पाठकों के पत्र
एआई की चुनौती
अठारह फरवरी के दैनिक ट्रिब्यून में सम्पादकीय पृष्ठ पर डॉ़ जयंती लाल भंडारी ने युवाओं को हाई स्किल्ड पेशेवर बनने की पेशकश की है। संसार में नए दौर की नौकरियों के लिए शिक्षित -प्रशिक्षित करने की बड़ी चुनौती भी सामने है। ख़ासतौर से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में यह चुनौती और अधिक है। विश्व स्तर पर एआई कौशल की मांग में तेजी आई है। वास्तव में भारत की नई पीढ़ी डिजिटल दौर के हाई स्किल्ड कामों में लगातार अपना योगदान बढ़ा रही है। भारत एआई क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व कर सकता है। भारत की गणित में दक्ष नई पीढ़ी के लिए एआई के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।
जे.बी. भारद्वाज, नाहड़
संवेदनहीन बयान
डीएमके सांसद दयानिधि मारन का संस्कृत को लेकर विवादित बयान असंवेदनशील है। संस्कृत न केवल हमारी संस्कृति और विरासत का हिस्सा है, बल्कि यह नैतिकता और इंसानियत की राह भी दिखाती है। यदि राजनेता संस्कृत के महत्व को समझें और इसे अपनी राजनीति में अपनाएं, तो देश की राजनीति में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। अफसोस की बात है कि वोट बैंक की राजनीति और झूठी शान के कारण राष्ट्रभाषा हिंदी को भी सम्मान नहीं मिल पाया, तो संस्कृत को कैसे महत्व मिलेगा।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
दिल्ली सुधार अभियान
दिल्ली के विधानसभा चुनाव में यमुना प्रदूषण और शीशमहल मुद्दा प्रमुख रहे, जो आप सरकार की हार का कारण बने। अब उपराज्यपाल के आदेश पर यमुना की सफाई का अभियान जोर-शोर से चल रहा है। दिल्ली नगर निगम अतिक्रमण हटाने के लिए योजनाएं बना रहा है। नई सरकार के लिए 100 दिन का मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है, जिससे दिल्ली वालों को समस्याओं से राहत मिलेगी। यह सकारात्मक संकेत हैं कि नई सरकार पिछली सरकार की अपूर्ण योजनाओं को पूरा करेगी।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली