डोनाल्ड ट्रंप के ट्रंप कार्ड काश पटेल
निस्संदेह, फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के डायरेक्टर पद पर काश पटेल की नियुक्ति भारतीय मेधा का परमच लहराती है। उनकी नियुक्ति करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा भी कि काश उम्दा वकील, कुशल जांचकर्ता और अमेरिका फर्स्ट के प्रबल समर्थक हैं।
अरुण नैथानी
अमेरिकी सत्ता में रिपब्लिकन हों या डेमोक्रेट, वे भारतीय प्रतिभाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते। भले ही भारतीय मूल की बेटी कमला हैरिस राष्ट्रपति चुनाव हार गई हों, लेकिन ट्रंप प्रशासन के कई महत्वपूर्ण पदों पर भारतीय वंशजों की नियुक्ति हर भारतीय को गर्व से भर देती है। हालांकि, अमेरिकी शासन अमेरिका फर्स्ट के समर्थकों को ही तरजीह देता है, लेकिन इस मुकाम को हासिल करने में भारतवंशियों ने कड़ी मेहनत और प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करके अपनी जगह बनायी है।
अमेरिका में राष्ट्रपति पद संभालने से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने कई महत्वपूर्ण नियुक्तियां की हैं। इनमें हालिया चर्चा अमेरिकी शक्तिशाली खुफिया एजेंसी एफबीआई के डायरेक्टर पद पर भारतीय मूल के काश पटेल की नियुक्ति को लेकर हुई है। हालांकि, इससे पहले भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी को भी विख्यात उद्योगपति एलन मस्क के साथ महत्वपूर्ण अमेरिकी नियामक संस्था डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएन्सी की जिम्मेदारी दी गई थी। इसी तरह हिंदू धर्म अपनाने वाली तुलसी गैबार्ड को भी महत्वपूर्ण दायित्व दिया गया है। निस्संदेह, फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के डायरेक्टर पद पर काश पटेल की नियुक्ति भारतीय मेधा का परमच लहराती है। उनकी नियुक्ति करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा भी कि काश उम्दा वकील, कुशल जांचकर्ता और अमेरिका फर्स्ट के प्रबल समर्थक हैं। साथ ही माना कि उन्होंने अमेरिकी हितों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा, न्याय का संरक्षण करते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ कारगर मुहिम चलायी। वे काश को अमेरिकी फर्स्ट मुहिम का प्रतिनिधि चेहरा भी मानते हैं। दरअसल, ट्रंप अपने पहले कार्यकाल के दौरान उनके योगदान को नहीं भूले। जिसमें उनके पिछले चुनाव के दौरान चुनाव अभियान को प्रभावित करने की रूसी कोशिशों की भी जांच की थी। इतना ही नहीं, काश ने अमेरिका की संप्रभुता को चुनौती देने वाले खूंखार आतंकवादियों के खात्मे में भी अहम भूमिका निभायी थी।
दरअसल, काश पटेल न्यायिक व खुफिया अभियानों में योगदान के साथ ही अपने एक स्वयंसेवी संगठन ‘काश फाउंडेशन’ के जरिये सामाजिक बदलाव के अभियानों में योगदान देने के लिये भी जाने जाते हैं। वे अमेरिकी बच्चों की पढ़ाई के लिये स्कॉलरशिप के जरिये योगदान देते रहे हैं। साथ ही भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने वाले लोगों की भी मदद करते रहे हैं। साथ सैन्यकर्मियों व कानून प्रवतर्न एजेंसियों की भी आर्थिक सहायता करते हैं। इतना ही नहीं पिछले चुनाव में ट्रंप की हार के बाद उपजे विवादित कैपिटल हिल प्रकरण के आरोपियों की भी आर्थिक सहायता करते रहे हैं। काश पटेल की मेधा व योगदान के महत्व का पता इस बात से चलता है कि ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले ही उनकी नियुक्ति की घोषणा कर दी।
