पाठकों के पत्र
एफडीआई की संभावनाएं
सात जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून में डॉ. जयंतीलाल भंडारी के लेख में भारत की विकास दर, सेंसेक्स की बढ़त, और राजनीतिक स्थिरता के बीच विदेशी प्रत्यक्ष निवेश बढ़ाने की संभावनाएं उजागर की गई हैं। 2025 तक एफडीआई बढ़ाने के लिए निवेश सीमा बढ़ाने, नियामक बाधाओं को हटाने, बुनियादी ढांचे के विकास, और व्यापार माहौल में सुधार की आवश्यकता होगी। भारत के प्रमुख एफडीआई स्रोत मॉरीशस, सिंगापुर और अमेरिका हैं, और आईटी, फाइनेंशियल सर्विसेज़, टेलीकम्युनिकेशंस जैसे क्षेत्रों में संभावनाएं बढ़ रही हैं।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
जागरूकता और तैयारियां
बीते मंगलवार तिब्बत में आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई, जिसके झटके उत्तर भारत में भी महसूस किए गए। भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाएं यह सवाल उठाती हैं कि क्या विज्ञान के बावजूद इंसान प्रकृति के आगे कमजोर है। इतिहास में भी भूकंप से भारी नुकसान हुआ है, जैसे 1905 कांगड़ा और 2001 गुजरात भूकंप। सरकार को इमारतों की जांच और आपदा प्रबंधन तंत्र को मजबूत करना चाहिए। वहीं लोगों को भूकंप से बचने के उपायों के बारे में जागरूक करना चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
खिलाफत महंगी पड़ी
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को उनके समक्ष खड़ी चुनौतियों का सामना करना इतना कठिन हो गया कि उन्हें इस्तीफा देने की घोषणा करनी पड़ी। ‘अपने ही सांसदों का विश्वास खो बैठे ट्रूडो’ शीर्षक वाले आलेख में पुष्परंजन ने यह बताया कि कनाडा में बढ़ते भ्रष्टाचार, महंगाई, भारत के खिलाफ़ बयानबाजी और समर्थकों की कमी के कारण ट्रूडो को इस्तीफा देने की नौबत आई है। कनाडा सहित अन्य देशों को यह समझना चाहिए कि भारत के खिलाफ़ बयानबाजी करना सामान्य बात नहीं है।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन