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पानीपत थर्मल प्लांट पर 6.9 करोड़ का जुर्माना

07:06 AM Nov 10, 2024 IST
पानीपत थर्मल प्लांट पर 6 9 करोड़ का जुर्माना
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भरतेश सिंह ठाकुर/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 9 नवंबर
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वायु एवं मृदा प्रदूषण के लिए पानीपत थर्मल पावर स्टेशन को 6.93 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा चुकाने का आदेश दिया है। जुर्माने की गणना एक पैसा प्रति टन फ्लाई ऐश प्रतिदिन की दर से की गई है। एक अक्तूबर, 2022 से 30 जून, 2024 तक 639 दिनों में जमा हुई 108 लाख टन राख के आधार पर जुर्माना तय किया
गया है।
ट्रिब्यूनल ने 22 सितंबर, 2022 को पावर स्टेशन के खिलाफ एक याचिका पर संज्ञान लिया था और 11 जुलाई, 2024 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। पानीपत के सुताना गांव के निवासी शुभेंदर ने शिकायत की थी कि गर्मी के मौसम के दौरान पावन स्टेशन से उड़ने वाली राख सुताना, जाटल, खुखराना, उंटला और आसन सहित आस-पास के गांवों में फैल जाती है, जिससे लोगों को श्वसन संबंधी गंभीर समस्याएं व परेशानी होती है। जांच के लिए एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पानीपत के डिप्टी कमिश्नर की एक संयुक्त कमेटी बनाई थी।
पीएम-10 और पीएम-2.5 का स्तर अधिक : जांच कमेटी ने 10 अप्रैल, 2023 की अपनी रिपोर्ट में पाया कि दिसंबर 2022 और जनवरी 2023 के बीच परीक्षण किए गये सभी आठ स्थानों पर पीएम-10 और पीएम-2.5 का स्तर मानकों से अधिक था। पीएम-10 की सांद्रता 155 से 432 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (मानक 100 की तुलना में) तक थी। पीएम-2.5 का स्तर 66 से 275 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (मानक 60 की तुलना में) तक था।
मिट्टी में निकेल, जिंक ज्यादा : इसके अतिरिक्त, समिति ने जांच में पाया कि निकेल की सांद्रता दो स्थानों और बेंजीन की सांद्रता चार स्थानों पर सीमा से अधिक थी। समिति ने कहा, ‘मिट्टी के विश्लेषण से पता चला है कि निकेल और जिंक की सांद्रता विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुशंसित लक्ष्य मूल्यों से अधिक थी, जो पानीपत थर्मल पावर स्टेशन द्वारा अवैज्ञानिक राख निपटान और प्रबंधन के प्रभाव को दर्शाता है।’

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ग्रीन बेल्ट स्थापित करने का भी निर्देश

ग्रीन बेल्ट के संबंध में पावर स्टेशन ने कहा कि लगभग 98,000 पेड़ लगाए गये, हालांकि उनमें से कितने बचे, यह पुष्टि नहीं की गयी। एनजीटी ने इस प्रयास की आलोचना करते हुए कहा, ‘अस्तित्व सुनिश्चित किए बिना केवल पेड़ लगाना प्रभावी उपाय नहीं है।’ एनजीटी ने संयंत्र को तय क्षेत्र के भीतर एक स्थायी ग्रीन बेल्ट स्थापित करने का निर्देश दिया, जिससे अगले पांच वर्षों तक विभिन्न प्रजातियों का अस्तित्व सुनिश्चित हो सके। ट्रिब्यूनल ने कहा, ‘जब कानूनों और मानदंडों का उल्लंघन करने वाली अवैध गतिविधियों के कारण पर्यावरण को नुकसान होता है, तो उल्लंघनकर्ता क्षतिग्रस्त पर्यावरण के सुधार और कायाकल्प से जुड़ी लागत के लिए उत्तरदायी होता है।’

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