मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

पाठकों के पत्र

04:00 AM Jul 09, 2025 IST
Hand Holding Pen
नशा सामाजिक चुनौती
हिमाचल प्रदेश में ड्रग्स की बढ़ती समस्या गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। यह केवल कानून व्यवस्था का नहीं, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक ताने-बाने का भी संकट है। युवाओं का नशे की गिरफ्त में आना बेरोजगारी, तनाव और जागरूकता की कमी को दर्शाता है। सरकार की कार्रवाई जरूरी है, लेकिन समाधान शिक्षा, जनजागृति और समाज के सहयोग से ही संभव है। नशे को अपराध नहीं, बीमारी मानना चाहिए।
स्मृति, शूलिनी विवि, सोलन
प्रकृति से छेड़छाड़ 
विकास के नाम पर बिना सोचे-समझे अंधाधुंध पेड़ों की कटाई, नदियों के किनारे पक्के घर बनाना, पहाड़ों को काटकर सुरंगें बनाना और नदियों पर ऊंचे बांध बनाना, इंसान ने अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारी है। यही कारण है कि आजकल बादलों के फटने और उससे होने वाली जन-धन हानि की घटनाएं बढ़ रही हैं। अतः इंसान को चाहिए कि अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ और उसका दोहन करना बंद कर दे।
धर्मवीर अरोड़ा, फरीदाबाद
दिखावे का प्रेम
छह जुलाई के दैनिक ट्रिब्यून के अध्ययन कक्ष अंक में सुभाष नीरव की लघु कथा ‘गुड़ुप’ आज के युवा वर्ग में प्यार के नाम पर धोखे की प्रवृत्ति को उजागर करती है। लड़का-लड़की दिखावे के लिए प्रेम का नाटक करते हैं, जबकि उनकी वास्तविक रुचि बेहतर पार्टनर की तलाश में होती है। ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ जैसी कथाएं सामाजिक मर्यादाओं, नैतिकता और अग्नि के फेरों की सच्चाई को नजरअंदाज करती हैं।
अनिल कौशिक, क्योड़क कैथल
खेल भी जरूरी
आज बच्चों पर पढ़ाई का अत्यधिक दबाव है और वे मोबाइल, टीवी के मोह में फंसते जा रहे हैं। इससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो रहा है। कुछ अभिभावक भी बच्चों को इनसे दूर करने की बजाय और अधिक इसमें उलझा देते हैं। बच्चों को खेल के मैदान में भेजना जरूरी है ताकि वे सक्रिय रहें और स्वस्थ शरीर के साथ बेहतर मानसिक विकास कर सकें। खेलों से न केवल व्यायाम होता है, बल्कि आत्मविश्वास और अनुशासन भी बढ़ता है।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
Advertisement
Advertisement