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दादा की ‘विरासत’ के लिए भाई-बहन में छिड़ी बड़ी जंग

06:57 AM Sep 18, 2024 IST
दादा की ‘विरासत’ के लिए भाई बहन में छिड़ी बड़ी जंग
गोलागढ़ गांव स्थित चौ़ बंसीलाल व सुरेंद्र सिंह का समाधि स्थल। (दाएं) गोलागढ़ मेंे हुक्के पर राजनीतिक चर्चा में व्यस्त ग्रामीण। -दैनिक टि्रब्यून
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
गोलागढ़, 17 सितंबर
भिवानी जिले के तोशाम विधानसभा क्षेत्र में इस बार एक ही परिवार के दो लोगों के बीच ‘विरासत’ को लेकर जंग छिड़ी है। चचेरे भाई-बहन के बीच हो रहे इस चुनावी महासंग्राम की वजह से सबसे अधिक धर्म संकट में गोलागढ़ गांव के लोग हैं। यह पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत चौ. बंसीलाल का पैतृक गांव है। परिवार के बीच जमीन-जायदाद की लड़ाई तो बरसों से कोर्ट में चल रही है, लेकिन यह पहला मौका है जब बंसीलाल की पोती और पोता चुनाव में आमने-सामने हैं। तोशाम हलके का गोलागढ़ गांव आबादी के हिसाब से भले ही छोटा हो, लेकिन पूरे हरियाणा में चर्चित है। देश के रक्षा और रेल मंत्री भी रहे बंसीलाल कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री बने। वह अपनी खुद की हरियाणा विकास पार्टी की सरकार में भी मुख्यमंत्री रहे।
गोलागढ़ गांव में मुख्य सड़क मार्ग पर ही स्थित बंसीलाल तथा उनके छोटे बेटे व पूर्व कृषि मंत्री सुरेंद्र सिंह के समाधि स्थल पर इस बेल्ट के हलकों से चुनाव लड़ने वाले अधिकांश दलों के नेता नतमस्तक होते हैं।
बंसीलाल का प्रभाव इस बेल्ट में आज भी कायम है। आधुनिक हरियाणा के निर्माता कहे जाने वाले बंसीलाल के कार्यों को याद करके गोलागढ़ गांव के लोगों का सीना गर्व से फूल जाता है। यहां के लोगों की दुविधा इसलिए बढ़ गई है, क्योंकि भाजपा के टिकट पर सुरेंद्र सिंह की बेटी व पूर्व सांसद श्रुति चौधरी चुनाव लड़ रही हैं। श्रुति को तोशाम से टिकट दिया गया है।
बंसीलाल के बड़े बेटे व पूर्व विधायक रणबीर सिंह महेंद्रा बाढड़ा से लगातार तीन बार चुनाव हारे। महेंद्रा ने इस बार अपने बेटे अनिरुद्ध चौधरी को चुनाव लड़वाने का फैसला किया और अनिरुद्ध को बाढड़ा के बजाय तोशाम से टिकट दिया गया। तोशाम में 1967 से लेकर अभी तक यह पहला मौका होगा, जब भाई-बहन ही एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।
पहले सुरेंद्र सिंह और इसके बाद चौ. बंसीलाल के निधन के बाद रणबीर सिंह महेंद्रा और किरण चौधरी के बीच विरासत को लेकर जंग भी हुई। बंसीलाल की प्रॉपर्टी को लेकर मामला कोर्ट में भी चल रहा है। उस समय गोलागढ़ गांव की पंचायत ने दोनों परिवारों में सुलह कराने की कोशिश भी की, लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ पाई। इसके बाद पांच गांवों और फिर पूरे तोशाम हलके ने भी परिवार में एकजुटता बनाने के प्रयास किए। जब किसी भी स्तर पर बातचीत सिरे चढ़ती नहीं दिखी तो हलके ने भी खुद को इस विवाद से दूर कर लिया।
किरण ने संभाली थी ससुर-पति की विरासत : बंसीलाल की पुत्रवधू और सुरेंद्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी नयी दिल्ली की राजनीति में एक्टिव रहीं। वह दिल्ली विधानसभा की डिप्टी स्पीकर भी रहीं। 2005 में हुड्डा सरकार में कृषि मंत्री बने चौ. सुरेंद्र सिंह के हेलीकॉप्टर हादसे में निधन के बाद किरण चौधरी को दिल्ली से हरियाणा की राजनीति में आना पड़ा। 2005 में तोशाम में उन्हें उपचुनाव में जीत मिली।
इसके बाद वह 2009, 2014 और 2019 में भी तोशाम से विधायक बनीं। किरण चौधरी हरियाणा में हुड्डा के नेतृत्व वाली दस वर्षों की सरकार में दोनाें टर्म में मंत्री भी रहीं।

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भिवानी में गोलागढ़ स्थित पूर्व सीएम चौ. बंसीलाल का पैतृक घर।

किरण के फैसले पर एतराज नहीं : बंसीलाल की पुत्रवधू कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई हैं। इस राजनीतिक घटना पर तोशाम हलके के लोगों को कोई एेतराज नहीं है। ग्रामीण किरण चौधरी द्वारा किए गए कार्यों को भी याद करते हैं। हालांकि अब ग्रामीण धर्म संकट में हैं। एक ही परिवार के बेटा-बेटी के आमने-सामने चुनाव लड़ने से वे खुलकर कुछ नहीं बोल पा रहे हैं। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों के गांवों में कई-कई राजनेता निकले हैं, लेकिन गोलागढ़ से बंसीलाल परिवार के अलावा कोई भी राजनीति में एक्टिव नहीं हुआ।

बंसीलाल के भतीजे के पास पुरानी हवेली

बंसीलाल के पिता चौ. मोहर सिंह के तीन और भाई थे। इनमें सांवत राम, गुज्जाराम और गोपाल सिंह शामिल हैं। परिवार में बंसीलाल ने ही राजनीति में कदम रखा। बंसीलाल के भतीजे मान सिंह ही अब चौ. बंसीलाल की हवेली की देखरेख करते हैं। बंसीलाल का जन्म गोलागढ़ में ही हुआ। उनके घर में वह कमरा आज भी मौजूद है, जिसमें बंसीलाल अपनी पढ़ाई किया करते थे।
गांव में मनाते थे दिवाली
रमेश, राजबीर जांगड़ा, मान सिंह, महेंद्र बिजरानियां और आनंद शर्मा बताते हैं कि दिवाली के मौके पर बंसीलाल गांव में आया करते थे। वह ग्रामीणों के साथ बैठ जाते और उनके दुख-सुख साझा करते। ग्रामीण बताते हैं कि बंसीलाल प्रदेश के अकेले ऐसे नेता रहे, जिन्होंने अपने गांव में कभी भी भाषण नहीं दिया। वे लोगों के बीच बैठते थे और उनकी समस्याएं सुनते थे। लिफ्ट इरिगेशन, बिजली-पानी, सड़कें, नहरें सहित कई ऐसे प्रोजेक्ट्स हैं, जो बंसीलाल की ही देन हैं।

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