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दूषित भोजन परोसने पर मुआवजे का हक

04:00 AM Dec 03, 2024 IST
दूषित भोजन परोसने पर मुआवजे का हक
उपभोक्ता को न्याय
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श्रीगोपाल नारसन
किसी रेस्टोरेंट या होटल में दूषित भोजन खा लेने के कारण बीमार पड़ने वाले उपभोक्ताओं के पास न्याय और मुआवज़ा पाने के लिए कई कानूनी अधिकार और उपाय उपलब्ध हैं। वहीं शादी या अन्य किसी उत्सव में हलवाई द्वारा खाने की गुणवत्ता खराब कर देने के मामले में भी हलवाई के विरुद्ध उपभोक्ता आयोग में राहत पाने के लिए शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। न्याय के लिए कानूनी प्रक्रिया में आम तौर पर उत्पाद का दायित्व निर्माता का होता है, जिसके लिए उपभोक्ता संरक्षण कानून के अंतर्गत न्याय प्राप्त किया जा सकता है। वहीं खाद्य सुरक्षा रेगुलेशन के अंतर्गत भी कार्यवाही की जा सकती है। जब खाद्य सामग्री की खराब गुणवत्ता बीमारी का कारण बनती है, तो उपभोक्ता परिस्थितियों और लागू कानूनों के आधार पर लापरवाही, दायित्व व वारंटी के उल्लंघन के आधार पर वाद दायर कर सकते हैं। जिसमें बीमारी के लिए मुआवज़ा मांगने का अधिकार जहां शामिल है,वहीं दूषित भोजन के कारण बीमार होने वाले उपभोक्ताओं को चिकित्सा व्यय के लिए मुआवजा मांगने का अधिकार भी शामिल है, जिसमें डॉक्टर के पास जाने का खर्च, अस्पताल का बिल, डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाएं, तथा बीमारी से उबरने के लिए आवश्यक उपचार का खर्च प्राप्त किया जा सकता हैं। यदि बीमारी के कारण उपभोक्ता का कार्य प्रभावित होता है, तो वे ठीक होने के दौरान खोई हुई मजदूरी के लिए भी मुआवजे के हकदार हो सकते हैं। साथ ही उपभोक्ता को बीमारी के कारण होने वाली शारीरिक-मानसिक पीड़ा के लिए भी क्षतिपूर्ति की मांग की जा सकती हैं, जिसमें खाद्य जनित बीमारी के कारण होने वाली दीर्घकालिक स्वास्थ्य जटिलताएं या विकलांगताएं शामिल हैं।
धोखाधड़ी व कदाचार का मामला
दूषित भोजन बेचकर घोर लापरवाही करना, ग्राहक को खराब भोजन अच्छा बताकर परोसना जहां उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी है, वहीं यह जानबूझकर कदाचार की श्रेणी में आता है,जिसके लिए उपभोक्ता अदालतें दंडात्मक हर्जाना दिला सकती हैं। इन हर्जानों का उद्देश्य प्रतिवादी को दंडित करना और भविष्य में कदाचार को रोकना है। इस मामले में उपभोक्ता को यह साबित करने की ज़रूरत नहीं है कि निर्माता लापरवाह था, बल्कि उपभोक्ता को केवल यह दिखाने की ज़रूरत है कि खाद्य उत्पाद दोषपूर्ण तरीके से निर्मित या दूषित था, जिसके कारण उपभोक्ता बीमार हुआ। यह तब भी लागू होता है जब निर्माता ने भोजन के उत्पादन में उचित सावधानी बरती हो।
लापरवाही के दावे का आधार
यदि भोजन निर्माता, खाद्य संचालक या खुदरा विक्रेता भोजन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सावधानी बरतने में विफल रहते हैं, तो उपभोक्ता लापरवाही का दावा करने में सक्षम है। उदाहरणतया, यदि कोई रेस्तरां सुरक्षित तापमान पर भोजन को ठीक से संगृहीत करने में विफल रहता है, जिससे संदूषण या खराब होता है, तो यह लापरवाही के दावे का आधार हो सकता है। उदाहरण के तौर पर राजस्थान के सीकर में बेटी की शादी में समय पर व सही खाना नहीं बनाने का आरोप लगाते हुए एक शिक्षक ने हलवाई के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। शिक्षक ने शिकायत दर्ज कराई कि उसने स्थानीय एक हलवाई को शादी के एक महीने पहले बुक किया था, लेकिन हलवाई की टीम भात के समय ऐन वक्त पर आई। फिर खाना भी कम व खराब बना दिया। टोकने पर उसके कर्मचारियों ने रसोई में आग लगा कर दो लोगों को घायल कर दिया। शिक्षक द्वारा खाना बनाने के लिए हलवाई को 26100 रुपए में बुक कर 6100 रुपए पेशगी के दिए गए थे। परन्तु तय तिथि की जगह उसके कर्मचारी अगले दिन भात के समय पहुंचे। समय पर भोजन नहीं बनाने पर उसके मित्र पवन ने जब उन्हें जल्दी करने को कहा तो उन्होंने रसोई घर में गैस चूल्हे में आग लगवा दी। दरअसल हलवाई ने उपलब्ध कराई गई खाद्य सामग्री के आधे सामान का ही भोजन बनाया था। दही बड़े, तवा सब्जी, तंदूरी रोटी, मिस्सी रोटी, टमाटर सूप, लहसुन की चटनी मीनू में होने के बावजूद नहीं बनाई गई। काजू कतली व गुलाब जामुन भी कम और आधे जले हुए बनाए गए। ऐसे में शादी में आए लोग अच्छा खाने को तरसते रहे।
प्रतिवादी हलवाई की दलील
मेजबान ने 3.50 लाख रुपये की अतिरिक्त भोजन सामग्री मंगवाकर जैसे-तैसे शादी का कार्यक्रम सम्पन्न किया। जबकि हलवाई का कहना है कि ओमप्रकाश ने आठ सौ लोगों का खाना बनवाया था। जबकि खाने के समय दो हजार लोग पहुंच गए। जिसके चलते व्यवस्था गड़बड़ा गई। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के शमसाबाद में एक बारात आई थी। शादी में जब बाराती खाना खाने पहुंचे तो उन्हें तंदूर की गर्म रोटी नहीं मिल पाई, खाना खाने में देरी होने का हवाला देकर कारीगर ने गर्म रोटी उपलब्ध कराने में असमर्थता जताई। इस पर बाराती भड़क गए जिससे बारातियों और घरातियों में व्याप्त खुशी तनाव में बदल गई। जिसे लेकर मेजबान ने हलवाई के विरुद्ध सेवा में कमी की शिकायत की है। जिसके लिए मेजबान को उपभोक्ता अदालत से हलवाई के विरुद्ध मुआवजा मिल सकता है।
लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के
वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।

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