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सिसकती शिक्षा, थकी व्यवस्था, स्कूल का बिगड़ा मॉडल

05:21 AM Dec 22, 2024 IST
-सरोज दहिया, डीईईओ, कैथल

ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 21 दिसंबर
राज्य का एक ऐसा माॅडल संस्कृति स्कूल है जो केवल नाम से मॉडल है लेकिन सुविधाओं के नाम पर वहां पर्याप्त अध्यापक भी नहीं है। शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते मॉडल संस्कृति प्राथमिक पाठशाला ढांड में नौनिहाल शिक्षकों के अभाव में स्कूल छोड़ने पर मजबूर हैं। स्कूल के हालात ये हैं कि 478 बच्चों को पढ़ाने के लिए केवल 5 टीचर हैं जबकि शिक्षा विभाग ने स्कूल के लिए 23 पद टीचरों के स्वीकृत किए हैं। ऐसे में बिना टीचरों के भला बच्चों के भविष्य की बुनियाद कैसे मजबूत होगी। जिला कैथल के खंड पूंडरी के गांव ढाण्ड का राजकीय माडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालय छात्र संख्या के मामले में शायद जिले में दूसरे नंबर पर आता है लेकिन अध्यापकों की तैनाती के लिए पिछले कई सालों से जूझ रहा है। इस विद्यालय में 2016-17 के आनलाइन तबादलों के बाद 17 अध्यापक कार्यरत थे, लेकिन वर्ष 2020 में अंतर्जिला स्थानांतरण व पदोन्नति होने के बाद केवल 10 अध्यापक स्कूल में रह गए।
स्कूल में पिछले शैक्षणिक सत्र में 544 विद्यार्थी पढ़ रहे थे और 23 स्वीकृत पदों में से केवल 10 अध्यापक पढ़ाई करवा रहे थे। मार्च 2024 में हुए अंतर्जिला स्थानांतरण ने रही सही कसर निकालते हुए 6 अध्यापकों को दूसरे जिलों में पहुंचा दिया लेकिन इस स्कूल को केवल एक अध्यापक प्राप्त हुआ। इससे विद्यालय में केवल 5 अध्यापक ही कार्यरत रह गए। अब विद्यालय में छात्र संख्या घटकर 478 रह गई है। जग जाहिर है कि स्कूल में शिक्षकों की कमी के कारण 66 बच्चे स्कूल छोड़ गए। सिसकती शिक्षा व थकी व्यवस्था का यह साफ उदाहरण है कि इतना समय बितने के बाद भी शिक्षा विभाग इस स्कूल में टीचरों की अस्थाई व्यवस्था भी नहीं कर पाया। जबकि अंतर्जिला स्थानांतरण में बहुत से अध्यापकों के आने के बाद से कई स्कूलों में अध्यापक सरपल्स बैठे हैं। कुछ स्कूलों में तो 60 छात्रों पर छह या सात अध्यापक भी कार्यरत हैं।

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न सफ़ाई कर्मी, न कोई पियन
इस स्कूल में न तो नियमित सफ़ाई कर्मी है और न कोई पियन है। क्लर्क या चौकीदार भी स्कूल में तैनात नहीं है। स्कूल के शिक्षक ही जैसे कैसे स्कूल के कर्लक व अन्य कार्य करते हैं। राज्यभर के कुछ स्कूलों को छोड़कर अधिकार में केवल खानापूर्ति के लिए कुछ स्कूलों में पार्ट टाइम स्वीपर या एजुसैट चौकीदार तैनात किए गए हैं। ऐसे में भला बच्चों को पढ़ाई का अच्छा माहौल कैसे मिलेगा।
निदेशक के आगे रो चुके हैं दुखड़ा
स्कूल के अध्यापकों ने खंड शिक्षा अधिकारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के आगे कई बार अपना दुखड़ा रोया लेकिन समस्या ज्यों की त्यों है। ग्राम पंचायत ढांड भी अपनी समस्या को लेकर डीसी, निदेशक शिक्षा मंत्री तथा विधायक को इस बारे में कई बार अनुरोध कर चुकी है। शायद किसी को बच्चों के फ्यूचर की चिंता नहीं है।
सोलूमाजरा में 55 विद्यार्थियों पर 6 शिक्षक
ढांड से केवल पांच किलोमीटर दूरी पर स्थित सोलूमाजरा के राजकीय प्राथमिक स्कूल में केवल 55 बच्चे शिक्षा ग्रहण हैं। लेकिन शिक्षा विभाग का कारनामा देखिए कि वहां पर 55 टीचरों पर छह अध्यापक कार्यरत हैं। अभिभावकों का सीधा सीधा आरोप है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की यह नाकामी है। विभाग के अधिकारी चाहे तो बच्चों की संख्या के अनुपात के हिसाब से शिक्षा के इस गणित को ठीक कर सकते हैं। डीईईओ सरोज दहिया ने कहा कि मैंने इस स्कूल के लिए 3 टीचरों की नियुक्ति की है। कई स्कूल ऐसे भी हैं जहां बच्चे कम हैं और टीचर ज्यादा हैं। विभाग ने रेशनेलाइजेशन के लिए सभी स्कूलों से डिटेल मांगी है। जैसे ही स्कूलों से विभाग के पास यह डिटेल जाएगी तो व्यवस्था में सुधार होगा।

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