डॉ. मनमोहन सिंह एकमात्र विश्वविद्यालय शिक्षक, जो प्रधानमंत्री बने
डॉ. मनमोहन सिंह ऐसे एकमात्र विश्वविद्यालय शिक्षक हैं, जो देश के प्रधानमंत्री बने। इससे पहले डॉ. एस राधाकृष्णन भी एक विश्वविद्यालय शिक्षक थे, जो राष्ट्रपति के पद पर पहुंचे। यह बात डॉ. मनमोहन सिंह के मित्र डॉ. राज के पथरिया ने उनके निधन पर जारी शोक संदेश में साझा की। उन्होंने याद किया कि वे हिंदू कॉलेज अमृतसर एवं गवर्नमेंट कॉलेज होशियारपुर में मनमोहन सिंह और डॉ. बीएन गोस्वामी के बैचमेट थे। राज पथरिया ने लिखा कि जैसा कि पंजाब विश्वविद्यालय में हमारे कुछ कॉमन मित्र जानते हैं- मनमोहन सिंह, बरजिंदर और बीएन गोस्वामी 1948-50 के वर्षों के दौरान हिंदू कॉलेज, अमृतसर में क्लास-फ़ेलो थे। जब वे दोनों अपने एफए की पढ़ाई कर रहे थे। तब राज अपनी एफएससी डिग्री कर रहे थे। 1950 में तीनों (मनमोहन, गोस्वामी और राज पथरिया) ने विश्वविद्यालय परीक्षा में इतना अच्छा प्रदर्शन किया कि कॉलेज ने पहली बार तीन नामों को शीर्ष पर रखते हुए 'रोल ऑफ ऑनर' की स्थापना की। यह उल्लेखनीय है कि हम तीनों काफी कम उम्र में पंजाब विश्वविद्यालय में पूर्ण प्रोफेसर बन गए। मनमोहन और मैं वहां अधिक समय तक नहीं रहेद्ध बरजिंदर ने अपना पूरा जीवन अल्मा मेटर की सेवा में बिताया। उन्होंने कहा कि अपने सम्मानित पूर्व छात्र और मित्र पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. सिंह के निधन पर गहरा दुख हुआ है। मनमोहन सिंह एक अकादमिक, अर्थशास्त्री और नेता के रूप में उनकी विरासत हमेशा पंजाब विश्वविद्यालय और हमारे देश के इतिहास में अंकित रहेगी।
पीयू ने दी अपने पूर्व छात्र को श्रद्धांजलि
पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) ने शुक्रवार को अपने प्रतिष्ठित पूर्व छात्र और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए शोक सभा का आयोजन किया। सुबह सीनेट हॉल में हुई। बैठक में पीयू की कुलपति प्रो. रेनू विग, रजिस्ट्रार प्रो. वाईपी वर्मा, डीयूआई प्रो. रूमिना सेठी, निदेशक आरडीसी प्रो. योजना रावत, परीक्षा नियंत्रक प्रो. जगत भूषण, डीसीडीसी प्रो. संजय कौशिक, पूर्व कुलपति प्रो. अरुण ग्रोवर, डाॅ. एसएस बारी, डीएसडब्ल्यू (महिला) प्रो. सिमरत काहलों, डीन एलुमनाई प्रो. लतिका शर्मा, पूटा प्रधान प्रो. अमरजीत सिंह नौरा सहित बड़ी संख्या में संकाय सदस्य, हॉस्टल वार्डन और स्टाफ सदस्य शामिल थे। सभा को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. रेनू विग ने डॉ. सिंह के निधन पर गहरा दुख जताया। उन्होंने उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता पर प्रकाश डाला, जिसमें अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री (1952) और अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री (1954) शामिल है। साथ ही 1957 से 1965 तक पीयू में वरिष्ठ व्याख्याता, रीडर और अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में उनका कार्यकाल भी शामिल था। प्रो. विग ने डॉ. सिंह को दिए गए सम्मानों पर भी विचार किया। सिंह को पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा 1983 में मानद डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (डी.लिट.) और 2009 में मानद डॉक्टर ऑफ लॉ (एलएलडी) की उपाधि से सम्मानित किया गया। उन्होंने डॉ. सिंह द्वारा दिये गये एसबी रंगनेकर मेमोरियल ओरेशन 2018 को भी याद किया। विभाग में उनके नाम पर एक ‘पीठ' की स्थापना की गई।
कमरे, कुर्सी और फ्लैट को सहेज रहा पीयू
पीयू में एसोसिएट प्रोफेसर और अर्थशास्त्र विभाग की अध्यक्ष स्मिता शर्मा ने मनमोहन सिंह को देश में आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में याद किया। उन्होंने मीडिया को वह कमरा दिखाया, जहां मनमोहन सिंह अन्य प्राध्यापकों के साथ बैठते थे। उन्होंने बताया कि अर्थशास्त्र विभाग में उनके कमरे और कुर्सी को सहेज कर रखा गया है। स्मिता शर्मा ने बताया कि उनके रूम नंबर-40 ए को सहेजकर रखा गया है। उनके द्वारा डोनेट की गयी किताबें भी एक अलमारी में रखी गयी हैं। उनका एक फोटो भी कमरे में लगा हुआ है। 2018 में वे विभाग में पत्नी के साथ आये थे। हालांकि, वे खुद ऊपर तक नहीं आ पाये थे, लेकिन फैकल्टी और छात्रों से मिले थे। विभाग के मीटिंग हॉल में भी उनका फोटो लगा है। बोर्ड पर उनका एक संदेश लिखा है, जिसमें कहा गया है - मैं भारत के भविष्य के बारे में आश्वस्त हूं। मेरा दृढ़ विश्वास है कि उभरती वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख शक्ति के कूप में भारत का उदय एक ऐसा विचार है, जिसका समय आ गया है। पीयू की ओर से उनके कैंपस के एफ-15 क्वार्टर को भी रेनोवेट किया जा रहा है, जिसमें डॉ. मनमोहन सिंह नियुक्ति के बाद तीन-चार साल रहे। डॉ. सिंह का सेक्टर 11 में अपना मकान है, जिसकी देखभाल केयरटेकर के हवाले है।
दुनिया में आया तब से जानता था मनमोहन को : मनीष तिवारी
पूर्व केंद्रीय मंत्री और चंडीगढ़ से कांग्रेस सांसद एवं पीयू के पंजाबी के प्रोफेसर के बेटे मनीष तिवारी ने कहा कि मनमोहन सिंह के साथ उनका जुड़ाव उस समय से है, जब उनके माता-पिता और वह (मनमोहन सिंह) यहां पंजाब विश्वविद्यालय में पड़ोसी थे। तिवारी ने कहा- 'वे मुझे लगभग उस दिन से जानते थे, जिस दिन मैंने इस दुनिया में अपनी आंखें खोली थीं। तिवारी ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, 'भगवान के तरीके कितने अजीब हैं। मुझे कल (शनिवार) सुबह उनसे मिलना था।' पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा कि सिंह अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ खुलकर चर्चा करते थे और कनिष्ठ सहयोगियों को काफी प्रोत्साहित करते थे।