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नये वायरस के बीच चीन में जीवन

04:00 AM Jan 10, 2025 IST
Visitors take souvenir pictures with the ice structures during the Harbin Ice and Snow World in Harbin, China's Heilongjiang province on Monday, Jan. 6, 2025. AP/PTI(AP01_09_2025_000028A)

शायद बाहर के देशों में लोगों को लग रहा है कि चीन शायद कुछ छिपा रहा है। लेकिन यह भी हकीकत है कि अगर कोई नया या खतरनाक वायरस फैल रहा होता तो यहां लोगों की गतिविधियों से उसका आभास हो जाता। उसके प्रसार को रोकने के लिए सरकार की ओर से कुछ तो कदम उठाए जाते। लेकिन चीन में अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है।

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अनिल आज़ाद पांडेय

साल 2020 की शुरुआत में फैली कोरोना महामारी ने दुनियाभर के लोगों का सुख-चैन छीन लिया था। बड़ी मुश्किल से लोग इस खतरनाक वायरस के चंगुल से बाहर निकलने में कामयाब रहे हैं। लेकिन अब उनके मन में फिर से भय का माहौल व्याप्त होने लगा है। इस बार भी चर्चा का केंद्र भारत का पड़ोसी देश चीन ही बना है। इसकी वजह एचएमपीवी नामक एक वायरस के प्रसार को बताया जा रहा है। विशेषकर भारतीय मीडिया में चीन की जो खबरें पेश की जा रही हैं, वो बेहद डराने वाली हैं। कहा जा रहा है कि चीन में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो चुकी है और अस्पतालों में लोगों को बेड नहीं मिल पा रहे हैं। इस नए वायरस से लगातार लोगों की मौत हो रही है, यहां तक कि शवदाह गृहों में भी जगह नहीं बची है। इस तरह से चीन में हाहाकार मचा हुआ है। भारत में इस तरह के समाचारों को देखने और पढ़ने के बाद आम नागरिक सहम गए हैं। उन्हें अपनी ज़िंदगी और रोजी-रोटी का डर अभी से सताने लगा है। क्योंकि कोविड-19 के वायरस की भयावहता को लोगों ने झेला है, ऐसे में डरने की वजह भी है। इस दौरान इस वायरस से संबंधित कुछ मामले भारत में भी सामने आ चुके हैं। मीडिया में चल रहीं इन सनसनीखेज और खौफनाक खबरों की हकीकत क्या है। क्या सच में चीन की धरती पर एक और वायरस फैल रहा है, क्या यह भारत और दुनिया के लिए खतरे की घंटी है।
दरअसल, चीन में इन दिनों सर्दी का मौसम है और उत्तर व उत्तर-पूर्वी इलाकों में पारा शून्य से नीचे चल रहा है। ऐसे में इस सीज़न में आमतौर पर लोग सर्दी, जुकाम व खांसी आदि से पीड़ित रहते हैं। बच्चों और बुजुर्गों को भी जुकाम, बुखार होना सामान्य बात है। लेकिन इस बार स्थिति थोड़ा-सा अलग है। पिछले कुछ हफ्तों से चीन में एचएमपीवी यानी ह्यूमन मेटान्यूमोनोवायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में काफी इजाफा देखने में आया है। लोग सिरदर्द, थकान, सांस लेने में दिक्कत और मांसपेशियों में दर्द आदि की शिकायत कर रहे हैं। विशेषकर छोटे बच्चों में इस इन्फ्लुएंजा का ज्यादा असर दिख रहा है। जाहिर है कि बच्चों का इम्यून सिस्टम उतना मजबूत नहीं होता, ऐसे में वे इस वायरस से जल्दी संक्रमित हो रहे हैं। लेकिन वे पांच-सात दिनों के भीतर स्वस्थ हो जा रहे हैं। कुछ लोग अस्पतालों में जाने के बाद दवा लेकर ठीक हो गए हैं। अस्पतालों में मरीजों की संख्या पहले की तुलना में ज्यादा तो है, लेकिन इमरजेंसी या डराने वाले हालात बिलकुल नहीं हैं। हालांकि कमजोर और संवेदनशील लोगों की स्थिति थोड़ा गंभीर होने की आशंका है। बावजूद इसके घबराने वाली कोई बात नहीं है। कोरोना के उलट यहां स्थानीय लोग कोई बचाव के खास उपाय भी नहीं कर रहे हैं।
