भाजपा ने पंजाब को संगठनात्मक चुनाव कार्यक्रम से किया बाहर
अदिति टंडन/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 7 जनवरी
केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ सहित 29 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में पार्टी के संगठनात्मक चुनाव कार्यक्रम से पंजाब को बाहर कर दिया है। ‘ट्रिब्यून’ को मिली जानकारी के अनुसार सदस्यता अभियान से जूझ रहे पंजाब में 30 लाख सदस्यों के लक्ष्य के मुकाबले अब तक पार्टी केवल 6.6 लाख प्राथमिक सदस्यता फॉर्म ही भर पाई है। यह बमुश्किल 22% की दर ही बनती है। पार्टी ने पंजाब में प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त नहीं किया है, जिसका मतलब है कि मौजूदा अध्यक्ष सुनील जाखड़ अभी पद पर बने रहेंगे जब तक कि उनके स्थान पर किसी और को नामित नहीं किया जाता।
पार्टी को राज्य में अन्य कारकों के अलावा लंबे समय से चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण नए सदस्यों को जोड़ने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले, 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कोई सीट नहीं मिली थी, लेकिन उसे 18.5% वोट शेयर मिला था। नवंबर में हुए विधानसभा उपचुनावों में ये बढ़त कम हो गई जब भाजपा उम्मीदवार अपनी सभी चार सीटों पर चुनाव हार गए और तीन सीटों पर जमानत जब्त हो गई। पंजाब में भाजपा का संगठनात्मक आधार ऐतिहासिक रूप से कम रहा है क्योंकि 1997 से शुरू होकर, पार्टी ने कनिष्ठ सहयोगी बने रहने का विकल्प चुनते हुए शिरोमणि अकाली दल के साथ चुनाव पूर्व समझौते में ही सभी चुनाव लड़े। अकाली दल ने विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर 2020 में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को छोड़ दिया और फिर इनके बीच कभी भी सहमति नहीं बन पायी। पिछले साल 2 सितंबर से भाजपा का नया सदस्यता अभियान शुरू होने से पहले पंजाब में पार्टी के लगभग 18 लाख सदस्य थे। भाजपा के शीर्ष सूत्रों ने आज स्वीकार किया कि पंजाब में पार्टी का मौजूदा सदस्यता अभियान धीमी गति से चल रहा है, यही कारण है कि राज्य में आंतरिक चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है।
पार्टी के कुछ नेता देरी के लिए पंजाब में पंचायत, विधानसभा उपचुनाव और बाद में नगर निगम चुनाव को जिम्मेदार मानते हैं, लेकिन कुछ ने जमीनी स्तर पर संगठन के संबंध में गंभीर चुनौतियों का हवाला दिया। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने शिअद के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन में दो सीटें जीती थीं।
इसके अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले राज्य अध्यक्ष के चुनाव के लिए भाजपा ने केवल महाराष्ट्र, झारखंड, दिल्ली और मणिपुर में रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त नहीं किए हैं। इन जगहों पर विधानसभा चुनाव या जातीय हिंसा के कारण सदस्यता और संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया में देरी हुई है।