पाठकों के पत्र
सादगी के प्रधानमंत्री
भारत के चौदहवें प्रधानमंत्री, 92 वर्षीय डॉ. मनमोहन सिंह का दुखद निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका जन्म पश्चिमी पाकिस्तान में हुआ था। अपने परिश्रम से उन्होंने लंदन से पीएचडी की, पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ में अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष के तौर पर कार्य किया, योजना आयोग के अध्यक्ष बने, आरबीआई के गवर्नर बने। वे वित्त मंत्री बने और नई आर्थिक नीतियों का निर्माण किया, जिन्हें न केवल भारत बल्कि सारे विश्व ने विकास के लिए अनुकूल समझा। वह भारत के 2004 से लेकर 2014 तक 10 साल प्रधानमंत्री रहे। उनका जीवन बहुत सरल था। वे अपने विपक्षियों को भी सम्मान देते थे।
शामलाल कौशल, रोहतक
आपराधिक लापरवाही
मोहाली में एक बहुमंजिला इमारत के गिरने से कई सवाल खड़े हो गए हैं। खुदाई करते वक्त इस बात का ध्यान क्यों नहीं रखा जाता कि साथ वाली इमारत को कोई हानि न पहुंचे। िबल्डिंग की खुदाई करते वक्त सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वहां पर सुपरवाइजर हो, जिसकी निगरानी में यह काम हो ताकि ऐसी दर्दनाक घटनाओं से बचा जा सके। बेसमेंट बनाने के लिए सरकार को अनुमति देना बंद करना चाहिए। अधिकतर ज्यादा हादसे बेसमेंट की खुदाई के कारण ही होते हैं।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली
डाक्टरों की उपलब्धता
चौबीस दिसंबर के दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय 'मर्ज का फर्ज' में भारत में डॉक्टरों की गंभीर कमी पर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार कई जगह 1000 व्यक्तियों पर एक भी डॉक्टर नहीं है। नए मेडिकल कॉलेज खुलने के बावजूद सीटें खाली रहती हैं, और सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों का बोझ बढ़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने एक महीने में मेडिकल कॉलेज सीटों को भरने और ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की नियुक्ति की हिदायत दी है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
किसानों की समस्याएं
किसान और कृषि की प्रगति के बिना देश की समृद्धि संभव नहीं है। हालांकि, उन्नत कृषि की कई सुविधाएं उपलब्ध हैं, फिर भी महंगी और समय पर न मिलने वाली सुविधाएं किसानों की समस्याओं को बढ़ाती हैं। कालाबाजारी, उपज का सही मूल्य न मिलना और बिजली, पानी, भंडारण जैसी समस्याएं कृषि प्रधान देश के लिए शर्मनाक हैं। इसमें सरकार की नीतियों का प्रमुख दोष है, जो किसानों की समस्याओं को हल नहीं कर रही हैं।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन