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सहज बर्ताव के साथ रखें उनके आत्मसम्मान का ख्याल

04:00 AM Dec 03, 2024 IST
सहज बर्ताव के साथ रखें उनके आत्मसम्मान का ख्याल
दिव्यांग से सहयोग का भाव
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डॉ. मोनिका शर्मा
दिव्यांगजन भी हमारे ही समाज का ही एक हिस्सा हैं। इसीलिए हर सक्षम इन्सान का उनसे एक इंसानी रिश्ता होना चाहिए। यह घर-परिवार के बाहर बनने वाला ऐसा रिश्ता होता है, जिसे देश के हर संवेदनशील नागरिक द्वारा पूरे मन से निभाने की दरकार होती है। यह सम्बन्ध मन और मनोबल से जुड़ा होता है। इसका अपनापन हौसला देने वाला होता है। ऐसे में एक रिश्ता उन लोगों के साथ भी निभाइए, जो शारीरिक अक्षमता के शिकार हैं। अमेरिका के जाने-माने फिगर स्केटर और ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता स्कॉट हैमिल्टन के मुताबिक, ‘नकारात्मक दृष्टिकोण ही जीवन की एकमात्र विकलांगता है’। ऐसे में सकारात्मक और सहयोगी दृष्टिकोण रखते हुए शारीरिक अक्षमता से जूझ रहे किसी इन्सान की मदद करना, खुद आपके लिए भी एक मौका होता है। मौका, इंसानियत दिखाने का। जिंदगी को संवेदनाओं के साथ जीने का। किसी दूसरे इन्सान की जद्दोज़हद को समझने की संवेदनशीलता के भाव को महसूस करने का। यूं भी देखा जाये तो किसी दिव्यांग का साथ देना अपने देश के एक नागरिक को साथ लेकर चलना है। इसीलिए अपना परिवेश हो या अनजान जगह, दिव्यांगों के प्रति सहयोग और सम्मान भरा व्यवहार अपनाएं।
सहानुभूति नहीं, सहयोग का भाव
शारीरिक अक्षमता से जूझ रहे लोगों को सहानुभूति नहीं चाहिए। जरूरत पड़ने पर बस सहयोग कीजिये। आपका ऐसा व्यवहार उन्हें कमतर नहीं बल्कि बराबरी महसूस करवाता है। वे खुद को अलग-थलग नहीं बल्कि आपसे, अपने माहौल से जुड़ा हुआ पाते हैं। यूं भी किसी इंसान का मूल्यांकन उसकी शारीरिक क्षमता से नहीं, बल्कि उसकी सोच और काबिलियत से होना चाहिए। अक्सर दिव्यांगों के मामले में लोग यह बात भूल जाते हैं। चाहे-अनचाहे उन्हें कमतर आंकने लगते हैं। जिसके चलते उनके व्यवहार में सहयोग का भाव नहीं बल्कि सहानुभूति झलकने लगती है। ऐसे में दया करने के लिए नहीं मदद करने की सोच के साथ उनका हाथ थामें। समाज के एक आम नागरिक के रूप में उनके सहयोगी बनें। कई बार खुद दिव्यागों में भी अपने आप को लेकर हिचक होती है। इसीलिए घर- दफ्तर, यात्रा करते हुए या सड़क पर, जहां भी ऐसे लोगों से मिलें उन्हें सहज महसूस करवाएं। खुलकर मिलिए। संवाद कीजिए। हालचाल पूछिए। उनको सामान्य जीवन जीने के लिए प्रेरित कीजिए। वैसा ही व्यवहार कीजिए जैसे आप किसी शारीरिक रूप से सक्षम इंसान के साथ करते हैं। बस, उनकी सुविधा का ध्यान जरूर रखें। ऐसा करने से दिव्यांगजन सहज महसूस करते हैं। इतना ही नहीं, आपका यह व्यवहार दिव्यांगों के प्रति दूसरे लोगों का दृष्टिकोण और सोच बदलने में भी अहम भूमिका निभाएगा। ऐसे परिवर्तनों के बल पर ही दिव्यांगों के लिए समग्र सामाजिक-पारिवारिक परिवेश को सहज बनाया जा सकता है।
मार्गदर्शन और मदद का मानस
दिव्यांग व्यक्तियों के सहयोग के लिए समाज के हर इन्सान का आगे आना जरूरी है। अगर आप किसी दिव्यांग को जानते हैं तो उसकी काबिलियत निखारने में मदद कीजिए। किसी खास क्षेत्र से जुड़े हैं तो सहजता से उसका मार्गदर्शन कीजिए। आत्मनिर्भर बनाने की राह खोलिए। उसका हौसला बढ़ाइए। उनकी जरूरत के मुताबिक़, सूचनाएं और सुविधाएं उन तक पहुंचाने की कोशिश कीजिए। आज के तकनीकी दौर में उनके लिए बने एप्स, पोर्टल या ऑनलाइन सुविधा की जानकारी उन तक पहुंचाइए। आपके ऐसे छोटे-छोटे प्रयास उनके लिए बेहद मायने रखते हैं। ऐसे मददगार कदम उन्हें सही मायने में सशक्त बना सकते हैं। विश्व विकलांग दिवस-2024 की थीम ‘एक समावेशी और टिकाऊ भविष्य के लिए विकलांग व्यक्तियों के नेतृत्व को बढ़ावा देना’ है। यह विषय दिव्यांगों की अहम भूमिका को मान्यता देता है, जो एक समावेशी और टिकाऊ दुनिया बनाने में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाते हैं। इस थीम के जरिये यह संदेश देने का प्रयास है कि विकलांग लोगों को उन सभी बातों से जुड़े निर्णय लेने वाली प्रक्रियाओं में शामिल होना चाहिए, जो उनके जीवन को प्रभावित करती हैं। ऐसे में इन प्रक्रियाओं, योजनाओं या नियमों की जानकारी उन तक पहुंचाने में भी मददगार बनें। थोड़े से सहयोग से सक्षम नागरिकों की तरह उनकी प्रतिभा भी देश और समाज की बेहतरी को बल दे सकती है।
उपेक्षा का भाव नहीं आये कभी
दिव्यांगजन हमारे समाज का हिस्सा हैं। इस देश के नागरिक हैं। इनकी शारीरिक अक्षमता को कभी भी अपमान या उपेक्षा की वजह नहीं बनाना चाहिए। दुखद है कि हमारे सामाजिक-पारिवारिक परिवेश में जाने-अनजाने यह गलती बच्चे ही नहीं बड़े भी करते हैं। इसीलिए ना केवल बड़े इस मामले में संवेदनशील बनें बल्कि बच्चों को भी उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार करने की सीख शुरू से ही देनी चाहिए। यह इंसानियत का रिश्ता है। जिसे निभाने की सीख बच्चों की परवरिश का हिस्सा होनी चाहिए। साथ ही बड़े भी दिव्यांगों के प्रति मानवीय भाव अपनाकर बच्चों के लिए आदर्श प्रस्तुत करें। यह ना किया जा सके तो उनके प्रति उपेक्षा का रवैया तो कभी ना अपनाएं। ना ही कभी उपहास उड़ाने वाली बातें और बर्ताव करने की राह चुनें। याद रहे कि उनका साथ आपके लिए भी जीवन में हर मुश्किल से जूझने की शक्ति जुटाने वाला अवसर हो सकता है। मानवता दिखाने का एक प्यारा मौका बन सकता है। इसीलिए सबल-सक्षम लोगों को दिव्यांगों के साथ सम्मान और सहयोग का मानवीय रिश्ता बनाने की हर संभव कोशिश करनी ही चाहिए।

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