पाठकों के पत्र
इतिहास से सबक
उन्नीस मार्च के दैनिक ट्रिब्यून में विश्वनाथ सचदेव का लेख ‘इतिहास के स्याह पक्ष से सबक लेने का वक्त’ औरंगजेब के क्रूर शासन से सीखने की बात करता है। उन्होंने कहा कि औरंगजेब पर राजनीति करने के बजाय हमें उसके अत्याचारों से सबक लेना चाहिए। वह एक क्रूर शासक था, जिसने अपने भाई को मरवाया, पिता शाहजहां को कैद में रखा, हिंदुओं के मंदिर तोड़े, जजिया लगाया और सिख गुरुओं को शहीद किया। उसकी कब्र को तोड़ने से कुछ नहीं बदलेगा, बल्कि हमें उसके काले इतिहास से सीख लेकर भविष्य में ऐसे कृत्य रोकने चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक
प्लास्टिक कचरा
अठारह मार्च के दैनिक ट्रिब्यून में पंकज चतुर्वेदी का 'सरकारी जवाबदेही और सामाजिक जागरूकता जरूरी' लेख प्लास्टिक कचरे से होने वाले प्रदूषण और इससे होने वाली कैंसर जैसी बीमारियों के प्रति चेतावनी देने वाला था। सुप्रीम कोर्ट ने इस समस्या का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकारों को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कचरे का अंबार है। माइक्रो प्लास्टिक कणों के सेवन से कैंसर मरीजों की संख्या बढ़ रही है। सरकारी एजेंसियां भी अपनी जिम्मेदारी के प्रति जागरूक नहीं हैं।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
समाधान निकालें
यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि महाराष्ट्र में औरंगजेब पर राजनीति के चलते नागपुर में हिंसा हुई, जिसकी आशंका पहले से जताई जा रही थी। इस हिंसा में 33 पुलिसकर्मी घायल हुए और एक डीएसपी पर कुल्हाड़ी से हमला हुआ। औरंगजेब को भारतीय इतिहास में क्रूर शासक माना जाता है। महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग उठ रही है और संभाजी नगर में धरना प्रदर्शन हो रहे हैं। सरकार को विरोधी संगठनों से संवाद स्थापित कर समाधान खोजना चाहिए।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली