टूटे पत्थर, बिखरी गंदगी में महोत्सव की तैयारी, अभी से टूटने लगा नया मंच
सुभाष पौलस्त्य/निस
पिहोवा, 16 जनवरी
टूटी-फूटी सड़क, गड्ढों वाला फुटपाथ, बिखरी गंदगी टूटता जा रहा मंच इन सभी के बीच पिहोवा में सरस्वती महोत्सव की तैयारी चल रही है। पिहोवा में 29 जनवरी से 7 दिनों का सरस्वती महोत्सव मनाया जाएगा। सरस्वती महोत्सव में गीता जयंती महोत्सव की तर्ज पर सरस मेला रंगारंग कार्यक्रम हवन-यज्ञ सरस्वती पूजन इत्यादि के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसमें अनेक विशिष्ट व अति विशिष्ट व्यक्ति भाग लेंगे। इसके लिए व्यापक प्रबंध किए जा रहे हैं।
महोत्सव को सफल बनाने के लिए सरस्वती हेरिटेज बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच अधिकारियों के साथ अनेक बैठक भी कर चुके हैं तथा महोत्सव स्थल का निरीक्षण भी कर चुके हैं। महोत्सव को सफल बनाने के लिए अभी तक अधिकारी महोत्सव स्थल भी नहीं पहुंचे। दफ्तरों में बैठक कर ही सरस्वती महोत्सव की तैयारिया की जा रही हैं।
बिखरी गंदगी, बिखरे पड़ा नशेड़ियों का सामान, टूटा फुटपाथ, खंडित सड़कें अधिकारियों की दूरी का प्रमाण दे रही हैं। समारोह स्थल के आसपास लगे वृक्षों की छंटनी व कटाई का कार्य जारी है। इन तैयारियों से अलग सरस्वती महोत्सव स्थल की ओर जाने वाले तीर्थ के किनारे बनी सभी सड़कें टूटी-फूटी पड़ी हैं। सरस्वती सरोवर के किनारे लगे लाल पत्थर पूरी तरह से टूट चुके हैं तथा उनमें गड्ढे बन चुके हैं। इन्हीं गहरे गड्ढों और टूटी-फूटी फुटपाथ के बीच ही गीता जयंती महोत्सव भी सरकार व प्रशासन मना चुका हैं। इसके बावजूद भी इन टूटे-फूटे फुटपाथ, सड़कों की ओर अभी तक कोई ध्यान ही नहीं दिया गया।
टूटी-फूटी सड़कें चारों ओर बिखरी गंदगी, समारोह स्थल के पास घूमते आवारा पशु सरस्वती महोत्सव की तैयारी की पोल खोल रहे हैं। हैरानी की बात है कि गीता जयंती महोत्सव व सरस्वती महोत्सव के लिए सरस्वती किनारे पार्क में एक मंच का निर्माण किया गया था। इस मंच को बने अभी 2 साल भी पूरे नहीं हुए हैं। मंच पर लगा पत्थर भी टूटने लगा है। मंच में ही गड्ढे बन चुके हैं। इस मंच के किनारे कलाकारों के लिए बनाए गए कमरों में नशेड़ियों ने अपने अड्डे बनाए हुए हैं, जहां पर नशे का सामान बिखरा पड़ा है। कलाकारों की सुविधा के लिए बनाए शौचालय में गंदगी भरी पड़ी है।
पार्क में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा पानी की सुविधा के लिए जल का प्रबंध किया गया था। लगभग 8 से 10 टेप बनाए गए थे,परंतु इन सभी नलों की टूंटियां नशेड़ी उखाड़ कर ले गए। सूखी टंकियां अपनी अनदेखी की कहानी सुना रही हैं। अभी तक इन टंकियां की साफ-सफाई व मरम्मत की ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया गया। कुल मिलाकर समारोह स्थल के पास बने गड्ढे, खड़ा गंदा पानी, बिखरी गंदगी, नशे का बिखरा सामान, आवारा पशु समारोह स्थल की अनदेखी की गाथा सुना रहे हैं।