For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

कनाडा की राजनीति में नई उम्मीद अनिता आनंद

04:00 AM Jan 10, 2025 IST
कनाडा की राजनीति में नई उम्मीद अनिता आनंद
Advertisement

महज वर्ष 2019 में राजनीति में सक्रिय होने वाली अनिता आनंद ने कनाडा की राजनीति में प्रतिष्ठित जगह बना ली है। यही वजह है कि आम चुनाव से पहले इस्तीफा देने वाले जस्टिन ट्रूडो के विकल्प के रूप में उन्हें देखा जा रहा है।

Advertisement

अरुण नैथानी

यूं तो भारतीय मूल की प्रतिभाएं पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रही हैं, लेकिन अमेरिका व कनाडा में उनकी तूती बोलती है। हाल के कनाडा के घटनाक्रम में भारत के मुखर विरोधी रहे जस्टिन ट्रूडो को लगातार प्रतिकूल होती परिस्थितियों में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, तो एक भारतीय मूल की प्रतिभा की उनके विकल्प के तौर पर चर्चा हुई। दरअसल, जिन तत्वों की मदद के लिये ट्रूडो भारत विरोध की सीमाएं लांघ रहे थे, उन्हीं ने उनकी सत्ता की कुर्सी हिला दी। अब कनाडा की राजनीति में उनके उत्तराधिकारी की तलाश शुरू हो गई है। संयोग देखिए कि जिस भारत के खिलाफ वे लगातार जहर उगलते रहे हैं, उसकी एक बेटी के ही उनका विकल्प बनने के कयास लगाये जा रहे हैं। यूं तो उनके भावी उत्तराधिकारी के रूप में क्रिस्टिया फ्रीलैंड, मार्क कार्नी व क्रिस्टी क्लार्क के नाम की चर्चा है, लेकिन जस्टिन ट्रूडो का उत्तराधिकारी बनने की दौड़ में शामिल अनिता आनंद सबसे आगे बतायी जा रही हैं। हालांकि, हालिया सर्वेक्षण कनाडा में ट्रूडो की पार्टी की खस्ता हालत की ओर इशारा कर रहे हैं। यूं तो लिबरल पार्टी में रूढ़िवादियों का वर्चस्व है और वे कनाडा मूल की क्रिस्टिया फ्रीलैंड, मार्क कार्नी व क्रिस्टी क्लार्क की वकालत कर रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद अनिता आनंद इस मुकाबले की रिंग में जोरदार चुनौती देने वाली हैं।
दरअसल, अनिता आनंद ने अपनी प्रतिभा व योग्यता से कनाडा की राजनीति में अपना मुकाम हासिल किया है। वे वर्ष 2019 में सांसद चुनी गईं तो खरीद मंत्री के रूप में उनकी भूमिका की खूब सराहना हुई। इस बीच पूरी दुनिया को हलकान करने वाला कोरोना संकट आया तो कनाडा भी उससे अछूता नहीं रहा। उस दौरान वैक्सीन, पीपीई किट व अन्य जीवन रक्षा उपकरणों में उनकी खरीद के प्रयासों की खूब सराहना हुई थी। इसके बाद जब वह रक्षा मंत्री बनीं तो रूसी आक्रमण से जूझ रहे यूक्रेन की मदद के लिये वह जीवटता से खड़ी नजर आईं। उन्होंने उसके हितों की पूर्ति के लिये यथासंभव प्रयास किए। कालांतर में जब वह रक्षा मंत्री बनीं तो महिला सैनिक व सैन्य अधिकारियों की अस्मिता की रक्षा के पक्ष में डटकर खड़ी रहीं। उन्होंने सेना के भीतर यौन दुर्व्यवहार के आरोपों की समीक्षा के लिये सरकार का नेतृत्व किया था। दरअसल, उनके हाई प्रोफाइल पोर्टफोलियो व बढ़ती लोकप्रियता से जस्टिन ट्रूडो भी आशंकित हो गए और अनिता के पर कुतरने के प्रयास किए गए। उनकी महत्वाकांक्षा के चलते वर्ष 2023 के कैबिनेट फेरबदल में उन्हें ट्रेजरी बोर्ड की अध्यक्ष बनाया गया। कहा गया कि उनके बढ़ते कद से भयभीत पार्टी नेतृत्व ने उनकी पदावनति की है।
बहरहाल, प्रधानमंत्री की रेस में दमदख से पद का दावा कर रहीं अनिता को दमदार नेता के रूप में देखा जाता है। वह अपने प्रोफाइल में यह लिखने से संकोच नहीं करती हैं कि वह कनाडा की पहली हिंदू सांसद और हिंदू मंत्री रही हैं। बहरहाल, महज वर्ष 2019 में राजनीति में उतरने वाली अनिता ने कनाडा की राजनीति में अपनी प्रतिष्ठित जगह बना ली है। यही वजह है कि उन्हें आम चुनाव से पहले इस्तीफा देने वाले जस्टिन ट्रूडो के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। उन्हें उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड, विदेशमंत्री मेलनी जोली की टक्कर की नेता माना जा रहा है। परिवहन मंत्री के रूप में सार्थक भूमिका निभाने वाली अनिता आनंद एक प्रतिभावान व उच्च शिक्षित राजनेता हैं। उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी तथा क्वींस यूनिवर्सिटी से स्नातक स्तरीय शिक्षा हासिल की। पहले डलहौजी विश्वविद्यालय से कानून की स्नातक और कालांतर में उन्होंने टोरंटो यूनिवर्सिटी से कानून मे स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें टोरंटो विश्वविद्यालय में अध्यापन का अवसर मिला। साथ ही उन्होंने वेस्टन यूनिवर्सिटी, क्वींस यूनिवर्सिटी तथा विश्व प्रसिद्ध येल विश्वविद्यालय में अध्यापन किया।
बताते हैं कि अनिता आनंद का परिवार साठ के दशक में नाइजीरिया से आकर कनाडा के नोवा स्कोशिया के केंटविल में आकर रहने लगा था। उनका लालन-पालन एक उच्च शिक्षित परिवार में हुआ, जिसने उन्हें उच्च शिक्षा हासिल करने को प्रेरित किया। संयोग से अनिता के माता और पिता दोनों ही पेशे से चिकित्सक रहे हैं। उनके परिवार में दो बहनें भी हैं।
बहरहाल, लिबरल पार्टी में उन्हें एक महत्वाकांक्षी राजनेता के रूप में देखा जाता है और इसी वजह से ट्रूडो समेत कई रुढ़िवादी नेता उनका कद कम करने की कोशिशों में लगे रहते हैं। दरअसल, अनिता की राजनीति में दस्तक काफी देर से हुई। जब वह पहली बार ओकविल सीट से 2019 में सांसद चुनी गईं तो उनकी उम्र 57 साल थी। लेकिन अब चाहे सार्वजनिक सेवाओं व खरीद मामलों की मंत्री रही हों, रक्षा मंत्री रही हों या फिर परिवहन मंत्री, उन्होंने अपने शानदार काम से विशिष्ट पहचान बनायी। कोविड-19 के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में उनके योगदान को अकसर याद किया जाता है। लेकिन जब उनका कद छोटा करके ट्रेजरी बोर्ड को संभालने का दायित्व सौंपा गया तो वहां भी उन्होंने अपनी विशिष्ट कार्यशैली की छाप छोड़ी। तब यह कहा गया कि पार्टी नेतृत्व ने उनकी महत्वाकांक्षाओं का दमन किया है। यही वजह है कि बीते साल दिसंबर में जब ट्रूडो ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया तो फिर उनका विभाग बदला गया। उन्हें कम महत्वपूर्ण परिवहन व आंतरिक व्यापार मंत्री का दायित्व दिया। लेकिन एक हकीकत है कि प्रतिभाएं कहां ऐसी कोशिशों से दबती हैं। उनकी प्रतिभा की महक उनके भविष्य का निर्धारण स्वयं ही कर देती है।

Advertisement

Advertisement
Advertisement