पाठकों के पत्र
कूटनीतिक जीत
बारह अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘बड़ी कूटनीतिक जीत’ तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को लेकर अहम जानकारी उजागर करता है। पाकिस्तान ने उसे कनाडाई नागरिक बताने की कोशिश की, जबकि वह पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी नागरिक है। राणा, 26/11 हमले में पाकिस्तानी संलिप्तता की परतें खोलेगा। डेविड हेडली की रैकी और साजिश पहले ही उजागर हो चुकी है। पाकिस्तान की भूमिका, राणा के संपर्क में रहे अन्य लोगों की पहचान और हमले की पूरी साजिश कैसे रची गई, इन सभी परतों से अब पूछताछ के दौरान पर्दा उठेगा। राणा से जानकारी मिलने पर भारत, पाकिस्तान के आतंकी गठजोड़ को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उजागर कर सकेगा।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
ठोस प्रयास आवश्यक
चौदह अप्रैल अंबेडकर जयंती पर केंद्र व राज्य सरकारों ने विविध कार्यक्रमों के माध्यम से डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी। दिल्ली में राष्ट्रपति ने संविधान सदन में पुष्पांजलि अर्पित की। बिहार में भीम संवाद और उत्तर प्रदेश में स्मारकों की सफाई हुई। बावजूद इसके, अनुसूचित जातियों की सामाजिक, शैक्षिक व आर्थिक स्थिति अब भी कमजोर है। राजनीतिक दलों व सरकारों को यह समझना होगा कि इस उपेक्षित वर्ग को मुख्यधारा में लाने के लिए ठोस प्रयास आवश्यक हैं।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
साख बढ़ी
ऐसा प्रतीत होता है कि तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी से शुरू हुआ सिलसिला अब आगे भी जारी रहेगा। पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के रु. 13,500 करोड़ के आरोपी मेहुल चोकसी को बेल्जियम के एंटवर्प में गिरफ्तार किया गया है। चोकसी ने पहले एंटीगुआ में शरण ली थी, फिर बेल्जियम में ‘एफ रेजिडेंसी कार्ड’ के माध्यम से बस गए। भारत-बेल्जियम के आपराधिक मामलों में कानूनी सहयोग से प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को बल मिला है। इससे विदेशों में छिपे अपराधियों में भय व्याप्त हो रहा है और सरकार की साख बढ़ रही है।
अमृतलाल मारू, इन्दौर, म.प्र.