स्टेटस में अनकही भावनाओं का अक्स
राजेंद्र कुमार शर्मा
जाने-अनजाने में सोशल मीडिया पर बदलता आपका स्टेटस आपकी मनोस्थिति के बारे में बहुत कुछ बयां करता है। हाल ही में गुजरात के सौराष्ट्र विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन में भी पाया गया कि लोगों का सोशल मीडिया स्टेटस उनके मूड के संकेतक के रूप में काम कर सकता है। अध्ययन में 1,000 से अधिक युवा उत्तरदाताओं को सर्वेक्षण में शामिल किया गया। अध्ययन से पता चला कि अनकही भावनाएं अक्सर लोगों के स्टेटस अपडेट में परिलक्षित होती हैं। अध्ययन से यह भी पता चला कि लोग दूसरों को आकर्षित करने, प्रभावित करने या उनमें ईर्ष्या पैदा करने के लिए स्टेटस अपडेट का उपयोग करते हैं। हालांकि, सोशल मीडिया के लिए मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग ,अकेलेपन और चिंता को जन्म दे सकता है, जो यह बताता है कि दूसरों के साथ खुले संचार-संवाद की कितनी अधिक आवश्यकता आज के युवा को है।
भावनाओं का प्रतिबिंब
सौराष्ट्र विश्वविद्यालय (एसयू) के युवा लोगों के बीच व्यवहार पैटर्न के अध्ययन से पता चला है कि अनकही ‘भावनाएं’ ज्यादातर उनकी स्थिति (स्टेटस) पर प्रतिबिंबित होती हैं - चाहे वह क्रोध, निराशा हो या फिर प्यार और खुशी- यह उपयोगकर्ताओं के लिए एक दर्पण की भांति काम करता है। इतना ही नहीं, अध्ययन में कहा गया है कि तीन सबसे आम भावनाओं को प्रतिबिंबित करने के लिए स्टेटस अपडेट किए जाते हैं जैसे आकर्षित करना, प्रभावित करना, या ईर्ष्या पैदा करना। विश्वविद्यालय ने 1,080 लोगों का अध्ययन किया, जिनमें ज्यादातर युवा थे। अध्ययन में पाया गया कि मोबाइल फोन के व्यापक उपयोग ने युवाओं को अकेलेपन का शिकार बना दिया है और सामान्य समाज से कटकर उन्होंने सोशल मीडिया स्टेटस को अपनी आंतरिक भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम बना लिया है।
प्रभाव, आकर्षण और ईर्ष्या
15 से 45 वर्ष के बीच के युवा इस सोशल मीडिया स्टेटस सुविधा का उपयोग दुनिया को अपनी मनोस्थिति समझाने के रूप में करते हैं। ये स्थितियां दिलचस्प और बदलती सामाजिक संरचना को इंगित करती हैं। जबकि सर्वेक्षण से पता चलता है कि 90 प्रतिशत लोग दूसरों को प्रभावित करने और आकर्षित करने के लिए सोशल मीडिया स्टेटस अपलोड करते हैं, वहीं इतनी ही संख्या में लोग इसका उपयोग या तो दूसरों को बदनाम करने या अपनी उपलब्धियों को अपडेट करके ईर्ष्या पैदा करने के लिए करते हैं।
अपने-अपने मकसद
लगभग 73 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने स्वीकार किया कि वे नियमित रूप से अपना स्टेटस अपडेट करते हैं, जबकि 60 प्रतिशत ने कहा कि वे इस सुविधा का उपयोग केवल प्यार के संबंध में अपने आवेग को प्रदर्शित करने के लिए करते हैं। हालांकि, 25 प्रतिशत इस माध्यम का उपयोग अपनी निराशा व्यक्त करने या आत्म-दया व्यक्त करने के लिए भी करते हैं, जबकि 27 प्रतिशत ने कहा कि वे स्टेटस अपडेट के माध्यम से क्रोध और आक्रामकता व्यक्त करते हैं। सर्वेक्षणकर्ता के अनुसार, यह गुस्से और आक्रामकता का कारण वर्तमान राजनीतिक स्थिति, व्यक्तिगत या सामान्य आर्थिक स्थिति, या धार्मिक और सामाजिक मुद्दों सहित कई अन्य पहलुओं से हो सकती है।
गोपनीयता और समस्याएं
सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि 54 प्रतिशत लोग गोपनीयता सेटिंग्स के तहत सुरक्षित महसूस करते हुए अपने विचारों को रखना पसंद करते हैं। संक्षेप में पाया गया कि 85.5 प्रतिशत उत्तरदाता स्टेटस के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। सोशल मीडिया स्टेटस अपडेट करने में कोई बुराई नहीं मानते हैं, लेकिन इसका एक नकारात्मक पहलू भी है। यह खतरनाक रूप से सामान्य जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है और मोबाइल का अत्यधिक उपयोग अकेलेपन और चिंता सहित मनोवैज्ञानिक समस्याएं पैदा करता है। सर्वेक्षण का एक महत्वपूर्ण नतीजा बताता है कि लोग आमने सामने खुलकर संवाद करने की बजाय मोबाइल के पीछे छिपकर संवाद करने को तरजीह दे रहे हैं, जो सामाजिक ताने-बाने को बिखेरने का काम कर रहा है।
स्व-नियंत्रण की जरूरत
युवाओं में बढ़ती कुंठा , अवसाद , निराशा, खुद को कम आंकने की प्रकृति , आत्मविश्वास की कमी , चुनौतियों से भागने की आदत , जिम्मेदारियों को नकारने की प्रवृत्ति , सोशल स्टेटस की एक बड़ी देन है। परिवारों और समाज में बढ़ते मतभेदों का एक बड़ा कारण सोशल मीडिया स्टेटस विशेषकर व्हाट्सएप स्टेटस को माना जा सकता है। सोशल मीडिया हेतु मोबाइल प्रयोग को स्वनियंत्रित करने की आवश्यकता है। इसे सुविधा या जानकारी के लिए प्रयोग किया जाना ही समझदारी है। अगली बार स्टेटस अपडेट करते समय जांच कर लें कहीं आप अपनी मनोस्थिति तो व्यक्त नहीं करने जा रहे हैं , जिसे आप सिर्फ अपनों के साथ संवाद द्वारा साझा कर सकते हैं।