पाठकों के पत्र
घातक मनोवृत्ति
बारह जुलाई के दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय ‘आत्मीय अहसास का कत्ल’ में रिश्तों और आत्मीयता के खत्म होने का वर्णन किया गया है। हाल ही में हरियाणा के नारनौंद में दो छात्रों ने केवल अपने सख्त और अनुशासनप्रिय प्रिंसिपल को मार डाला, वहीं गुरुग्राम में एक पिता ने अपनी बेटी को गोलियों से इसलिए भून डाला क्योंकि वह उसकी बातों से सहमत नहीं थी। ये घटनाएं न केवल दिल दहला देती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि समाज में धैर्य और संयम की कमी हो गई है।
शामलाल कौशल, रोहतक
चीनी दबदबा
बारह जुलाई के दैनिक ट्रिब्यून में पुष्परंजन ने नेपाल में चीन के ईवी बाजार में बढ़ते दबदबे पर चर्चा की। नेपाल में भारतीय कंपनियों के वाहनों की उपस्थिति के बावजूद चीनी ईवी वाहनों की मांग बढ़ रही है। सस्ते, कम खर्चीले और प्रदूषण रहित बैटरी चालित वाहनों के कारण इनकी लोकप्रियता बढ़ी है। भारतीय कंपनियों को चीन से आयात की बजाय नेपाल में ही निर्माण बढ़ाना चाहिए, ताकि चीन का प्रभुत्व रोका जा सके।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
सुविधा या विशेषाधिकार?
दिल्ली में जहां लोग बुनियादी सेवाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहां नेताओं को महंगे स्मार्टफोन्स और असीमित मोबाइल बिल देना सवाल खड़ा करता है। जबकि तकनीक प्रशासन को सशक्त बना सकती है, क्या इतना खर्च उचित है? सरकार को इस फैसले की सच्चाई और जरूरत जनता के सामने स्पष्ट करनी चाहिए, ताकि विकास सत्ताधारियों के लाभ का नहीं, आम आदमी के भले का प्रतीक बने।
आरके जैन, बड़वानी, म.प्र.
दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम
गुरुग्राम की अंतर्राष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की उसके पिता ने पड़ोसियों के तानों से आहत होकर हत्या कर दी। राधिका चोट के बाद टेनिस एकेडमी चला रही थी और घर की जिम्मेदारी निभा रही थी। लोग पिता को ‘बेटी की कमाई खाने वाला’ कहकर ताने देते रहे। समाज की ऐसी सोच ने एक होनहार बेटी की जान ले ली। हमें इससे सबक लेना चाहिए।
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, म.प्र.