पाठकों के पत्र
सख्ती जरूरी
यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया इंडियाज गॉट लेटेंट में अभद्र भाषा के इस्तेमाल के कारण सुर्खियों में है। सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई। चाहे नेता हो या अभिनेता, यूट्यूबर हो या अन्य, अप्रिय बोल में पीछे नहीं रह रहे हैं। यूट्यूबर ने जो बोला वह तो शर्म मर्यादा को तोड़ने की पराकाष्ठा थी। सभ्य समाज में ऐसे मर्यादाहीन बोल कतई बर्दाश्त योग्य नहीं हैं। आजकल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हर कोई जो भी मुंह में आ रहा है बोल रहा है। न कोई रोकने वाला न कोई टोकने वाला, अपितु सुरसा के मुंह की भांति बढ़ते ही जा रहे हैं। अदालत ने रणवीर को केवल फटकार लगाकर सस्ते में छोड़ दिया, जबकि ऐसों के लिए सख्ती जरूरी थी।
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन
मोबाइल घातक
उन्नीस फरवरी के दैनिक ट्रिब्यून में सम्पादकीय में ‘बचपन पर भारी स्मार्टफोन’ मानसिक एकाग्रता व सेहत के लिए घातक है। स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। शिक्षा में स्मार्टफोन के उपयोग से सीखने में सहायता मिल सकती है, लेकिन इसके दुष्प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ऑनलाइन सामग्री और गेम्स बच्चों को शारीरिक खेलों से दूर कर रहे हैं। इसलिए, शिक्षा में स्मार्टफोन का नियंत्रित और सीमित उपयोग किया जाना चाहिए, ताकि यह बच्चों की मानसिक एकाग्रता और सेहत पर बुरा प्रभाव न डाले।
जे.बी. भारद्वाज, नाहड़, रेवाड़ी
रोकें रेल हादसे
रेलवे स्टेशनों पर ज्यादा भीड़ के चलते सरकार को व्यवस्था प्रबंधन की तरफ ध्यान देना चाहिए। रेलों के आगमन की पर्याप्त और उचित जानकारी समय से पहले फ़्लैश करनी चाहिए ताकि भगदड़ जैसी स्थिति से बचा जा सके। ट्रेनों के रुकने का समय बढ़ाना चाहिए ताकि यात्री आराम से ट्रेन में चढ़ सकें। यात्रियों को भी चाहिए कि वे सुव्यवस्थित ढंग से लाइन बना कर चढ़ें ताकि भगदड़ न मचने पाए।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली