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हर बेटी के सपनों को उड़ान देने का दिन

04:05 AM Jan 24, 2025 IST

राष्ट्रीय बालिका दिवस बालिकाओं के सशक्तीकरण और उनके अधिकारों के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाने का महत्वपूर्ण अवसर है, जिससे उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए आवश्यक अवसर और समर्थन मिलता है। वर्ष 2025 की थीम ‘सपनों की उड़ान’ बालिकाओं को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए प्रेरित करती है।

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प्रो. आर.के. जैन ‘अरिजीत’

बालिकाओं के सपनों को पंख देने के लिए, एक नई ऊर्जा के साथ हर वर्ष 24 जनवरी को मनाया जाता है राष्ट्रीय बालिका दिवस। यह दिन समाज को याद दिलाता है कि बालिकाएं न केवल भविष्य की निर्माता हैं, बल्कि वर्तमान की शक्ति भी हैं। उनके अधिकारों और सशक्तीकरण की ओर उठाए गए कदमों को स्मरण करते हुए, हमें सुनिश्चित करना होगा कि वे हर क्षेत्र में अपना पूर्ण विकास कर सकें। वर्ष 2025 की थीम ‘सपनों की उड़ान : बालिकाओं के लिए नए आयाम’ इंगित करती है कि अब समय आ गया है जब हम बालिकाओं को उनके सपनों की ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए आवश्यक मंच और अवसर प्रदान करें।
राष्ट्रीय बालिका दिवस का गौरवशाली इतिहास हमें 2008 की ओर ले जाता है, जब महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इसे पहली बार मनाने का साहसिक कदम उठाया। 24 जनवरी को इस दिन को मनाने का निर्णय इसलिए हुआ क्योंकि इसी दिन 1966 में इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। यह दिन नारी शक्ति का सम्मान और उनकी असीम संभावनाओं को मान्यता देने का प्रतीक बन गया है। इंदिरा गांधी का नेतृत्व यह साबित करता है कि महिलाएं, जब उन्हें सही अवसर मिले, तो वे हर क्षेत्र में विजय पताका फहरा सकती हैं।
आज भी, बालिकाओं की स्थिति में परिवर्तन देखने को मिला है, लेकिन चुनौतियां अभी भी हिम्मत के साथ खड़ी हैं। बाल विवाह, लिंग भेदभाव और शिक्षा में असमानता जैसी समस्याएं देश के अनेक कोनों में अपनी जड़ें मजबूती से जमाए हुए हैं। इन कठिनाइयों से मुकाबला करने के लिए सरकारी योजनाओं के साथ-साथ समाज के सामूहिक संकल्प का विशेष महत्व है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे अभियानों ने बालिकाओं की शिक्षा की अहमियत को जन-जन तक पहुंचाया है और उनके अधिकारों के प्रति सचेतनता बढ़ाई है। ये प्रयास हमें याद दिलाते हैं कि बालिकाओं को सशक्त बनाने की जिम्मेदारी हम सबकी है, जिससे एक समतामूलक और शिक्षित समाज की नींव रखी जा सके।
बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलंबन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए देश के अनेक क्षेत्रों में जोरदार प्रयास हो रहे हैं। शिक्षा के साथ-साथ खेल, विज्ञान, और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चल रहे हैं। इन प्रयासों के फलस्वरूप, कई बालिकाएं खेल, विज्ञान और कला में अद्भुत सफलताएं हासिल कर रही हैं, जो उनके लिए नए अवसरों की सीढ़ियां खोल रही हैं। वर्ष 2025 की थीम ‘सपनों की उड़ान’ हमें स्मरण कराती है कि केवल अवसर देना ही पर्याप्त नहीं है; हमें ऐसा वातावरण भी निर्मित करना होगा जहां बालिकाएं अपने विचारों और क्षमताओं को निर्भीकता से व्यक्त कर सकें। ऐसा माहौल उन्हें आत्मनिर्भर बनने और अपने जीवन की दिशा स्वयं चुनने का अधिकार देता है।
आज के समाज में बदलाव की तेज हवा बह रही है। बालिकाओं के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य के अवसरों में विस्तार हुआ है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित के क्षेत्रों में उनकी सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन पहलों से यह स्पष्ट होता है कि बालिकाएं हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ सकती हैं, बस जरूरत है उन्हें सही समर्थन और मार्गदर्शन की। मगर, यह भी सच है कि बालिकाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। लिंग आधारित भेदभाव और हिंसा जैसी समस्याओं से निपटना समाज के प्रत्येक सदस्य की जिम्मेदारी है। जब तक हम इन चुनौतियों से मिलकर नहीं लड़ेंगे, तब तक बालिकाओं के सशक्तीकरण का स्वप्न अधूरा ही रहेगा।
दरअसल, राष्ट्रीय बालिका दिवस हमें एक ऐसा संकल्प लेने का मौका देता है जहां हर बालिका अपने सपनों को पंख लगाकर उड़ान भर सके, आजादी और सुरक्षा के साथ। इस दिन का महत्व महज उत्सव मनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें बालिकाओं के लिए एक उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य की राह पर चलने के लिए प्रेरित करता है। बालिकाओं की उड़ान को सही दिशा देने के लिए हमें अपना योगदान देना होगा, ताकि उनका हर सपना हकीकत बन सके। जब बालिकाएं अपने आत्मविश्वास और प्रतिभा के बल पर आगे बढ़ती हैं, तो वे न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनती हैं। उनकी सपनों की उड़ान समाज की प्रगति की ओर एक बड़ा कदम है, जो हमें याद दिलाती है कि जब एक बालिका सशक्त होती है, तो पूरा समाज सशक्त होता है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है, जो हमें बालिकाओं को उनके सपनों की ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रेरित करने का मौका देता है। इस दिन, हम शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और समानता के क्षेत्रों में प्रगति के लिए एकजुट होकर काम करने का संकल्प लेते हैं। हमारा उद्देश्य एक ऐसा समाज बनाना है, जहां हर बालिका सुरक्षित महसूस करे, जहां उनकी प्रतिभा का सम्मान हो, और जहां वे सशक्त होकर अपने सपनों की राह पर निर्भीकता से चल सकें। इसके लिए हमें एक ऐसा वातावरण बनाना होगा, जिसमें बालिकाएं अपने विचारों और क्षमताओं को निर्भीकता से व्यक्त कर सकें, चाहे वह खेल, कला, विज्ञान या अन्य कोई क्षेत्र हो। केवल इसी प्रकार का वातावरण उनके सपनों को साकार करने की दिशा में सार्थक योगदान दे सकता है।
इसके अलावा, हमें उन्हें वह समर्थन और संसाधन प्रदान करने होंगे, जो उनके भविष्य को संवारने के लिए आवश्यक हैं। बाल विवाह, शिक्षा में असमानता और लिंग भेदभाव जैसी बाधाओं को समाप्त करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। इस प्रकार, राष्ट्रीय बालिका दिवस हमें यह याद दिलाता है कि समाज की प्रगति के लिए बालिकाओं का सशक्तीकरण और उनके सपनों की उड़ान उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना कि हमारे सामूहिक प्रयास।

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