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14वां राष्ट्रीय शिल्प मेला देसी घी के जलेब की मांग, केसरिया मलाई दूध बना सबकी पसंद!

06:37 AM Dec 04, 2024 IST
14वां राष्ट्रीय शिल्प मेला देसी घी के जलेब की मांग  केसरिया मलाई दूध बना सबकी पसंद
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एस.अग्निहोत्री/ हप्र
मनीमाजरा (चंडीगढ़), 3 दिसंबर (हप्र)
14वें राष्ट्रीय शिल्प मेले में जहां कला और संस्कृति का अनुभव लेने के लिए लोग पहुंच रहे हैं, वहीं कुछ लोग स्वादिष्ट व्यंजनों को भी चखने कलाग्राम आ रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा मांग हरियाणा से आए जलेब की है। साथ ही उसके मिश्री मलाई दूध परोसा जा रहा है जो इसके स्वाद को दोगुना कर देता है। हरियाणा का गोहाना हमेशा से ही अपने बड़े जलेब के लिए पहचाना जाता रहा है। कलाग्राम में रोजाना मेला शुरू होने से पहले ही गोहाना से आए कारीगर जलेब बनाना शुरू कर देते हैं। शुद्ध देसी घी में बन रहे जलेब की महक ही सभी को अपनी ओर खींचने के लिए काफी है और ताऊ अजीत सिंह जी के मशहूर जलेब का स्वाद सभी की उम्मीदों पर खरा भी उतरता है। इसके साथ यहां परोसा जा रहा है मिसरी मलाई वाला केसरिया कुल्हड़ दूध। इसे आप शाम के समय गर्म भी पी सकते हैं और दोपहर को ठंडा भी।
मुंबई की गली भी मौजूद : मुंबई स्ट्रीट भी मेले में मौजूद है। यहां पर मुंबई का खास मिसल पाव और तवा पुलाव परोसा जा रहा है। इसके अलावा मसाला पाव, वड़ा पाव, पुरण पोली, कांधा पोहा, स्पेशल पाव भाजी, साबूधाना खिचड़ी, भेल पूरी के साथ खास मराठा थाली भी मौजूद है। मेले में सुबह के समय कई स्कूल ग्रुप पहुंच रहे हैं और ऐसे में बच्चों का पसंदीदा चाइनीज भी उन्हें तैयार मिलता है। अलग-अलग राज्यों के खाने को चखने के बाद उनके पैर यहां जरूर थम जाते हैं। सिक्किम चाइनीज कॉर्नर पर उन्हें चाऊमीन, फ्राइड राइस, चिल्ली पनीर, चिल्ली पोटैटो, स्प्रिंग रोल, मोमोज के साथ वेज कॉम्बो भी मिल रहा है।

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‘इन्हां बड़ियां जो तुड़का लायां ओ ठेकेदारनिये... से गूंजा कलाग्राम

मंगलवार शाम को शिल्प मेले में हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध गायक काकू राम ठाकुर और पहाड़ी लोक गायन की रानी गीता भारद्वाज ने लोक संगीत प्रस्तुत किया। ठाकुर के गीत ‘चिट्टा तेरा चोला काला डोरा’, ‘इन्हां बड़ियां जो तुड़का लायां ओ ठेकेदारनिये’, ‘चंबा उआर के नदिया पार’ शामिल हैं, पर संगीत प्रेमी खूब झूमे। भारद्वाज ने अपने लोकप्रिय गाने गाकर संगीतमय शाम में और अधिक रंग भर दिया। इससे पूर्व सुबह मंच पर मुरली राजस्थानी द्वारा राजस्थानी लोकगीत प्रस्तुत किए गये, जिसके बाद लोकनृत्यों में झूमर (पंजाब), सिरमौरी नाटी (हिमाचल प्रदेश) शामिल थे। दिन के मुख्य कलाकार सुखी बराड़ और नक्कल गोनी खान थे, जिन्होंने मंच पर धूम मचा दी।

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