पीडब्ल्यूडी विभाग लगाएगा सभी रेलवे अंडरपास पर शैड
चंडीगढ़, 15 दिसंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा में जितने भी रेलवे अंडरपास हैं, उन सभी पर शैड लगाए जाएंगे। यह काम पीडब्ल्यूडी विभाग करेगा। नये जितने भी अंडरपास बनाए जा रहे हैं, उनमें पहले से ही शैड का प्रावधान किया जा रहा है। बारिश के दिनों में अंडरपास में पानी जमा होने की शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए सरकार ने पुराने अंडरपास को भी शैड से कवर करने का निर्णय लिया है। इसके लिए विभाग द्वारा सर्वे करवाया जा रहा है।
पीडब्ल्यूडी मंत्री एवं डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने शुक्रवार के विधानसभा के शीतकालीन सत्र में प्रश्नकाल के दौरान यह ऐलान किया। बरोदा से कांग्रेस विधायक इंदूराज नरवाल ने उनके हलके में रेलवे अंडरपास पर शैड लगाने का मुद्दा उठाया था। दुष्यंत ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा, पूर्व की सरकार में बने अंडरपास में शैड का प्रावधान नहीं किया गया। बरोदा हलके में सात अंडरपास हैं। इनमें से तीन पर शैड लगाने की मंजूरी रेलवे मंत्रालय ने दे दी है। तीसरे अंडरपास पर शैड निर्माण को रेलवे मंत्रालय ने अगले बजट के लिए रखा है।
दुष्यंत ने कहा कि सरकार ने सभी रेलवे अंडरपास शैड से कवर करने का निर्णय लिया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दो जिलों – जींद और करनाल के चुना है। इन जिलों के बाद इस योजना को पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
इससे पहले इस सवाल पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच हंगामा भी हुआ। दुष्यंत ने कहा कि मानसून सत्र में भी यही सवाल उठाया गया था। इस पर इंदूराज नरवाल ने कहा, जब सरकार काम ही नहीं करती तो बार-बार मुद्दा तो उठाना ही पड़ेगा।
पलवल में पेयजल संकट गहराया
पलवल शहर में पानी पीने योग्य नहीं रहा है। शहर में सप्लाई के लिए 29 ट्यूबवेल चल रहे हैं। अधिकांश का पानी खारा है। यहां से विधायक दीपक मंगला ने यह मुद्दा उठाया तो पब्लिक हेल्थ मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने कहा कि रेनीवेल योजना पर काम चल रहा है। इसे जल्द पूरा किया जाएगा। इसके बाद पानी की समस्या नहीं रहेगी।
व्यवस्था परिवर्तन को सदैव तैयार : मनोहर
मुलाना विधायक वरुण चौधरी ने राजपत्रित और गैर-राजपत्रित अधिकारियों के वेतन-भत्तों को लेकर 1976 के नियमों का मुद्दा उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री, स्पीकर, मंत्रियों व विधायकों के पास भी वे अधिकार नहीं हैं, जो अधिकारियों को दिए हुए हैं। इसके जवाब में सीएम मनोहर लाल ने कहा कि लोकहित में व्यवस्था परिवर्तन की जब भी कोई बात आएगी, हमारी सरकार उसके लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि 1976 से पहले गजटेड और नॉन गजटेड के वेतन-भत्तों आदि के बिल निकालने का अलग नियम था। इसके अनुरूप राजपत्रित अधिकारी स्वयं के बिल और सैलरी बिल स्वयं साइन करके तथा गैर राजपत्रित अधिकारी डीडीओ के माध्यम से बिल निकलवा सकते थे। 1976 में उस समय की सरकार ने 12 जुलाई, 1976 को यह व्यवस्था बंद करके सभी बिल और सेलरी के लिए डीडीओ पावर के लिए एक अधिकारी को अधिकृत कर दिया। सीएम ने कहा कि यह विषय 47 साल पुराना है, लेकिन किसी ने यह विषय कभी नहीं उठाया, जबकि प्रदेश में कांग्रेस की 21.5 साल, आईएनएलडी की 11.5 साल, हरियाणा विकास पार्टी की 3.5 साल तक सरकारें रही। 1976 में नियमों में जो भी बदलाव किया गया, वह व्यवस्था परिवर्तन के लिए किया गया था और वर्तमान में इसमें किसी प्रकार का बदलाव का कोई विचार नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सदस्य जनहित में व्यवस्था परिवर्तन के लिए कोई प्रस्ताव देंगे तो हम उस पर अवश्य विचार करेंगे।