‘कॉर्पोरेट घरानों को भूमि अधिग्रहण की मिली छूट’
रोहतक, 26 अगस्त (हप्र)
अखिल भारतीय किसान सभा ने प्रदेश सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन को किसान विरोधी बताया और चेतावनी दी है कि इस निर्णय के खिलाफ आंदोलन छेड़ा जाएगा। किसान सभा के राज्य कार्यकारी सचिव सुमित सिंह ने बताया कि इस मामलेे को लेकर बृहस्पतिवार को राज्य प्रधान फूल सिंह श्योकंद की अध्यक्षता में बैठक हुई। बैठक में हरियाणा सरकार के नये कदम जिसमें भूमि अधिग्रहण अधिनियम (एलएआरआर 2013) में संशोधन की कड़ी निंदा और विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह किसानों की सहमति के बिना पीपीपी की आड़ में कॉर्पोरेट घरानों को अधिग्रहण की खुली छूट देता है। सुमित सिंह ने आरोप लगाया कि पिछले दरवाजे से किसान विरोधी संशोधन लाने का सरकार का यह प्रयास है, जिसे सरकार वर्ष-2015 में किसान आंदोलन के दबाव में लागू करने में विफल रही थी। किसान सभा के राज्य प्रधान फूल सिंह श्योकंद ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के लिए बनाए कानून में जमीन अधिग्रहण के लिए 70 प्रतिशत किसानों की सहमति, पुनर्वास की योजना और फसलों के उत्पादन व जलवायु पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन जरूरी है। कुछ राष्ट्रहित के मामलों जैसे सुरक्षा, रक्षा, वहनीय आवास योजना, वैकल्पिक रोजगार, औद्योगिक कोरिडोर, मेट्रो, रेलवे, ग्रामीण विकास, विद्युतिकरण में ही ये शर्तें लागू न करने का प्रावधान है। अब सरकार ने पीपीपी मोड वाले प्रोजेक्टों के लिए भी किसानों की सहमति व अन्य शर्तों को समाप्त कर दिया है। सरकार के इन नए प्रावधानों में खेतों में बने भवनों को भी तोड़ने का प्रावधान है।