काश पटेल एक लेखक भी हैं। जीवन यात्रा का उल्लेख उन्होंने अपनी पुस्तक ‘गवर्नमेंट गैंगस्टर’ में किया। उनकी परवरिश एक मध्यमवर्गीय संस्कारित भारतीय परिवार में हुई। भारत से आए प्रवासी गुजराती परिवार में उनका लालन-पालन क्वींस और लॉन्ग आइलैंड में हुआ। उनके पिता अमेरिकी एविएशन कंपनी में काम करते थे। उन्होंने कालांतर न्यूयॉर्क से कानून की डिग्री हासिल की।
जैसा कि आम भारतीय परिवारों में होता है कि शिक्षा को समृद्ध करना उनकी प्राथमिकता होती है। साथ भारतीय जीवन मूल्यों, संस्कृति व धार्मिक मूल्य को विशेष महत्व दिया जाता है। यही वजह है कि बचपन में भारतीय पर्व-त्योहार, विशिष्टता के विवाह उत्सव और धार्मिक रीतिरिवाज, उनके अवचेतन पर सदैव हावी रहे हैं। काश ने भारतीयता से सदैव खुद को जोड़े रखा। हिंदू होने के नाते वे मंदिर व घर में बनाये गए पूजा स्थल को याद करते हैं। साथ ही घर के शाकाहारी व सात्विक संस्कारों का पालन करते रहे। उन्हें इस बात का मलाल रहा है कि घर में तामसिक भोजन न बनने पर वे जब भी बाहर कुछ खाते तो मां जल्दी ही उनकी चोरी पकड़ लेती थी।
उल्लेखनीय है कि अगले वर्ष बीस जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। तब काश पटेल की महत्वपूर्ण भूमिकाओं को विस्तार मिलेगा क्योंकि चवालीस वर्षीय काश की गिनती ट्रंप के विश्वासपात्र लोगों में होती है। अमेरिका में एफबीआई का निदेशक पद खासा महत्व व प्रतिष्ठा वाला पद माना जाता है। दरअसल काश, ट्रंप की पिछली सरकार के दौरान भी रक्षा मंत्री के चीफ ऑफ स्टाफ, राष्ट्रीय सुरक्षा काउंसिल में राष्ट्रपति के उप सहायक, आतंकवाद निरोधक विभाग के वरिष्ठ निदेशक के पद पर रहते कई राष्ट्रीय सुरक्षा अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। जिसमें अलकायदा से जुड़े कई इनामी आतंकवादियों व आइसिस के मुखिया अल बगदादी के खात्मे जैसे अभियान में शामिल रहे हैं। उनके प्रयासों से कई अमेरिकी बंधकों की सुरक्षित वापसी संभव हो पायी।
इसके अलावा कई खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय बनाने तथा राष्ट्रपति को महत्वपूर्ण सूचनाएं देने का दायित्व भी वे निभा चुके हैं। निश्चित ही ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में पटेल की भूमिका निर्विवाद रूप से महत्वपूर्ण होने वाली है। इतना ही नहीं काश पटेल ने खुफिया मामलों की स्थायी चयन समिति हेतु मुख्य अधिवक्ता के तौर पर भी काम किया। उनकी गिनती सख्त व ईमानदार अधिकारियों के रूप में होती रही है। यही वजह है कि उनकी सेवाएं अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा व संवेदनशील अभियानों में ली जाती रही हैं। जिसमें उनकी मुहिम से ऐसे कानूनों का निर्माण भी शामिल है, जो दुनिया में अमेरिकी हितों की सुरक्षा के लिये गोपनीय जानकारियां जुटाने तथा आतंकवाद के मुकाबले के लिये पुख्ता तंत्र बनाने में सहायक बने। दरअसल, एक अधिवक्ता के रूप में अपना कैरियर शुरू करने वाले काश ने आर्थिक अपराधों पर नियंत्रण, नशे के चक्रव्यूह को तोड़ने तथा गंभीर अपराधों के निस्तारण में योगदान से अमेरिका में अपनी विशिष्ट छवि बनायी।