For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

बिचौलियों को बाहर कर सीधे ग्राहक को बेची गाजर, कमाया मुनाफा

05:02 AM Dec 20, 2024 IST
बिचौलियों को बाहर कर सीधे ग्राहक को बेची गाजर  कमाया मुनाफा
जींद के इक्कस गांव के बस अड्डे पर गांव के ही खेत से लाकर गाजर बेचता एक किसान। -हप्र
Advertisement

जींद, 19 दिसंबर (हप्र)
गाजर की खेती करने वाले इक्कस गांव के किसानों ने बिचौलियों को बाहर किया तो उनकी किस्मत ही बदल गई। अब बिचौलियों को कोई पैसा नहीं देना पड़ता। अपने खेत की गाजर खुद बेच कर किसान ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। ग्राहकों को भी गाजर मुनासिब रेट पर मिल जाती हैं। हांसी स्टेट हाईवे और बरवाला नेशनल हाईवे के जंक्शन पर जींद से 4 किलोमीटर दूर स्थित इक्कस गांव ‘गाजरों वाले गांव’ के रूप में अपनी विशेष पहचान रखता है। गांव की मिट्टी और पानी गाजर की खेती के काफी अनुकूल है। यही कारण है कि गांव में अब हर साल 60 एकड़ जमीन में गाजर की खेती होती है। पहले इक्कस गांव के किसान अपने खेतों में पैदा होने वाली गाजर की फसल को जींद की सब्जी मंडी में ले जाकर आढ़तियों के माध्यम से बेचते थे। उन्हें गांव से सब्जी मंडी तक की ट्रांसपोर्टेशन का खर्च वहन करना पड़ता था, और उनकी कीमती समय बर्बाद हो जाता था। इसके बावजूद किसानों को गाजर के लाभकारी मूल्य नहीं मिल पाते थे। सब्जी मंडी में खुदरा विक्रेता जिस भाव गाजर खरीदते थे, उससे लगभग दोगुना रेट पर गाजर को ग्राहकों को बेचते थे। इक्कस गांव के किसानों ने गाजर की फसल बेचने की प्रक्रिया से बिचौलियों को बाहर किया तो किसानों की किस्मत ही बदल गई। अब जिस भाव किसान गाजर जींद की सब्जी मंडी में लाकर बेचते थे, उससे 300 से 400 रुपए प्रति क्विंटल के ज्यादा भाव पर वह अपनी फसल अपने ही गांव में बस अड्डे पर बेच रहे हैं। इसमें किसानों का ट्रांसपोर्टेशन का खर्च भी बच गया। इससे किसानों के लिए गाजर की खेती फायदे का सौदा साबित होने लगी। गांव में 5 एकड़ से बढ़कर गाजर की खेती का रकबा 60 एकड़ पर पहुंच गया है। पहले गांव के एक किसान ने इसकी पहल की थी। अब गांव के 6 से ज्यादा किसान गाजर की फसल गांव में ही बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

Advertisement

बस अड्डे पर ही बिक जाती है 30 क्िवंटल फसल

गांव के किसान बलवान और सुनील अपने ही गांव के साथ आसपास के दूसरे गांवों के किसानों को सब्जी की खेती को लेकर नई राह दिखा रहे हैं। दोनों किसान अपने खेत की गाजर को गांव के बस अड्डे पर लाकर खुद बेचते हैं और अच्छा मुनाफा कमाते हैं। हांसी स्टेट हाईवे और बरवाला नेशनल हाईवे पर आने -जाने वाले लोग इक्कस की गाजर जरूर लेकर जाते हैं। गांव में हर रोज 30 क्विंटल से ज्यादा गाजर की खपत गांव के बस अड्डे पर हो जाती है। गांव के ही कुछ ऐसे किसान और दूसरे लोग भी हैं, जो गांव के गाजर उत्पादक किसानों से गाजर खरीद कर गांव के बस अड्डे पर ढेरी लगाकर बेच रहे हैं। यह लोग भी प्रति क्विंटल 300 से 400 रुपए का मुनाफा कमा लेते हैं। उन्हें रोजगार के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता। अपने ही गांव में उन्हें 3 महीने के लिए ठीक-ठाक रोजगार मिल जाता है। गांव के पाली पंडित खुद 7 एकड़ के किसान हैं, लेकिन वह भी दूसरों से गाजर खरीद कर बेच रहे हैं और ठीक-ठाक पैसा कमा लेते हैं। पाली पंडित बताते हैं कि सब्जी मंडी से गाजर खरीदने के लिए उन्हें 11 प्रतिशत खर्च आढ़ती को देना पड़ता था। वह गांव के ही खेतों से गाजर खरीदकर बेचते हैं तो उन्हें एक पैसा भी बिचौलिए को नहीं देना पड़ता।

Advertisement

Advertisement
Advertisement