंचमी के दिन जगत जननी मां दुर्गा और महाकाल की विशेष पूजा होती है। पौराणिक कथा के मुताबिक, शक्ति रूप मां दुर्गा और असुर महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध चला था और दसवें दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का संहार करके धरती को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। इसलिए नवरात्र के दसवें दिन जहां विजयादशमी मनाई जाती है, वहीं पांचवें दिन का महत्व महापंचमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन देवी स्कंदमाता की पूजा होती है, जो कि भगवान कार्तिकेय की मां हैं और दुर्गा के नौ रूपों में एक हैं। महापंचमी वह दिन था, जब मां दुर्गा, महिषासुर पर भारी पड़ने लगी थीं। इसलिए दुर्गा पूजा में जो छह दिन की पूजा होती है, उसकी शुरुआत महापंचमी से ही होती है।
महाषष्ठी
शारदीय नवरात्रि के छठे दिन को महाषष्ठी कहते हैं। इस दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है। मां कात्यायनी को शेर पर सवार दिखाया जाता है। उनके बाएं हाथ में तलवार और कमल है, जबकि दाहिने हाथ में अभय और वरद मुद्राएं हैं। मां कात्यायनी की पूजा से विवाह संबंधी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इस दिन माता के सामने पूरी रात घी का दीया जलाना चाहिए। मां कात्यायनी की पूजा के लिए नारियल पर लाल चुन्नी लपेटकर और कलावा लगाकर पूजा करनी चाहिए।
महासप्तमी
शारदीय नवरात्रि में सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा होती है। शारदीय नवरात्रि में सप्तमी की पूजा मध्यरात्रि में करने से बहुत पुण्य होता है। मां दुर्गा ने यह रूप धरकर शुंभ-निशुंभ दैत्यों का वध इसी रात को किया था। मां कालरात्रि का रंग काला है। इन्हें मां कालरात्रि इसलिए कहा जाता है, क्योंकि मां का यह स्वरूप काल का विनाश करता है। इस दिन पूजा करने वालों को मां कालरात्रि शत्रुओं पर विजय का वरदान देती हैं। मां कालरात्रि की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
महाअष्टमी
इस दिन मां दुर्गा ने चंड-मुंड नामक राक्षसों का वध किया था। इस दिन जो भी मां की पूजा करता है, मां उसके जीवन के सभी तरह के दुख हर लेती हैं और उसे शत्रुओं पर विजय का वरदान देती हैं। महाअष्टमी के दिन मां भगवती की पूजा करने वालों को सभी तरह के धन और वैभव से सम्पन्नता हासिल होती है। इस दिन मां दुर्गा का महागौरी रूप पूजा जाता है। इस दिन कन्याओं को मां के पूजा स्वरूप खीर, मालपुए, पूरणपोली आदि का भोजन कराना चाहिए और मिष्ठान तथा तिल-गुड़ देना चाहिए।
महानवमी
नवरात्रि के नवें दिन महानवमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माना जाता है कि मां दुर्गा ने महिषासुर के विरुद्ध युद्ध करते हुए अपनी समस्त दिव्य शक्तियों का इस्तेमाल किया था और मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर को हराया था। इस दिन मां दुर्गा का जो सिद्धिदात्री रूप है, वह उनके नवरूपों में से अंतिम रूप है। इस दिन मां की पूजा करने पर वे साहस, शक्ति और दृढ़ संकल्प का वरदान देती हैं। इस दिन की पूजा से नौ दिनों की पूजा पूर्ण और सम्पन्न होती है।
महादशमी
उत्तर भारत में आमतौर पर नवें दिन ही नवरात्रि समाप्त मान लिए जाते हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और उत्तर पूर्व में जहां दुर्गा पूजा की परंपरा है, वहां विजयादशमी या महादशमी को अंतिम पूजा का दिन माना जाता है। माना जाता है कि नवें दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर को हरा दिया था और वह माया के बल पर गायब हो गया था। विजयादशमी को अंतिम रूप से उन्होंने उसका वध किया था। इसी दिन भगवान राम ने भी लंकापति रावण का वध किया था, इसलिए इस दिन दशहरा भी मनाया जाता है। इ.रि.सें.

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