साड़ी खराब होने पर भी पा सकते हैं मुआवजा
श्रीगोपाल नारसन
महिलाओं को साड़ी बहुत प्रिय होती है। अच्छी से अच्छी साड़ी खरीदना और फिर खास अवसरों पर उसे पहनकर गर्व करना प्रायः हर महिला सपना होता है। लेकिन जब बाजार में साड़ी खरीदने जाते हैं तो दुकानदार अपनी साड़ी की खूब तारीफ करता है और खराब होने पर उसे बदलने का वायदा भी करता है। परंतु साड़ी खरीदने के बाद यदि सचमुच साड़ी खराब हो जाए तो वह महिला उपभोक्ताओं पर साड़ी को ढंग से न रखने का आरोप लगाकर साड़ी बदलने से इंकार कर देता है। अक्सर दुकानदार का तर्क होता है कि साड़ियों को उल्टी तरफ़ से फ़ोल्ड करके रखना चाहिए, ताकि जरी या एंब्रायडरी एक-दूसरे से न चिपकें। साड़ी रखने के लिए लकड़ी या प्लास्टिक के बॉक्स का इस्तेमाल करें। रखते समय प्रेस न करें, बल्कि पहनने से पहले ही आयरन या प्रेस करें। वॉश करने से पहले लेबल पर दिए निर्देशों को ध्यान से देख उनका पालन करें। हल्के डिटर्जेंट और ठंडे पानी का इस्तेमाल करें।
डिफेक्ट के बावजूद किया बदलने से मना
विक्रेता अकसर यह भी कहते हैं कि बनारसी, कांजीवरम जैसी साड़ियों को पहनने के बाद परफ़्यूम न लगाएं। ये सब सावधानियां आपने नहीं रखी होंगी इसीलिए साड़ी खराब हुई और हम बदलकर नहीं देंगे। ऐसा कहकर दुकानदार पल्ला झाड़ लेता है और उपभोक्ता ठगा जाता है। परेशान होकर उपभोक्ता को न्यायालय की शरण लेनी पड़ती है। जैसे सरिता (बदला हुआ नाम) ने करवा चौथ की पूजा के लिए नई साड़ी खरीदी। पहनी तो उसके धागे निकल आए। रंग भी फीका पड़ गया। दुकानदार से साड़ी बदलने का आग्रह किया तो उसने मना कर दिया। अभद्रता भी की। सरिता ने हिम्मत नहीं हारी। जिला उपभोक्ता आयोग में केस लगा दिया। आयोग के आदेश पर दुकानदार को 500 रुपए की साड़ी के बदले 1250 रुपए देने पड़े। अभद्रता करने पर माफी भी मांगना पड़ी।
यह था मामला
सरिता अपने पति के साथ स्थानीय मार्केट में साड़ी सेंटर गयी व 500 रुपए की साड़ी पसंद की। दुकानदार ने वादा किया कि डिफेक्ट नहीं आएगा। इसी विश्वास पर साड़ी खरीद ली। पहनने पर रंग फीका पड़ा और डिफेक्ट भी दिखाई दिया। जब साड़ी वापस करने गयी तो दुकानदार ने साड़ी बदलने से साफ मना कर दिया। सरिता ने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत की। मामले में इस शर्त पर समझौता हुआ कि दुकानदार कोर्ट में माफी मांगे। दुकानदार ने आयोग अध्यक्ष व सदस्य के समक्ष सरिता से माफी मांगी। परेशानी की एवज में 1250 रुपए दिए। खराब साड़ी वापस भी ले ली।
इस्तेमाल न करने के बावजूद बदला रंग
एक अन्य केस में केरल राज्य के एर्नाकुलम जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक कपड़ा विक्रेता को दोषपूर्ण रेशमी साड़ी बदलने में विफल रहने के आरोप में एक उपभोक्ता को 75,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों ने सारा थॉमस द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला सुनाया। शिकायतकर्ता ने 12 जनवरी, 2018 को एर्नाकुलम के एक कपड़ा शोरूम से अपनी बेटी के लिए 30,040 रुपये में 2 साड़ियां खरीदी थीं। बेटी द्वारा उन्हें कभी पहना भी नहीं गया क्योंकि बाद में उनकी शादी रद्द कर दी गई थी। बेटी ने 23 जनवरी, 2019 को खरीदी गई साड़ी में से एक साड़ी पर काला रंग देखा, जबकि वह उसे नियमित साफ करने के लिए सुखाती रहती थी।
आरोप पर विक्रेता का प्रतिवाद
उपभोक्ता ने आरोप लगाया कि साड़ी विक्रेता ने शुरू में साड़ी बदलने का वादा किया था, लेकिन बाद में उसने बिना बदले ही खराब साड़ी लौटा दी। उपभोक्ता ने कहा कि साड़ी में खराबी घटिया सामग्री व विनिर्माण दोषों के कारण आई। विक्रेता ने आरोप का प्रतिवाद किया कि साड़ी उपभोक्ता की बेटी द्वारा खरीदी गई थी और चूंकि वास्तविक क्रेता शिकायत में पक्ष नहीं था, इसलिए याचिका स्वीकार्य नहीं थी तथा इस आधार पर वाद खारिज कर देना चाहिए। विक्रेता ने यह भी बताया कि खरीद के समय साड़ी को मखमली बॉक्स में पैक किया गया था और उपभोक्ता की बेटी को बताया गया था कि साड़ी को ऐसे बॉक्स में रखने से नुकसान हो सकता है।
नुकसान पहुंचाना करना होगा साबित
विक्रेता ने तर्क दिया कि किसी भी तरह का नुकसान उत्पाद को लंबे समय तक एयरटाइट बॉक्स में रखने के कारण हुआ है और यह साड़ी निर्माण दोष से मुक्त थी। फिर पुनः पॉलिश करने के बाद साड़ी उपभोक्ता को वापस कर दी गई। लेकिन विक्रेता की दलील को खारिज करते हुए उपभोक्ता आयोग ने बंगाल राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के एक ऐतिहासिक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि खरीदार ने नुकसान पहुंचाया है, तब तक विक्रेता को माल की क्षति के लिए जिम्मेदार होना होगा। इस प्रकार शिकायत पर फैसला उपभोक्ता के पक्ष में दिया गया।
-लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।
कंज्यूमर राइट्स
अक्सर विक्रेता साड़ी खरीदते वक्त वादा करता है कि उसमें कोई निर्माण दोष नहीं है, रंग उड़े या धागे निकलें, वह जिम्मेदार होगा। लेकिन वादे के विपरीत तय समय में साड़ी खराब हो जाये तो वह बदलने में आनाकानी करता है। खरीदार पर ही आरोप लगाता है। ऐसे में उपभोक्ता आयोग में वाद दायर कर न्याय प्राप्त किया जा सकता है।