मुख्यसमाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाब
हरियाणा | गुरुग्रामरोहतककरनाल
आस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकीरायफीचर
Advertisement

गुरुग्राम की बाढ़ में डूबे 100 करोड़ !

07:06 AM Aug 13, 2024 IST
गुरुग्राम के सुभाष चौक में वर्षा के बाद बाढ़ जैसा दृश्य। एएनआई

सुमेधा शर्मा/ट्रिन्यू
गुरुग्राम, 12 अगस्त
पिछले तीन वर्षों में जल निकासी के उपायों पर 100 करोड़ से अधिक राशि खर्च करने के बाद भी गुरुग्राम जलभराव की समस्या का समाधान करने में विफल रहा। या यूं कहें कि पिछले तीन सालों में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा बाढ़ में डूब गये।
जीएमडीए, एमसीजी, एमसीएम, एनएचएआई और डीएलएफ जैसी निजी डेवेलपर एजेंसियों ने ​​पिछले मानसून के बाद से 50 से अधिक बैठकें और दो मॉक ड्रिल कर बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाईं, लेकिन इसके बावजूद वे शहर को मानसून की तबाही से बचाने में विफल रहे।
पूर्व मंत्री और भाजपा टिकट के दावेदार राव नरबीर ने कहा, ‘एजेंसियां केवल जनता का पैसा बर्बाद कर रही हैं और दुख की बात है कि कोई भी उन्हें जवाबदेह नहीं ठहरा रहा। उनकी हर महीने बैठक होती है लेकिन फिर भी हर साल स्थिति बदतर हो रही है। हमने 2016 में जीएमडीए का गठन किया ताकि बेहतर कोऑर्डिनेशन से इस समस्या का समाधान हो सके, लेकिन हम तभी से बाढ़ का सामना कर रहे हैं। शहर राज्य के राजस्व का 70 प्रतिशत हिस्सा देता है, सबसे अमीर नगर निगम है, फिर भी कई क्षेत्रों में नालियां तक नहीं हैं। जहां नालियां हैं वहां उनकी सफाई नहीं होती, पंप नदारद हैं। निगम अधिकारियों ने करोड़ों खर्च करने के बावजूद शहर का बेड़ा गर्क कर दिया है।’ गौरतलब है कि एमसीजी, जीएमडीए के रिकॉर्ड के अनुसार मानसून से पहले शहर में 50 फीसदी से ज्यादा नालों की सफाई नहीं की गई, जबकि कई नालों पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। इसका मुख्य कारण टेंडरिंग में देरी या ठेकेदारों द्वारा काम को बीच में छोड़ देना बताया गया।
यूनाइटेड एसोसिएशन ऑफ न्यू गुरुग्राम के अध्यक्ष प्रवीण मलिक ने कहा कि नालियों की सफाई एक बुनियादी कार्य है जो गांवों तक में भी किया जाता है और यहां मिलेनियम सिटी में वे इसे छोड़ देते हैं। एजेंसियां एक-दूसरे पर दोष मढ़ती रहती हैं और परेशानी लोगों को उठानी  पड़ती है।
जीएमडीए के सीईओ ए. श्रीनिवास की अध्यक्षता में आज हुई डैमेज कंट्रोल बैठक में भी यही लगा कि ये एजेंसियां भी इस बात से अनजान नहीं हैं कि कोऑर्डिनेशन की कमी है। बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि कई नगर निगम क्षेत्रों में नालियां ही नहीं हैं, और जहां थोड़ी बहुत हैं भी तो उनमें से कई मास्टर ड्रेन से नहीं जुड़ी हुईं। वहीं, निगमायुक्त डॉ. नरहरि बांगड़ ने कहा कि एमसीजी के अंतर्गत आने वाले इलाकों से एक घंटे के भीतर पानी निकाल दिया गया।
गोल्फ कोर्स रोड जैसी सड़कों के लिए, जहां सौ करोड़ रुपये तक के फ्लैट हैं, जल निकासी की समस्या दूर करने में जीएमडीए और डीएलएफ दोनों विफल रहे हैं। हालांकि डीएलएफ ने आधिकारिक तौर पर इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि डेवेलपर जल निकासी के बुनियादी ढांचे से सुसज्जित है और एक घंटे के भीतर सड़क को साफ कर दिया गया और अंडरपास में भी पानी नहीं भरने दिया गया। उन्होंने कहा कि तंग नालों और अरावली से नीचे आने वाले पानी के कारण जलभराव की समस्या  पैदा होती है।

Advertisement

Advertisement