पाठकों के पत्र
अपूरणीय क्षति
‘द ट्रिब्यून’ के संपादक रहे और वरिष्ठ पत्रकार हरि जय सिंह का आकस्मिक निधन पत्रकारिता जगत की अपूरणीय क्षति है। वे न केवल एक अच्छे पत्रकार थे, बल्कि एक अच्छे इंसान भी थे। हर किसी की मदद करने के लिये उत्सुक रहते थे। वे अंतिम समय तक लेखन से समाज का मार्गदर्शन करते रहे।
पवन चौहान, हि.प्र.
चिंता का विषय
बाईस अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में क्षमा शर्मा का लेख ‘बदलती जीवन शैली से संकट में पशु आबादी’ देश में पालतू पशुओं की घटती संख्या पर प्रकाश डालता है। मशीनीकरण, नई नस्लों की तकनीक, ग्रामीणों का पलायन और युवाओं की कृषि व पशुपालन में रुचि की कमी इसके प्रमुख कारण हैं। दूध न देने पर पशुओं को आवारा छोड़ दिया जाता है। जीवनशैली में बदलाव के कारण गाय, भैंस, बैल, बकरी जैसे पशुओं की संख्या तेजी से घट रही है, जो चिंता का विषय है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
मलेरिया से बचाव
हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों में मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह दिवस 2001 में अफ्रीकी देशों में शुरू हुआ था और 2008 से वैश्विक स्तर पर मनाया जाने लगा। मलेरिया मच्छरों के माध्यम से फैलता है, जो गंदगी और गंदे पानी में पनपते हैं। गरीब वर्ग को इससे अधिक खतरा होता है, इसलिए सरकार को मच्छर नियंत्रण के उपायों को लागू करना चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
न्यायपालिका की गरिमा
राजनेताओं द्वारा न्यायपालिका पर प्रश्नचिह्न लगाना अनुचित है। न्यायपालिका नागरिकों के अधिकारों की रक्षक है और उस पर दबाव बनाना लोकतंत्र के लिए घातक है। राज्यसभा के एक सांसद की टिप्पणी निंदनीय है, भले ही भाजपा ने उससे दूरी बना ली हो। संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के बयान दूरगामी प्रभाव डालते हैं। ऐसे बयानों की केवल आलोचना नहीं, बल्कि उचित कार्रवाई भी आवश्यक है ताकि न्यायपालिका की गरिमा बनी रहे।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली