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नेकी का हीरा

04:00 AM Dec 20, 2024 IST

क काफिला अंधेरी सुरंग से गुजर रहा था। यात्रियों के पैरों में कंकरियां चुभीं। कुछ लोगों ने इस ख्याल से कि किसी और को न चुभ जायें, नेकी की खातिर उठाकर जेब में रख लीं। कुछ ने ज्यादा उठाई कुछ ने कम। जब अंधेरी सुरंग से बाहर आये तो देखा वो हीरे थे। जिन्होंने कम उठाई वो पछताए कि ज्यादा क्यों नहीं उठाई। जिन्होंने नहीं उठाई वो और पछताए। दुनिया में जिन्दगी की मिसाल इस अंधेरी सुरंग जैसी है। नेकी यहां कंकरियों की मानिंद है। इस जिंदगी में जो नेकी की, वो आखिर में हीरे की तरह कीमती होगी। और अंत में इन्सान तरसेगा कि उसने और ज्यादा क्यों न की।

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प्रस्तुति : प्रवीण कुमार सहगल

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