सामंजस्य का सूत्र
जापान के राजा यामोता धर्मात्मा तथा उदार हृदय के शासक थे। उनका मंत्री ओचोआन भी परम संयमी व संतोषी था। एक बार राजा को पता चला कि मंत्री के दादा के सभी भाइयों की संतानें एक साथ प्रेमपूर्वक रहती हैं। इस विशाल परिवार में कभी किसी बात को लेकर विवाद नहीं होता। एक दिन उन्होंने सोचा, इस आदर्श परिवार की एकता व सौहार्द का रहस्य जानना चाहिए। वे अचानक मंत्री के घर जा पहुंचे। मंत्री ने राजा का विनम्रता से स्वागत किया। अपने भाइयों, पुत्र-पौत्रों, बहनों, बेटियों व बहुओं से उनका परिचय कराया। राजा ने देखा कि परिवार के कई सौ सदस्यों में अनूठा प्रेम झलक रहा है। राजा ने विनम्रता से पूछा, ‘मैं यह जानना चाहता हूं कि इतने विशाल परिवार में ऐसा अनूठा प्रेम-सौहार्द बनाए रखने का आपका मूल मंत्र क्या है?’ मंत्री ने कहा, ‘राजन, संतोष और सहनशीलता ऐसे अनूठे सूत्र हैं, जो विशाल परिवार को एक साथ रखने में समर्थ होते हैं। धर्म ने हमें सादगी, सरलता और संतोष का जीवन जीने की प्रेरणा दी है। सहनशीलता राग-द्वेष व कलह को पास नहीं फटकने देती।’
प्रस्तुति : अक्षिता तिवारी