पाठकों को आमंत्रण
जन संसद की राय है कि बड़े आयोजनों की सफलता में सरकारी व्यवस्था के साथ-साथ श्रद्धालुओं का अनुशासित व्यवहार भी जरूरी है। सही दिशा-निर्देश और जन सहयोग से ही इन आयोजनों को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाया जा सकता है।
अनुशासन जरूरी
कुछ समय पहले प्रयागराज महाकुंभ में देश-विदेश के लगभग 66 करोड़ श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। कुछ अप्रिय घटनाओं को छोड़कर यह महाकुंभ सफल रहा। प्रयागराज और दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई दुर्घटनाएं प्रशासन की चूक और अनुशासन की कमी के कारण हुईं। सरकार ने कुंभ में सफल संयोजन किया, लेकिन भविष्य में प्रशासन को और चुस्त होना पड़ेगा। लोगों को अनुशासन बनाए रखने, रेलवे स्टेशन पर ज्यादा टिकट न बेचने, और सामाजिक तत्वों पर निगरानी रखने की जरूरत है।
शामलाल कौशल, रोहतक
सुरक्षित व्यवस्था फार्मूला
प्रयागराज के महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भीड़ और करोड़ों लोगों के पहुंचने के क्रम में कुछ दुर्घटनाएं भी हुईं, जिन्हें रोका जा सकता था। इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जितना तत्पर सरकार को रहना चाहिए था, उतना ही आम लोगों को भी रहना चाहिए था। लोगों को अनुशासित रहकर शासन द्वारा की जा रही व्यवस्था का पालन करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। महाकुंभ के संगम तट पर और दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जो दुर्घटनाएं हुईं, उनमें व्यवस्था की खामी नजर आई। अतीत के अनुभवों से सबक लेकर एक सुरक्षित व्यवस्था का फार्मूला तैयार करना चाहिए।
शिवरानी पुहाल, पानीपत
आवश्यक उपाय
महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों को सुरक्षित बनाने के लिए भीड़ प्रबंधन की नीति पर कुशलता पूर्वक अमल होना आवश्यक है। भीड़ के कारण जाम की स्थिति उत्पन्न न हो, इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। मेला क्षेत्र में शुद्ध पेयजल और आहार की शुद्धता भी स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। मेला क्षेत्र में वीआईपी कल्चर समाप्त होना चाहिए। पर्व विशेष की तिथियों में स्नान के लिए बुजुर्गों, विकलांगों, महिलाओं और बच्चों को परहेज करना चाहिए। सीसीटीवी कैमरे और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होने चाहिए और आकस्मिक आपदाओं से निपटने के लिए सेना को तैनात किया जाना चाहिए।
ललित महालकरी, इंदौर, म.प्र.
जन सहयोग हो
प्रयागराज महाकुंभ में देश-विदेश से आए 66 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान के बावजूद छिटपुट घटनाओं के अलावा सफल रहा। प्रशासन के पुख्ता इंतजाम और अनुशासनहीन भीड़ के बावजूद उ.प्र. सरकार महाकुंभ आयोजन को सुरक्षित रखने में सफल रही। प्रशासन की चुस्ती जन सहयोग पर निर्भर करती है। रेल विभाग को टिकट व्यवस्था की जिम्मेदारी निभानी चाहिए और असामाजिक तत्वों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए। रात्रि निवास और सुगम आवागमन व्यवस्था का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
सही मार्गदर्शन मिले
बड़े आयोजनों में बीच-बीच में खाली जगह की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि आने-जाने में आसानी हो। पुलिस व्यवस्था आवश्यक है, जिससे भीड़ पर नियंत्रण रखा जा सके, लोगों को सही मार्गदर्शन दिया जा सके और निगरानी रखी जा सके।एक समय में एक सीमित संख्या में ही लोगों को प्रवेश दिया जाना चाहिए, ताकि भीड़ का दबाव कम रहे। ट्रैफिक व्यवस्था पर भी ध्यान देना जरूरी है, ताकि सड़कों पर जाम न लगे और यातायात सुचारु रूप से चलता रहे। लोगों को भी अनुशासित रहकर प्रशासन द्वारा दी जा रही हिदायतों का पालन करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली
पुरस्कृति पत्र
मिले-जुले का मेला
जिस तरह बड़ी बीमारी के इलाज में दवाई के साथ-साथ परहेज का भी बराबर का महत्व होता है, उसी तरह बड़े धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजन को सफल बनाने में सरकारी व्यवस्था के साथ-साथ श्रद्धालुओं का अनुशासित व्यवहार भी आवश्यक है। आगंतुकों की संभावित संख्या का सटीक आकलन, कार्यशील मशीनरी की दक्षता, पर्याप्त बजट, कुशल निगरानी तंत्र और पार्किंग आदि के लिए समुचित स्थान जैसे सरकारी उपाय, संयमी यात्रियों का साथ पाकर अभूतपूर्व परिणाम दे सकते हैं। सभी दल भी सामूहिक आयोजनों को राष्ट्रीय अस्मिता का आईना समझकर व्यवहार करें, तो बड़े से बड़े आयोजनों को सुरक्षित और सुविधापूर्वक सम्पन्न कराने का वैश्विक उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है।
ईश्वर चंद गर्ग, कैथल