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04:00 AM Jul 14, 2025 IST

जन संसद की राय है कि तीर्थस्थलों पर बार-बार होने वाली भगदड़ की घटनाएं प्रशासनिक लापरवाही और श्रद्धालुओं के अनुशासनहीन व्यवहार का परिणाम हैं, जिन्हें मिलकर नियंत्रित करना होगा।

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लापरवाही की हद
पुरी रथयात्रा में भगदड़ कोई नई घटना नहीं है। ऐसे हादसों में प्रशासन और आमजन दोनों की लापरवाही जिम्मेदार होती है। प्रशासन हादसों के बाद ही जागता है और जांच या मुआवजे की घोषणा कर शांत हो जाता है। आमजन भी आदेशों की अवहेलना कर अव्यवस्था फैलाते हैं। धार्मिक स्थलों पर शांति और शिष्टाचार जरूरी है। प्रशासन को भीड़ नियंत्रण की ठोस योजना बनानी चाहिए और लोगों को संयमित, अनुशासित आचरण अपनाना चाहिए ताकि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर

वैज्ञानिक प्रबंधन हो
पुरी की रथयात्रा में हुई भगदड़ ने प्रशासनिक लापरवाही उजागर की है। इस तरह की बड़ी धार्मिक स्थलों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पहले से ही वैज्ञानिक ढंग से योजना बनानी चाहिए। मीडिया, राजनेताओं और समाज को भी लोगों में अनुशासन की भावना जाग्रत करनी चाहिए। कुंभ मेलों जैसे हादसों से सबक लेते हुए सरकार को भीड़ आकलन, वैकल्पिक मार्ग, राहत-बचाव योजनाओं की पूर्व तैयारी करनी चाहिए ताकि जान-माल की हानि को रोका जा सके।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़, रेवाड़ी

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आपातकालीन तैयारी हो
भीड़ प्रबंधन की स्पष्ट नीति और कानून क्रियान्वयन का अभाव हादसों का मुख्य कारण हैं। हादसों के बाद छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई कर और मुआवजा बांटकर जिम्मेदारी खत्म कर दी जाती है। एक बड़ी भीड़ नियंत्रण को प्रबंधन अधिनियम बनना चाहिए। जिसमें स्थल की क्षमता, आपात व्यवस्था, राहत-बचाव, अस्पताल सुविधा और दोषियों से मुआवजा वसूली जैसे प्रावधान हों। बड़े आयोजनों में सेवाकार्य केवल स्वयंसेवकों पर न छोड़कर प्रशासनिक और आपात दल की पूर्ण तैनाती अनिवार्य की जानी चाहिए।
बृजेश माथुर, गाजियाबाद, उ.प्र

पर्याप्त उपाय जरूरी
भारत आस्था प्रधान देश है, लेकिन तीर्थस्थलों पर बार-बार भगदड़ की घटनाएं चिंताजनक हैं। अत्यधिक भीड़, खराब प्रवेश-निकास व्यवस्था, प्रशासनिक चूक और सुरक्षा उपायों की कमी इसके कारण हैं। सरकार को दर्शन स्लॉट बुकिंग, सीसीटीवी निगरानी, पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम, गाइड्स और वालंटियर्स की व्यवस्था करनी चाहिए। लोगों को भी अनुशासन का पालन करना चाहिए। तकनीक, प्रशासन और जागरूकता मिलकर ही तीर्थस्थलों को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बना सकते हैं।
सतपाल, कुरुक्षेत्र

सामूहिक जिम्मेदारी
तीर्थस्थलों पर भगदड़ की घटनाएं अब आम हो गई हैं, जो केवल प्रशासन की नहीं, बल्कि हर नागरिक की सामूहिक जिम्मेदारी है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता, अनुशासन और पर्याप्त सुरक्षा प्रबंध जरूरी हैं। प्रवेश और निकास द्वारों पर विशेष निगरानी, सुरक्षा कर्मचारियों की उपस्थिति और तकनीकी सहायता से हादसे रोके जा सकते हैं। श्रद्धालुओं को धैर्य, समझदारी रखना और प्रशासन का पूरा सहयोग करना जरूरी है, ताकि धार्मिक स्थल सुरक्षित, व्यवस्थित और शांतिपूर्ण बने रहें।
सतीश शर्मा, माजरा, कैथल

पुरस्कृत पत्र

अनुशासनहीनता खत्म हो
धार्मिक यात्रा आत्मिक शांति और सद्भाव के लिए होती है, लेकिन भारी भीड़ में अनुशासनहीनता से भगदड़ जैसे हादसे होते हैं। श्रद्धालुओं की जल्दबाजी और प्रबंधकों की छोटी-सी चूक जानलेवा साबित होती है। ऐसे व्यवहार से हमारी आस्था और धार्मिक मूल्यों को भी ठेस लगती है। प्रशासन को सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन करवाना चाहिए और श्रद्धालुओं को संयम, अनुशासन, सहयोग व समझदारी दिखानी चाहिए, तभी ऐसे हादसों की प्रभावी रोकथाम संभव है।
देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबाद

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