शहरों में अवैध कॉलोनियों का मकड़जाल, सोता रहा विभाग
रमेश सरोए/हप्र
करनाल,18 जनवरी
जिलेभर में अवैध कॉलोनियों का मकड़जाल फैल चुका हैं। लगता है जिला नगर योजनाकार विभाग गहरी नींद में सोया है। अगर विभाग की पिछले साल की कार्यप्रणाली पर नजर डाले तो साफ पता चलता है कि अवैध निर्माण के खिलाफ तोड़फोड़ की कार्रवाई महज औपचारिकता है। अवैध निर्माण पर हरियाणा डेवलेपमेंट रेगुलेशन एक्ट की धारा 7/9 के तहत केस दर्ज होते हैं, इसे संयोग ही कहा जाएगा कि केस दर्ज होने के बाद एकाध मामले में भू माफियाओं को सजा हुई हो क्योंकि केस दर्ज होने के बाद कोर्ट में जोरदार तरीके से पैरवी नहीं की जाती, जिसकी बदौलत भूमाफिया बच निकलते हैं। हैरान परेशान करने वाली बात तो यह है कि जिस अवैध कॉलोनी को तोड़ा, तोड़ते समय उसका क्या-क्या तोड़ा, कितना एरिया खाली हैं, उसका गूगल से मेप या ड्रोन की मदद या फिर नक्शा क्यों नहीं बनाया जाता। ऐसा इसलिए किया जाता है कि कार्रवाई के बाद अवैध कॉलोनी को वैधता प्रदान करनी होती है। अगर रिकार्ड होगा तो पहले तोड़ने के बाद अगर दोबारा से निर्माण होगा तो आसानी से पता चल पाएगा कि पहले क्या तोड़ा था और अब नया क्या बना है। ये सब अधिकारियों से मिलीभगत का नतीजा है। जिला नगर योजनाकार विभाग ने पिछले साल करनाल, असंध, घरौंडा, नीलोखेड़ी, इंद्री में 118 एकड़ में विकसित हो रही 32 अवैध कॉलोनियों में तोड़फोड़ की गई। हैरानी की बात ये कि ये कार्रवाई जनवरी, फरवरी, मार्च और दिसंबर के माह में की गई, बाकि 8 महीने डीटीपी विभाग के अधिकारी गहरी नींद में सोते रहे। 32 अवैध कॉलोनियों में 16 कॉलोनियां करनाल शहर में हैं, सभी कॉलोनियों में सड़कें, कच्ची सड़कें, सीवरेज नेटवर्क, कार्यालय, डीपीसी को नेस्तानाबूद किया गया। इनमें से अवैध कॉलोनियां तोड़ने के बाद अब तक कितनी दोबारा विकसित हो चुकी हैं, इसका जवाब विभाग के अधिकारी देने से परहेज करते है। एक बार कार्रवाई के बाद अधिकारी पीछे मुड़कर नहीं देखते। अवैध कॉलोनियों से शहरों का मास्टर प्लान बिगड़ चुका हैं, अगर सरकार अवैध कॉलोनियों को कटने से नाकाम रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करें तो शायद अवैध कॉलोनियां का जाल बिछने से बच जाए। जिला नगर योजनाकार सतीश ने बताया कि मेरे आने के बाद अवैध कॉलोनियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही हैं। उन्होंने दावा किया कि अवैध कॉलोनियों को नहीं पनपने दिया जाएगा।
सालभर हुई कार्रवाई का लेखा-जोखा
जनवरी में 19.75 एकड़ में 6 अवैध कॉलोनियां को तोड़ा गया, इनमें 2 करनाल शहर, एक असंध, एक तरावड़ी में शमिल थी।
फरवरी में 36.5 एकड़ में विकसित हो रही 8 अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई हुई। इनमें 3 असंध की, 4 करनाल,एक घरौंडा की थी।
मार्च में 13 अवैध कॉलोनियों 42 एकड़ में काटी जा रही थी, उनको तोड़ा गया। इनमें एक अंसल हाउंसिंग के साथ तो दूसरी सोहना रोड पैंट फैक्ट्री के साथ है।
दिसंबर में 25 एकड़ में 4 अवैध कॉलोनियों में तोड़फोड़ की गई।
जनवरी 2025 में 42 एकड़ पर 8 अवैध कॉलोनियों पर पीला पंजा चलाया जा चुका है।
हाईकोर्ट में डाली जाएगी याचिका
वरिष्ठ एडवोकेट जगमाल जटैन ने बताया कि अवैध कॉलोनियों धड़ल्ले से काटी जा रही हैं, इसमें बहुत से प्रभावशाली लोग जुड़े हुए हैं। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका डाली जाएगी। चीफ सेकेटरी के पास शिकायत की जाएगी। एक बार अवैध कॉलोनी तोड़ने के बाद जो एरिया खाली होता हैं, उसे खाली ही रहना चाहिए। इसकी जिम्मेदारी संबंधित विभाग की होती है। सुप्रीम कोर्ट भी मानता है कि अवैध निर्माण अवैध ही माना जाएगा, चाहे वह कितना ही पुराना क्यों न हो।