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पत्र

04:00 AM Dec 11, 2024 IST

जरूरी रैन बसेरे
नौ दिसंबर के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘बेघरों का बसेरा’ सर्दी में बेघर लोगों के लिए रैन बसेरों की व्यवस्था करने की ज़रूरत पर बल देने वाला था। सर्दी हो, गर्मी हो, बरसात हो, मरता है बेचारा बेघर गरीब। सरकार रैन बसेरों की लंबी-चौड़ी बातें तो करती है लेकिन असल में ऐसा नहीं होता जैसा कि प्रचार किया जाता है। रैन बसेरे में आवश्यक सुविधाएं, सुरक्षा, सफाई आदि नहीं होते। केंद्र सरकार को चाहिए कि वह राज्य सरकारों को यह आदेश दे कि बेघर गरीब लोगों के लिए रैन बसेरे पर्याप्त संख्या में बनाए जाएं। उनमें आवश्यक सुविधाएं, सुरक्षा तथा सफाई का प्रबंध करें।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

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प्रेरक पहल
पटियाला की गुरप्रीत कौर ने नशे की लत से सैकड़ों लोगों को मुक्ति दिलाई और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराकर उनके जीवन में स्वावलंबन लाया। नशामुक्ति अभियान ने जागरूकता फैलाते हुए युवाओं को स्वस्थ जीवन की ओर प्रेरित किया। नशीले पदार्थों से होने वाला नुकसान गंभीर और जानलेवा है, जो मानसिक, सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर बुरा असर डालता है। नशा मुक्त रहकर ही व्यक्ति और समाज की खुशहाली संभव है, जिसके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।
संजय वर्मा, धार, म.प्र.

अब ध्यान दिवस
भारतीय सभ्यता और संस्कृति में योग और ध्यान का महत्वपूर्ण स्थान है। हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय ध्यान दिवस घोषित किया, जो हमारे लिए गर्व की बात है। ध्यान एक ऐसी पद्धति है, जिससे हम अपने मन और दिमाग को एकाग्र करके मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। सही तरीका अपनाकर, जैसे आसन लगाकर और लंबी सांसें लेकर ध्यान किया जाता है, यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। आजकल के तनावपूर्ण जीवन में ध्यान से मानसिक शांति मिलती है, जिससे कई मानसिक और शारीरिक बीमारियों से बचा जा सकता है।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर

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