इस वायरस के प्रसार के बीच चीन का माहौल बेहद सामान्य है। चीन की राजधानी बीजिंग में लोग इस फ्लू से पीड़ित तो हैं लेकिन शहर में कहीं कोई पाबंदी नहीं है। एक जगह से दूसरी जगह जाने या घूमने-फिरने पर कोई बंदिश नहीं है। लोग पहले की तरह सामान्य रूप से अपने दैनिक कार्य कर रहे हैं। स्कूलों और दफ्तरों में सब कुछ नार्मल चल रहा है। आमतौर पर लोग कोई विशेष सावधानी या सतर्कता नहीं बरत रहे हैं और रोज ऑफिस व बाज़ार जा रहे हैं। कर्मचारी लोग भी नियमित रूप से अपने ऑफिस जा रहे हैं। हां, इक्का-दुक्का लोग मास्क जरूर पहने हुए रहते हैं जो अक्सर यहां लोग करते हैं। उधर बाज़ारों और मॉलों में लोगों की भारी भीड़ है, वे सामान्य रूप से शॉपिंग करते हुए नजर आ रहे हैं। जबकि पार्कों में लोग मार्निंग या इवनिंग वॉक के अलावा व्यायाम कर रहे हैं। जिम और योगा सेंटर पूरी क्षमता के साथ संचालित हो रहे हैं। अभी हाल में ही क्रिसमस और नए साल के दौरान चीन के विभिन्न शहरों में संगीत कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। 31 दिसंबर की रात को तमाम रंगारंग कार्यक्रमों में लोगों की जबरदस्त भीड़ देखी गयी।
शायद बाहर के देशों में लोगों को लग रहा है कि चीन शायद कुछ छिपा रहा है। लेकिन यह भी हकीकत है कि अगर कोई नया या खतरनाक वायरस फैल रहा होता तो यहां लोगों की गतिविधियों से उसका आभास हो जाता। उसके प्रसार को रोकने के लिए सरकार की ओर से कुछ तो कदम उठाए जाते। लेकिन चीन में अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है। बीजिंग के अलावा वाणिज्यिक राजधानी शंघाई और अन्य बड़े शहरों में भी रेल, हवाई और सड़क यातायात निर्धारित रूप से चल रहा है। लोगों की कोई जांच या हेल्थ कोड स्कैन नहीं किये जा रहे हैं। इससे साफ हो जाता है कि यह एक सामान्य प्रकार का वायरस है, जो इन दिनों फैल रहा है। जिससे संक्रमित लोग आसानी से ठीक हो जा रहे हैं।
वहीं चीन सरकार ने स्वीकार किया है कि देश में एचएमपीवी का प्रसार हो रहा है। उसके मुताबिक एच1एन1 प्रकार के इन्फ्लुएंजा ए के मामलों में हाल के दिनों इजाफा हुआ है। यह फ्लू इन दिनों अपने पीक पर पहुंच चुका है। जबकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एचएमपीवी का ठंड के दिनों में फैलना आश्चर्य की बात नहीं है। यह पहले से मौजूद वायरस है, जो वर्ष 2001 में पहली बार हालैंड में पाया गया था। और यह समय-समय पर लोगों को संक्रमित करता रहता है। हालांकि बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बूढ़े लोगों को इससे सावधान रहने की आवश्यकता है। क्योंकि यह सामान्य फ्लू से कुछ ज्यादा असर दिखाता है, जिससे उबरने में कुछ दिन लग जाते हैं। पर यह कोई महामारी का रूप नहीं है और इससे आमतौर पर लोगों की मौत नहीं होती है। हां भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनने और सतर्क रहने की सलाह जरूर लोगों की दी जा रही है। ऐसे में कहा जा सकता है कि चीन में कुछ भी असामान्य नहीं चल रहा है। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है और अफवाहों पर ध्यान न दें।
वैसे लेखक कोरोना महामारी के दौरान भी चीन में ही मौजूद थे और चीन में वायरस के प्रसार को रोकने के लिए चल रहे सख्त उपायों को नजदीक से देखा। तब कोविड-19 का वायरस बहुत तेजी से फैल रहा था, जिसके कारण चीन व अन्य देशों में लॉकडाउन और लोगों की आवाजाही को प्रतिबंधित कर दिया गया था। शुरुआत में भारत ने चीन व अन्य देशों से आने वाली फ्लाइट्स के यात्रियों की जांच की और उन्हें क्वारंटीन में रखा गया। लेकिन कुछ समय बाद चीन ने नियंत्रण के उपाय अपनाने शुरू कर दिए, जिसमें दूसरे देशों से आने वाले यात्री विमानों पर रोक लगायी गयी। हालांकि अब चीन की अन्य देशों के साथ सीधी हवाई यात्रा बहाल हो चुकी है। लेकिन भारत और चीन के बीच पिछले लगभग चार सालों से कोई सीधी उड़ान नहीं है, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि एचएमपीवी का कोई नया और जानलेवा स्ट्रेन सामने नहीं आएगा और लोगों के जीवन में कोई बड़ी बाधा पैदा नहीं होगी।

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लेखक चीन स्थित सीजीटीएन में डेढ़ दशक से कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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