पीजीआई मरीजों के लिए वरदान
मनीमाजरा (चंडीगढ़), 8 जुलाई (हप्र)
उत्तर भारत के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थानों में से एक पीजीआई मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। पीजीआई में रोजाना 10 हजार से ज्यादा मरीज इलाज के लिए आते हैं। मरीजों का विश्वास ही है जो वे पीजीआई में इलाज करवाते हैं। चंडीगढ़ के आसपास के सात प्रदेशों में अनगिनत नए मेडिकल कॉलेज और निजी अस्पताल बन चुके हैं। लेकिन, आज भी जब कोई बीमार पड़ता है तो सबसे पहले जान बचाने के लिए पीजीआई का ही नाम आता है। पीजीआई का एल्युमनाई होने के नाते यह मेरे लिए गर्व की बात है। यह बातें सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा के महानिदेशक ले. जनरल दलजीत सिंह ने पीजीआई के 61वें स्थापना दिवस समारोह में मंगलवार को बतौर मुख्य अतिथि कहीं। उन्होंने चिकित्सा और राष्ट्र थीम पर विचार व्यक्त कर डॉक्टरों में उर्जा का संचार किया। उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि पीजीआई के संस्थापकों की विरासत का सम्मान करना चाहिए। दलजीत सिंह ने कहा कि दूसरों के रास्ते पर चलने की बजाय जीवन में अपना रास्ता स्वयं चुनने का जज्बा होना बेहद जरूरी है। राष्ट्र से जुड़े होने की भावना महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम में पीजीआई निदेशक प्रो. विवेक लाल ने सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं की सरहाना की और कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि मुख्य अतिथि ने सभी को फौज के हिडेन रूप से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि फौजी डॉक्टरों के बलिदान के बारे में सुनकर वाकई सिर नमन में झुक गया। उन्होंने कहा कि सितंबर के अंत तक न्यूरोसाइंस सेंटर जनता को समर्पित कर दिया जाएगा। इस अवसर पर संस्थान के तीस कर्मचारियों को उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए सम्मानित किया गया।