पाठकों के पत्र
मांगें पूरी कीजिए
उनतीस दिसंबर के दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित खबर ‘डल्लेवाल को अस्पताल जाने...’ में बताया गया है कि किसानों की मांगों को लेकर जगजीत सिंह डल्लेवाल आमरण अनशन पर हैं और उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। कोर्ट ने कहा कि डल्लेवाल का जीवन मूल्यवान है और जो लोग उन्हें अस्पताल ले जाने से रोकते हैं, वे उनके हितैषी नहीं हो सकते। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि अगर डल्लेवाल को कुछ हो गया तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। इस स्थिति में केंद्र सरकार को चाहिए कि वह आंदोलनकारी किसानों से बातचीत करके उनकी जायज मांगों को मान ले।
शामलाल कौशल, रोहतक
अतार्किक बदलाव
राजस्थान की भजन लाल शर्मा सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बनाए गए तीन संभाग और 9 जिलों को समाप्त करने का ऐलान कर राजस्थान की राजनीति को गरमा दिया है। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम दोबारा सरकार में आएंगे तो पुन: इन संभाग और जिलों का सृजन करेंगे। वास्तव में राजस्थान में जनता को 150 किलोमीटर तक दूर तक भी जिला कार्यालय में जाना पड़ता है। जिलों का सृजन प्रशासनिक दृष्टि से एक अच्छा कदम माना जाता है ताकि जनता के प्रतिवेदन देने, शिकायत और सुनवाई के कार्य आसान हो जाते हैं।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
अपूरणीय क्षति
भारत के दो बार प्रधानमंत्री रहे सरदार मनमोहन सिंह जी भारत ही नहीं, सारी दुनिया के श्रेष्ठ नेताओं में से एक रहे। पक्ष-प्रतिपक्ष सभी नेताओं में मनमोहन जी के मित्र और चाहने वाले थे। विपरीत राजनीतिक विचारधारा के कारण जब प्रतिपक्ष के कुछ एक नेता भारतीय संसद में और बाहर भी विरोध करने की सीमाएं पार कर जाते तो सरदार मनमोहन सिंह अपनी मधुर वाणी और धीमी आवाज में शे’र कहकर लगभग सभी को शांत करने में सफल रहते थे। एक अर्थशास्त्री के रूप में डॉ़ मनमोहन सिंह का जाना अपूरणीय क्षति है।
मुमुक्षु के. ठाकुर, चम्बा, हि.प्र.