परिणय-सूत्र में बंधे देश, विदेश के 96 युगल
समालखा, 21 नवंबर (निस)
संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल में बृहस्पतिवार को निरंकारी सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया गया। सादगी से भरे इस समारोह में देश-विदेश के 96 युगल परिणय सूत्र में बंधे। इस अवसर पर बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हिमाचल-प्रदेश, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, मध्य-प्रद्रेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के अतिरिक्त आस्ट्रेलिया, यूएसए से आये युगलों सतगुरु माता सुदीक्षा एवं राजपिता रमित की उपस्थिति में परिणय सूत्र में बंधे तथा उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। संत निरंकारी मंडल के सचिव जोगिन्दर सुखीजा ने बताया कि समाज कल्याण विभाग की ओर से आयोजित निरंकारी विवाह समारोह में निरंकारी मिशन के अधिकारी, वर-वधू के माता-पिता, सगे-संबंधी एवं मिशन के अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे। सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आरम्भ पारम्परिक जयमाला एवं निरंकारी शादी के विशेष चिन्ह सांझा-हार द्वारा हुआ। उसके उपरांत भक्तिमय संगीत के साथ निरंकारी लावों का हिंदी भाषा में प्रथम बार गायन हुआ, जिसकी प्रत्येक पंक्ति में नव विवाहित युगलों के सुखमयी गृहस्थ जीवन हेतु अनेक कल्याणकारी शिक्षाएं प्रदान की गई। थी। नव विवाहित युगलों पर सतगुरु माता सुदीक्षा, निरंकारी राजपिता रमित एवं वहां उपस्थित सभी जनों ने पुष्प-वर्षा की और उनके कल्याणमयी जीवन के लिए आशीर्वाद प्रदान किया गया। नव विवाहित जोड़ों को आशीर्वाद देते हुये सतगुरु माता सुदीक्षा ने कहा कि गृहस्थ जीवन के पवित्र बंधन में नर और नारी दोनों का ही समान स्थान होता है, जिसमें कोई बड़ा अथवा छोटा नहीं अपितु दोनों की महता बराबर की होती है। यह एक अच्छी सांझेदारी का उदाहरण है। सतगुरु माता ने सांझे हार के प्रतीक का उदाहरण दिया कि जिस प्रकार सांझा हार एकता के भाव को दर्शाता है ठीक उसी प्रकार गृहस्थ जीवन में रहकर सभी रिश्तों को महत्व देते हुए, सबके प्रति आदर भाव अपनाकर अपनी जिम्मेदारियों को निभाना है।