नीम करौली बाबा की दिव्य साधना स्थली
नेता, उद्योगपति, खिलाड़ी समेत नामी-गिरामी हस्तियों ने कैंची धाम में बाबा का आशीर्वाद लिया है। फ़ेसबुक का संस्थापक मार्क जुकरबर्ग से लेकर एप्पल के स्टीव जॉब्स भी आशीर्वाद ग्रहण करने वालों में शुमार हैं। सुनते हैं कि मार्क जुकरबर्ग तो अपने जीवन का उद्देश्य ढूंढ़ने यहां आया था। दोनों विश्व दिग्गज बाबा को अपना आध्यात्मिक गुरु मानते हैं।
अमिताभ स.
हाल के सालों में, उत्तराखंड में नैनीताल के नज़दीक स्थित श्री कैंची धाम की महिमा बढ़ी है। काठगोदाम से टेढ़े-मेढ़े पहाड़ी सड़कों से गुज़र कर काठगोदाम से भीमताल और भवाली होते हुए कैंची धाम पहुंचते हैं। काठगोदाम से पहुंचने में क़रीब दो घंटे लग जाते हैं। काठगोदाम तक रेल से भी आ-जा सकते हैं। नैनीताल से तो और भी नज़दीक पड़ता है- क़रीब एक घंटे की सड़क दूरी पर। नज़दीकी हवाई अड्डा पंत नगर है, जो कैंची धाम से क़रीब 70 किलोमीटर दूर है।
दिल्ली से नैनीताल के हाई-वे पर आते-जाते बाबा की ख्याति का परिचय मिलता रहता है। होर्डिंग और हर ढाबे पर बाबा की तस्वीरें स्वागत करती हैं। कैंची धाम में बाबा नीब करौरी का दिव्य मंदिर है। कई इन्हें बाबा नीम करौली भी कहते हैं। पहाड़ों से बहती शिप्रा नदी के किनारे बाबा जी के डेरे में बजरंग बली और श्री वैष्णो माता की भव्य प्रतिमाएं हैं। भक्त मत्था टेकते हैं, घंटियां गूंजती रहती हैं। एक कक्ष में बाबा नीम करौरी की आदम कद प्रतिमा सजी है। बाबा की प्रतिमा कंबल ओढ़े है, इसलिए कई भक्त बाबा के चरणों में अर्पण करने के लिए साथ कंबल लेकर जाते हैं। पुजारी कंबल को बाबा के चरणों से लगाकर, पुष्प रखकर लौटा देते हैं। इसे अपने घर में इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है।
भक्त नीम करौली बाबा को हनुमान जी का अवतार मानते हैं। इसलिए यहां भक्त मन ही मन निरंतर श्री हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। मंदिर के अंदर 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करना अत्यंत फलदायक होता है। ऐसा करना एक अलग आध्यात्मिक अनुभव देता है। मंदिर के परिसर में मौजूदगी के दौरान तन-मन में सकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है। इसीलिए दूर-दूर से भक्त बाबा के पास अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। भक्तों को विश्वास है कि घर लौटते-लौटते उनकी मन मांगी मुरादें पूरी हो जाती हैं। कह सकते हैं कि धाम आने वाला भक्त कभी खाली हाथ नहीं जाता है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि स्थल कैंची के आकार का है, इसलिए कैंची धाम के नाम से जाना जाता है। बाबा नीब करौरी 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहां आश्रम बनाने का श्रीगणेश किया। तपस्या-साधना से यह भूमि चमत्कारों से भर गई है। कहा जाता है कि कैंची धाम में एक बार भंडारे के दौरान घी की कमी पड़ गई थी। बाबा ने कहा कि नीचे बहती नदी से पानी भरकर लाएं। उस पानी को प्रसाद बनाने के लिए जब उपयोग किया, तो पानी घी में बदल गया! ऐसे कई चमत्कार यहां आज भी सुनने को मिलते हैं।